ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मां पार्थिव देह देखकर भावुक, कहा- मैं भी एक मां, ईश्‍वर क्‍यों ?

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मां अपने बेटे की शहादत पर गर्व से भरी हुई हैं, लेकिन बेटे को खोने का गम भी तो बहुत है । अंतिम संस्‍कार से पहले वो भावुक हो गईं ।

New Delhi, Dec 17: भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का अंतिम संस्कार बैरागढ़ के विश्राम घाट पर किया गाया । इस मौके पर उनकी मां उमा सिंह भावुक हो गईं । बेटे को यूं ताबूत में तिरंगे से लिपटा देख उनका सीना गर्व से भर उठा । लेकिन मां तो मां ही है ना, कभी बेटे की शहादत पर गर्व करतीं तो कभी कहती हैं कि वो भी एक मां हैं, उनके साथ ईश्‍वर ने ऐसा क्‍यों किया । शहीद की मां का भावुकता से भरा एक वीडियो सामने आया है।

ईश्‍वर से पूछा था सवाल … इतना दर्द क्‍यों?
शहीद की मां उमा सिंह ने कहा कि उनका बेटा हमेशा उनके साथ है, उन्‍होंने उसे खोया नहीं है । उन्‍होंने कहा- ‘वरुण मेरी बात सुन रहा है और मुस्कुरा रहा है । वरुण मेरा यह कहना है कि खुश रहो । जितने भी तुम्हारे पैशन हैं उन्हें दूसरे के थ्रू पूरा करो । ‘मैं भी एक मां हूं. मैं भी अपने बच्चे को बचाना चाहती थी । मैंने ईश्वर से पूछा-ऐसा क्यों? मेरा बेटा क्‍यों । वो भी उस दिन सबके साथ शहीद हो जाता । क्‍यों उसे इतने दिन दर्द सहना पड़ा । वो दुख है । उन्‍होंने आगे कहा-  ‘मैंने अपने बेटे को आजाद कर दिया । हमने अपने परिवार के साथ वरुण का हाथ पकड़कर उसे आजाद किया । उससे कहा कि वह खुद को हम लोगों में लिप्त न करे। तुम एयर फोर्स की फ्लाइंग के लिए जिये हो । तुम्हारा पैशन और तुम्हारा प्यार है ।

बहुत प्‍यार और सम्‍मान के साथ विदा
वीडियो में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मां कह रही हैं- ‘मैं भी एक मां हूं । मैं भी अपने बच्चे को बचाना चाहती थी । मैंने ईश्वर से पूछा-ऐसा क्यों? वरुण गौरवपूर्ण तरीके से गया है । इतनी इज्जत, प्यार और सम्मान मिला है, यही मेरी ताकत है।’ अपनी किस्मत से आया, अपनी किस्मत से जिया, अपनी किस्मत से लड़ा और अपनी किस्मत से चला गया।’ उन्होंने कहा कि ‘उसकी ट्रेनिंग ने उसे बचाया है। उसके सिर में एक चोट भी नहीं आई । उसके शरीर की एक हड्डी भी नहीं टूटी । वह जलने की वजह से गया ।

बेटे की चिठ्ठी का पता ही नहीं था
पिछले दिनों वरुण सिंह का जब इजाज जारी था उस दौरान उनकी स्‍कूली बच्‍चों को लिखी एक चिठ्ठी वायरल हो रही थी । वरुण की मां उमा सिंह ने बताया कि वो तो इस पत्र के बारे में कुछ जानते ही नहीं थे । बाद में पता चला । उन्‍हें तो अंदाजा भी नहीं था कि उनका बेटा किसी को प्रोत्‍साहित भी कर सकता था, वो इतना गुणी था । वरुण सिंह की मां ने अपनी बहू के कंधे पर हाथ रखकर उन्‍हें वीरांगना कहा । ढांढस बंधाया और आगे जीवन जीने का सहारा दिया । वरुण सिंह के दो बच्‍चे हैं, पिता के चले जाने का गम बच्‍चों की आंखों से भी छलकता दिखा लेकिन गर्व की चमक इससे कहीं ज्‍यादा है ।