दूल्‍हे के परिवार ने कायम की मिसाल, 5 लाख का दहेज ठुकराया, एक रूपए शगुन और नारियल के साथ ले गए दुल्‍हन  

दहेज के लिए टूटती शादियों की खबरों के बीच आज एक खबर ऐसी जो मिसाल कायम कर सके । दहेज के दानवों तक ये खबर जरूर पहुंचनी चाहिए ।

New Delhi, May 05 : दहेज के लिए बहू को घर से बाहर निकाल देना, दहेज की कार ना मिलने पर फेरों पर लड़की को छोड़कर चले जाना, मांग पूरी ना होने पर शादी तोड़ देना, ये सब वो खबरें हैं जो अब से कुछ समय पहले तक सुर्खियों में रहती थी । दहेज कानून के मजबूत होने से अब ऐसी खबरें सामने तो नहीं आतीं लेकिन खत्‍म हो गई हैं ऐसा भी नहीं है । दहेज की वजह से आज भी शादियां बनने से पहले टूटती जाती हैं । ऐसे मामलों के बीच जब एक खबर पॉजिटिव आती है तो अच्‍छा लगता है ।

राजस्‍थान का मामला
राजस्थान के हनुमानगढ़ में बीते दिनों सामाजिक बदलाव को लेकर एक अनूठी पहल देखने को मिली । यहां  गांव गढ़ीछानी के हवासिंह कालरा ने अपने बेटे की शादी में दुल्‍हन पक्ष की ओर दहेज में दी जाने वाली कार और 5 लाख रुपए कैश को लौटाकर एक मिसाल कायम की । क्षेत्र में दहेज प्रथा को रोकने की ओर उनका ये कदम सभी ने सरहा ।

एक रुपए नारियल लेकर हुई विदाई
शादी से पहले वधू पक्ष ने अपनी बेटी के लिए सब कुछ इंतजाम किए हुए थे । लेकिन शादी के बाद विदाई के समय दूल्‍हे के पिता ने किसी भी प्रकार से कैश आदि को लेने से मना कर दिया । शादी में देने के लिए मंगाई गई कार को भी वर पक्ष ने ससम्‍मान लोटा दिया । दुल्‍हन को उसके पिता के घर से दो जोड़े कपड़े, एक रुपए और शगुन के नारियल के साथ विदा किया गया ।

समाज में कायम हुई मिसाल
29 अप्रैल को हुई इस शादी में राजस्‍थान के गढ़ीछानी गांव के हवासिंह कालरा के बेटे कुलदीप की शादी कागदाना जो कि हरियाणा में है, के रहने वाले राजेंद्र बेनीवाल की बेटी कविता के साथ हुई । शादी की रस्‍मों के दौरान दहेज को मना कर इस परिवार ने समाज में एक मिसाल कायम की है । दूल्‍हे के पिता ने बताया कि वो इस प्रथा के खिलाफ हैं ।

दूल्‍हे के पिता ने ये कहा
‘यह प्रथा समाज के लिए कलंक है। दहेज ना लेकर अखबारों में खबर छपवाने का मेरा उद्देश्य नहीं है, बल्कि समाज के अन्य लोगों को यह प्रेरणा देना है कि मां-बाप के घर पर पली-बढ़ी बेटी को ही जब विवाह के बाद वर पक्ष को सौंप देते है और उसके बाद वर पक्ष की ओर से दहेज की इच्छा वास्तव में समाज को कलंकित करने वाली व्यवस्था है।दहेज ना लेने का उनका एक मात्र उद्देश्य यही है कि बेटियों को उनका वास्तविक सम्मान मिले जिससे समाज की बेटियों को आगे बढ़ने के पूरे अवसर मिले।’

बेटियां बोझ नहीं, सम्‍मान बनें
देश के कई इलाकों में बेटे – बेटियों का लिंगानुपात आज भी असंतुलित है । कहीं ना कहीं बेटी ना चाहते की वजह शादी के बाद उसके साथ जाने वाला मोटा दहेज है । समाज में हवा सिंह कालरा ओर उनके बेटे कुलदीप जैसे लोग ही सामने आकर इस प्रथा का जड़ से अंत कर सकते हैं । समाज को सुधारने के लिए सभी को शुरुआत अपने घर से ही करनी होती है ।