मनुष्यता और मनुष्य रहेंगे तभी मज़हब रहेगा और आप भी, मुसलमान अपनी बीमारी को समझे

अगर हमारी देह में कहीं कोई कोढ़ या कैंसर हो गया है तो वह छुपाने से , परदा डाल देने से नहीं ठीक हो सकता ।

New Delhi, Jul 10 : सभी मुस्लिम दोस्तों से गुज़ारिश है और कि मशवरा भी कि कुरआन और इस्लाम की हिफाज़त और फख्र करने में कोई दिक्कत नहीं है । अच्छी बात है। ज़रुर कीजिए । बाखुशी कीजिए। किसी को कोई गुरेज़ नहीं है । लेकिन यह जो कुरआन और इस्लाम की दुहाई दे कर पूरी दुनिया में खुले आम निर्दोष और मासूम लोगों का कत्ले आम जारी है उस की सिद्धांत और व्यवहार में कड़े शब्दों में मज़म्मत कीजिए।

भारत में आप को अपनी शर्म और चेहरा छुपाने के लिए भाजपा और संघ का कंधा है । भारत से बाहर अमरीका का कंधा है । लेकिन क्या पूरी दुनिया ही संघी और अमरीकी है ? अपनी बीमारी को समझिए , इस का इलाज कीजिए । ख़ुद को बदलिए। मुंह में राम , बगल में छुरी बहुत हो गया । इस्लाम को मानने वाले अब एक असभ्य और कबीलाई पहचान में शुमार हो रहे हैं पूरी दुनिया में । इस कुफ्र से बचिए ।

संघी और अमरीकी साज़िश का आप का कुतर्क अब आप को मुंह चिढ़ा रहा है । बेशर्मी और कुतर्की हठ छोड़ कर इस बात को समझिए और अपने को दुरुस्त कीजिए । अपने समाज को सभ्य बनाईए। मनुष्यता का सम्मान करना सीखिए । अब आप के कुतर्क के दिन हवा हुए । दुनिया अब इस हिंसा से डरने से इंकार कर रही है ।

आप को सभ्य समाज से बेदखल कर रही है । इस ख़तरे को समझिए दोस्तों । अगर कोई आप और आप के इस्लाम को कंडम कर रहा है तो उस के गुस्से और उस की तकलीफ को समझिए। उस की बात को दिल पर मत लीजिए । मनुष्यता और मनुष्य रहेंगे तभी मज़हब रहेगा और आप भी । आप जानते हैं कि अब दुनिया को रमजान के महीने और जुमे की नमाज़ से डर लगने लगा है । दुनिया को इस डर से बचाना आप सब की ज़िम्मेदारी है । नहीं इस्लाम को तो आप लोग इस तरह तो गाली बना देने के रास्ते पर चल पड़े हैं । इस सफ़र को खत्म करना आप के ही हाथ है । दुनिया को बदसूरत बनाने और अपने को बदबूदार बनाने से बचिए। अगर हमारी देह में कहीं कोई कोढ़ या कैंसर हो गया है तो वह छुपाने से , परदा डाल देने से नहीं ठीक हो सकता । उस की पहचान कर उस का कारगर इलाज करने से ठीक होगा । सो हिंसा का खुल कर विरोध कीजिए , बचाव नहीं । दुनिया और मनुष्यता के साथ चलना सीखिए ।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)