व्यापमं मामले में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और सिंधिया के खिलाफ FIR के आदेश, झूठ फैलाने का आरोप

व्यापमं – बीजेपी नेता ने अपने परिवाद में कहा था कि चारों लोग कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं, मीडिया के साथ-साथ कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश किये जा रहा है।

New Delhi, Sep 27 : व्यापमं मामले में भोपाल जिला अदालत ने कांग्रेस नेताओं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत 4 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिये हैं, एफआईआर में चौथा नाम आईटी एक्सपर्ट प्रशांत पांडे का है। आपको बता दें कि बीजेपी के विधि प्रकोष्ठ के पदाधिकारी संतोष शर्मा के परिवाद पर भोपाल जिला अदालत ने श्यामला हिल्स थाना पुलिस को इन चारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर 4 अक्टूबर को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के लिये कहा है।

कोर्ट को गुमराह करने का आरोप
आपको बता दें कि बीजेपी नेता ने अपने परिवाद में कहा था कि चारों लोग कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं, मीडिया के साथ-साथ कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश किये जा रहा है। लिहाजा कांग्रेस के इन चारों नेताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 466 और 468 के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है।

दिग्विजय सिंह ने दायर किया था परिवाद
मालूम हो कि इससे पहले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पिछले दिनों भोपाल कोर्ट में परिवाद दायर करते हुए आरोप लगाया था कि व्यापमं घोटाले की जांच एजेंसियां सीबीआई, एसटीएफ और एसआईटी सीएम शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बचा रही है। 22 सितंबर को इस मामले में पूर्व सीएम का बयान भी दर्ज हो चुका है। इसके बाद ही बीजेपी विधि प्रकोष्ठ ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ परिवाद दायर किया है।

चुनावी मौसम में व्यापमं को भुनाने की कोशिश
आपको बता दें कि इसी साल के आखिर में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, शिवराज सिंह चौहान पिछले 15 साल से मुख्यमंत्री हैं, कांग्रेस लगातार सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है, इसी वजह से व्यापमं से लेकर दूसरे मुद्दों को भी भरपूर भुनाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस और बीजेपी आक्रामक तरीके से एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है।

क्या है व्यापमं ?
मालूम हो कि पिछले साल मध्य प्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिये एमपीएमटी परीक्षा एवं सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिये ली गई परीक्षाओं में भारी धांधली का आरोप है। घोटाले की जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) कर चुकी है। फिर साल 2016 में हाई कोर्ट के निर्देश के बाद मामले की सीबीआई जांच की गई जिसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान को क्लीनचिट दिया गया है।