रो रहे हैं हरक सिंह रावत, CM धामी ने बताया बीजेपी को क्‍यों करनी पड़ी इतनी सख्‍त कार्रवाई

हरक सिंह रावत रो-रोकर बता रहे हैं कि बीजेपी ने उनके साथ ये कार्रवाई बेवजह ही कर दी है । उनसे पूछा भी नहीं गया, कुछ खबरों पर भरोसा कर ऐसा कर दिया गया ।

New Delhi, Jan 17: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने आज एक बड़ा फैसला ले लिया । धामी कैबिनेट में मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को बीजेपी ने छह साल के लिए निकाल दिया । हरक सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों के बीच बीजेपी ने उनके खिलाफ ये कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें सरकार और बीजेपी दोनों से ही बाहर कर दिया । मामले में जहां रावत कैमरे के सामने रोते नजर आए तो वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पूरे मामले पर बयान सामने आया है । उन्‍होंने बताया कि रावत पर कार्रवाई क्‍यों करनी पड़ी ।

बीजेपी ने इसलिए की कार्रवाई
उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने बताया- ‘हमारी पार्टी में वो आए उन्होंने विकास के मामले में जो कहा हमने किया लेकिन हमारी पार्टी वंशवाद से दूर और विकास के साथ चलने वाली पार्टी है. कई बार उनकी कुछ बातों से हम असहज हुए. स्थितियां ऐसी हुई कि वो पार्टी पर दबाव बना रहे थे, जिसके बाद पार्टी ने ये निर्णय लिया. साथ ही अब एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा.’

परिवार के लिए टिकट का दबाव बना रहे थे रावत
आरोप है कि हरक सिंह रावत पार्टी पर तीन टिकट देने का दबाव बना रहे थे ।  वह पार्टी से अपने अलावा अपनी पुत्रवधू और अपनी एक समर्थक को टिकट देने की मांग कर रहे थे । लेकिन बीजेपी हरक सिंह रावत के आगे नहीं झुकी और उलटा उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर पार्टी से भी छह साल के लिए निलंबित कर दिया है । बताया जा रहा है कि रावत पहले भी लगातार बीजेपी को ब्लैकमेल कर रहे थे इससे पहले भी वह पार्टी को दबाव में लेकर अपनी मांगे मनवाते रहे हैं । इससे पहले भी दिसंबर में हरक सिंह रावत कैबिनेट से उठकर कर चले गए थे और इस्तीफ़े की धमकी दी थी ।

कांग्रेस में वापसी?
खबर है कि अब हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं । रावत पांच साल पहले कांग्रेस से बाग़ी होकर ही बीजेपी में आए थे । हालांकि ये ऐसे नेता है जिनका दल बदलने का इतिहास काफी पुराना है । जनता भी इनके रंग बखूबी पहचानती है । आपको बता दें, हरक सिंह रावत ने मंत्री पद से या बीजेपी से इस्तीफ़ा नहीं दिया था केवल नाराज़गी जाहिर की थी । पिछली बार वह कैबिनेट की बैठक से स्वास्थ्य मंत्री से अपनी विधानसभा कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बहस के बाद कैबिनेट की बैठक बीच में ही छोड़ कर चले गए थे । उसके बाद उन्‍हें मना लिया गया था । लेकिन एक जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोला जाना था, क्‍योंकि पौड़ी गढ़वाल में पहले से ही मेडिकल कॉलेज है ऐसे में कोटद्वार में ये खोलना सरकार के लिए संभव नहीं माना जा रहा था ।