‘घुसपैठियों से पैरोकारों से पूछिये, मनुष्यता के नाम पर कितनों को अपने घर में मेहमान बना सकते हैं’

पूरी दुनिया में इस्लामी कट्टरता के खिलाफ माहौल है । पूरी सख्ती है । बस भारत में ही यह उलटा-पुलटा बोल लेते हैं ।

New Delhi, Aug 02 : घुसपैठियों के पैरोकार दोस्तों से पूछ लीजिए कि मनुष्यता के नाम पर कितने घुसपैठियों को अपने घर में मेहमान बना कर रख सकते हैं । कितनों को अपनी जायदाद में सहर्ष हिस्सा दे सकते हैं । अगर अपने घर में मेहमान बनाने से इंकार करते हैं , जायदाद में हिस्सा देने से मना करते हैं तो यह मान लेने के लिए आप स्वतंत्र हैं कि इस देश को यह अपना घर नहीं मानते ।

देश को धर्मशाला की जगह घर मानते होते तो घुसपैठियों के लिए यह इस तरह घड़ियाली पैरवी नहीं कर रहे होते । क्यों कि मेरा मानना है कि जो देश को अपना घर मानता है , इन घुसपैठियों की पैरवी नहीं करेगा । और घुसपैठिया नहीं मानता तो पहल अपने घर में मेहमान बना कर रखने से करे । जायदाद में हिस्सा देने से करें ।

चीन में एक कहावत कही जाती है कि इतने उदार भी न बनिए कि अपनी बीवी गिफ्ट कर दीजिए । ध्यान रखिए कि चीन महान वामपंथी देश है । इस बिना पर इन की राय में सेक्यूलर देश भी है । लेकिन इसी चीन ने इस्लामी कट्टरता से आजिज आ कर दाढ़ी रखने , बुरका पहनने , टोपी पहनने , सार्वजनिक जगह पर नमाज पढ़ने और मरने के बाद दफनाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है पूरे देश में । कहा है कि दफनाने की जगह अपना पैसा खर्च कर जलाइए। हज यात्रा पर जाने पर गले में जी पी एस बांध कर जाने की अनिवर्यता कर दी है । मस्जिद , मजार , कब्रिस्तान सब समाप्त कर दिए हैं । वहां संघी और भाजपाई भी नहीं , वामपंथी हैं । वहां इन की आवाज़ नहीं खुलती । अमरीका और फ़्रांस जैसे तमाम देशों में यही और ऐसी सख्ती लागू हो चुकी है ।

पूरी दुनिया में इस्लामी कट्टरता के खिलाफ माहौल है । पूरी सख्ती है । बस भारत में ही यह उलटा-पुलटा बोल लेते हैं । संघियों , भाजपाइयों के सिर ठीकरा फोड़ते हुए । याद कीजिए सार्वजनिक तोड़-फोड़ भी करते थे पहले बात-बात पर अब तक । लेकिन नरेंद मोदी सरकार ने इतना इंतजाम तो कर ही दिया है कि बात-बेबात इस्लामिक कट्टरता के नाम पर सार्वजनिक बवाल काटना और तोड़-फोड़ पर अनकही लगाम लग गई है । बिना कुछ किए , बिना कुछ कहे । यह बहुत बड़ी राहत है । इस बात को नोट कीजिए । अब इन कट्टरपंथियों को कुछ बवाल करने के लिए जय भीम का साथ ले कर जय भीम , जय मीम करना पड़ता है । इस बात को भी नोट कर लीजिए । पूरे एहतराम और आराम से ।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)