यहां सड़कों पर खुलेआम बिकते हैं नोटों के बंडल

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क्या आपको पता है कि एक देश ऐसा भी है, जहां पर नोटों के बंडल किलो के भाव से मिलते हैं।

New Delhi, Apr 15 : अक्सर आपने लोगों को कहावत बोलते सुना होगा, कि बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया, हम सभी की जेब में जब भी ये कड़े-कड़े नोट होते हैं, तो एक आत्मविश्वास भी साथ होता है। आखिर इन नोटों में ऐसा क्या होता है, जिसके रहने पर इंसान का कांफिडेंस ही डोल जाता है। अलग अलग देशों में नोटों के अलग-अलग किस्से हैं। क्या आपको पता है कि एक देश ऐसा भी है, जहां पर नोटों के बंडल किलो के भाव से मिलते हैं।

किलो से भाव से मिलते हैं नोटों के बंडल
जी हां, एक देश ऐसा भी है, जहां पर सड़क पर किलो के भाव से नोट मिलते हैं। अफ्रीकी देश सोमालीलैंड में खुले सड़क पर नोट बिकतके हैं, Money-in-Somalilandवहां के लोगों के अनुसार साल 1991 में हुए गृह युद्ध के बाद सोमालिया से अलग होकर एक नया देश बना सोमालीलैंड, ये उसी देश की कहानी है। हालांकि इस देश को अब तक अंतरराष्ट्रीय रुप से मान्यता नहीं दी गई है।

गरीबी से जूझ रहा देश
सोमालीलैंड को अभी तक ना तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई है। इसी वजह से यहां कोई सरकारी व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है, और ना ही रोजगार हैं। somali-shillingsये देश बेहद गरीबी से जूझ रहा है। सोमालीलैंड की कैरेंसी शिलिंग है, जिसका किसी भी देश में कोई खास मूल्य नहीं है। इस देश में मुद्रास्फीति की वजह से छोटे नोट चलते ही नहीं है, यहां सिर्फ 500 और 1000 के बड़े नोट ही चलन में हैं।

मुद्रास्फीति
इस देश में मुद्रास्फीति इतनी बढ गई है कि लोगों को ब्रेड भी खरीदने के लिये झोले में पैसे भरकर ले जाना पड़ता है, तब जाकर उन्हें एक पैकेट ब्रेड मिलता है। Note2सोमालीलैंड के बाजार में 1 अमेरिकी डॉलर के बदले 9000 शिलिंग मिलते हैं, यहां पर आप 650 रुपये में 50 किलो से ज्यादा शिलिंग खरीद सकते हैं। वैसे इसका कोई खास फायदा है नहीं, क्योंकि एक तो इसको लाना-ले जाना काफी मुश्किल है, ऊपर से इतनी रकम देने के बाद आपको सामान बहुत ही कम मिलेगा।

देश में इंटरनेशनल बैंक नहीं
सोमालीलैंड में सोने का एक छोटा सा नेकलेस खरीदने के लिये भी आपको 10 से 20 लाख रुपये तक देने पड़ सकते हैं। Note1इस देश की अर्थव्यवस्था और गरीबी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां एक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का मान्यता प्राप्त बैंक नहीं है। ऐसे में स्वाभाविक है कि यहां कोई बैंकिंग सिस्टम या एटीएम मशीन भी नहीं है।

मोबाइल बैंकिंग इकोनॉमी
जहां आज भारत कैशलेस व्यवस्था के लिये जद्दोजहद कर रही है, लोगों को इस व्यवस्था की तरफ लाने के लिये तरह-तरह के स्कीम चलाये जा रहे हैं। वहां सोमालीलैंड में दो प्राइवेट कंपनीज ने मोबाइल बैकिंग इकॉनमी की शुरुआत की थी, इन कंपनियों ने मुद्रास्फीति की परेशानी को देखते हुए ही ये व्यवस्था शुरु की है।

पैसे कैरी करना मुश्किल
इस देश में पैसे कंपनी के जरिये फोन में जमा होते हैं, फिर फोन के जरिये ही सामान खरीदा या बेचा जाता है। इस देश में कैरेंसी को कैरी करना बेहद मुश्किल काम है। Somaliland-Buraoलिहाजा लोग कैशलेस सिस्टम को अपनाने लगे हैं। इस देश में ऊंटों का सबसे ज्यादा निर्यात होता है, और यहां के निवासी कमाई के लिये काफी हद तक पर्यटन पर ही निर्भर करते हैं।