33 साल की उम्र में लता मंगेशकर को मारने की हुई थी साजिश, मौत को करीब से देख लौटी

कम ही लोगों को पता है कि लता मंगेशकर को जहर देकर मारने की कोशिश की गयी थी, साल 1962 में जब लता मंगेशकर 33 साल की थीं, तो उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया जा रहा था।

New Delhi, Sep 28 : भारत रत्न लता मंगेशकर 89 साल की हो गई है, अपनी जादूई आवाज में लता दीदी ने 30 हजार से ज्यादा गाने गाये हैं। करीब सात दशकों तक उन्होने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। 28 सितंबर 1929 को इंदौर में पैदा हुई स्वर कोकिला के जन्मदिन के मौके पर आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।

बचपन का नाम था हेमा
लता दीदी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर खुद बड़े क्लासिकल सिंगर और थियेटर आर्टिस्ट थे, लता मंगेशकर तीन बहनों मीना मंगेशकर, आशा भोसले, उषा मंगेशकर और एक भाई ह्दयनाथ मंगेशकर में सबसे बड़ी हैं। उनके घर का नाम हेमा था, लेकिन एक दिन थियेटर करते हुए उनके किरदार का नाम लतिका रखा गया, फिर उसी से उनका नाम लता हो गया। लता दीदी ने 5 साल की उम्र में ही अपने पिता से संगीत की शिक्षा लेनी शुरु कर दी थी।

जान से मारने की साजिश
कम ही लोगों को पता है कि लता दीदी को जहर देकर मारने की कोशिश की गयी थी, साल 1962 में जब लता मंगेशकर 33 साल की थीं, तो उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया जा रहा था, लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ऐसा कहां से लाऊं में इस बात का खुलासा किया था। पद्मा ने किताब में लिखा था कि लता जी जब 33 साल की थीं, तो उन्होने उन्हें बताया था कि एक दिन सुबह उनके पेट में तेज दर्द होने लगा, कुछ ही देर में उन्हें दो-तीन बार उल्टियां हो गई, उनकी हालत बिगड़ने लगी, साथ ही पूरे शरीर में दर्द होने लगा था।

मौत के बेहद करीब
लता दीदी के चेकअप के लिये तुरंत डॉक्टर एक्स-रे मशीन के साथ उनके पास पहुंचे, उन्हें इंजेक्शन दिया, ताकि उन्हें नींद आ जाए, लेकिन तेज दर्द की वजह से वो सो भी नहीं पा रही थीं, किताब के अनुसार अगले तीन दिनों तक वो मौत के बेहद करीब थीं, हालांकि 10 दिनों में वो ठीक हो गई, उनके डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया जा रहा था। इस घटना के बाद सबसे हैरानी की बात ये हुई, कि उनके घर का कुक भाग गया। यहां तक कि उसने अपने बकाये पैसे भी नहीं लिये। लता दीदी के घर जो कुक खाना बनाता था, वो पहले बॉलीवुड से जुड़े कुछ और लोगों के घर पर काम कर चुका था।

तीन महीने बेड रेस्ट
पद्मा सचदेव ने अपने किताब में लिखा है कि इस स्लो प्वॉइजन की वजह से लता दीदी बेहद कमजोर हो गई थीं, डॉक्टरों ने उन्हें बेड रेस्ट करने की सलाह दी थी, वो तीन महीने तक कोई गाना भी नहीं गा सकी। उनकी आंतों में दर्द की शिकायत रहता था, भोजन में भी बेहद सावधानी रखनी पड़ती थी। उन दिनों स्वर कोकिला सिर्फ ठंडा सूप ही लेती थीं।