मजदूरी करने आया था और बन गया ‘डॉक्टर’, पत्नी से भी करवाता था ये काम

राम सेवक और उसकी पत्नी शुभी देवी के पास ना तो मेडिकल प्रैक्टिस की कोई डिग्री है और ना ही उन्होने इसकी पढाई की है, बावजूद इसके वो सालों से इस इलाके में डॉक्टर दंपत्ति के रुप में पहचान बनाये हैं।

New Delhi, Aug 31 : हरियाणा के झज्जर में पिछले तीस साल से एक शख्स बिना किसी डिग्री या पढाई किये ही दवा देकर इलाज कर रहा था, इतना ही नहीं इस शख्स ने शादी के बाद अपनी पत्नी को भी बिना डिग्री वाली डॉक्टरी सिखा दी, इन दोनों का सच तब सामने आया, जब ये आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ गर्भ गिराने वाली प्रतिबंधित एमटीपी किट की बिक्री करने लगा, बुधवार को जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस फर्जी डॉक्टर दंपत्ति पर शिकंजा कसा।

प्रतिबंधित दवाएं बेचता था
झज्जर के शिव कॉलोनी में आरोपी शख्स घर से ही क्लीनिक चलाता था, स्वास्थ्य विभाग ने ग्राहक भेजकर उसे फंसाया, फर्जी ग्राहक से राम सेवक 8 हजार रुपये में एमटीपी किट का सौदा किया था, जिसके बाद आरोपी घर के बाहर से एमटीपी किट लेकर आया, पुलिस ने रंगे हाथों ही उसे गिरफ्तार कर लिया। जब टीम ने उसके घर की तलाशी ली, तो कई प्रतिबंधित दवाएं भी मिली, जो वो बेचा करता था।

गर्भवती महिला को ग्राहक बनाकर भेजा
सीएमओ डॉ. आर एस पूनिया को सूचना मिली, कि झज्जर में एक दंपत्ति एमटीवी किट बेच रहा है, वो मरीजों को किट में मौजूद गोलियों के बारे में जानकारी भी देता था, जिसके बाद उन्होने डॉ. राकेश कुमार की अगुवाई में एक टीम बनाई, एक गर्भवती महिला को नकली ग्राहक बनाकर राम सेवक के पास भेजा। महिला ने उससे कहा कि वो अभी बच्चा नहीं चाहती है, जिसके बाद गर्भ गिराने के लिये रामसेवक ने उससे 8 हजार रुपये लिये और एमटीपी किट लाकर दे दी। रामसेवक ने जैसे ही महिला से रकम ली और किट दी, वैसे ही इशारा मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

घर पर नहीं लगा है क्लीनिक का कोई बोर्ड
राम सेवक और उसकी पत्नी शुभी देवी के पास ना तो मेडिकल प्रैक्टिस की कोई डिग्री है और ना ही उन्होने इसकी पढाई की है, बावजूद इसके वो सालों से इस इलाके में डॉक्टर दंपत्ति के रुप में पहचान बनाये हैं। इनके ज्यादातर मरीज गरीब और मजदूर तबके के लोग होते हैं, राम सेवक ने घर में ही क्लीनिक खोल रखा है, लेकिन उसका कोई बोर्ड नहीं लगाया है। इसके बावजूद कई लोग उसके पास अपना इलाज करवाने आते हैं।

मजदूरी करने आया था हरियाणा
बताया जा रहा है कि तीस साल पहले राम सेवक बिहार से रोजगार की तलाश में झज्जर आया था, शुरुआत में उसने मजदूरी की, फिर शहर के एक प्राइवेट हॉस्पीटस में कुछ दिन सहायक के रुप में काम किया, वहीं पर उसे छोटी-मोटी दवाओं की जानकारी हो गई, जिसके बाद उसने खुद का क्लीनिक खोल लिया। कभी मजदूरी करने वाला राम सेवक झज्जर के शिव कॉलोनी में 200 गज का प्लॉट लेकर खुद का मकान बना लिया, अपना क्लीनिक भी उसी में शिफ्ट कर लिया।

कई प्रतिबंधित दवाएं मिली
रामसेवक के घर की जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने तलाशी ली, तो महिला को देने वाले एमटीपी किट के अलावा दूसरी कोई किट नहीं मिली, दरअसल रामसेवक सौदा होने के बाद घर से बाहर गया था, उसने बाहर से लाकर किट महिला को दिया था। हालांकि टीम को रामसेवक के घर से एलोपैथी की कई प्रतिबंधित दवाएं मिली है, जो सिर्फ डिग्री धारी या डिप्लोमाधारी डॉक्टर ही मरीजों को दे सकते हैं। रामसेवक के घर छापेमारी करने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम इस बात से हैरान है, कि सामान्य बाजार में 60 रुपये की कीमत में मिलने वाली किट के बदले वो 7 से 8 हजार रुपये लोगों से वसूल रहा था।

लिंग जांच करने वाले गिरोह से जुड़े होने का शक
स्वास्थ्य विभाग को इस बात का शक है कि राम सेवक के तार कहीं ना कहीं लिंग जांच करने वाले गिरोह से जरुर जुड़े हो सकते हैं, क्योंकि वो यहां इलाज के लिये आने वाली महिला मरीजों को भरोसा देता था कि एमटीपी की गोलियां खाने से अगर गर्भ नहीं गिरा, तो उसका ऑपरेशन भी हो जाएगा, छापेमारी करने वाली टीम के अनुसार 8 हजार में एमटीपी किट का सौदा इस बात का संकेत देता है, कि कहीं ना कहीं गर्भवती महिलाओं के भ्रूण की लिंग जांच होती होगी, तभी वो इतनी महंगी किट बेचता है।