नदी-नालों में नहीं होती गंदगी, कमाई भी करो़ड़ों में, जबरदस्त है इन दोनों का बिजनेस आइडिया

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हेल्प अस ग्रीन रोजाना शहर के 29 मंदिरों से करीब 800 किलो बेकार फूल इक्ट्ठा करते हैं, फिर उसे अगरबत्तियों और जैविक वर्मिंकपोस्ट में बदल देते हैं।

New Delhi, Jan 27 : नदी में फेंके जा रहे फूलों को देख दो दोस्तों को ऐसा बिजनेस आइडिया आया कि उन्होने एक मिसाल पेश कर दी, कूड़े-कचरे में फेंके जाने वाले फूलों की बदौलत दोनों दोस्तों ने मिलकर एक कंपनी खड़ी कर दी, जिसका सलाना टर्नओवर करीब 2 करोड़ रुपये है। यूपी के इन दो लड़कों ने ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। हेल्प अस ग्रीन के फाउंडर अंकित अग्रवाल ने एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए बताया कि कानपुर से करीब 25 किमी दूर भौंती गांव में उनकी कंपनी का ऑफिस है। वो रोजाना शहर के 29 मंदिरों से करीब 800 किलो बेकार फूल इक्ट्ठा करते हैं, फिर उन्हें अगरबत्तियों और जैविक वर्मिकपोस्ट में बदलते हैं, उनके इस काम की वजह से शहर के नदी-नाले में गंदगी भी कम होती है और उनका बिजनेस भी हो जाता है।

कैसे आया आइडिया ?
28 वर्षीय अंकित अग्रवाल ने बताया कि साल 2014 में वो बिठूर (कानपुर) में मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के लिये गये थे, Gangaवहां उन्होने देखा कि गंगा तट पर भगवान को चढाने के बाद फूल फेंका गया है, जो सड़ रहा था, वहां लोग उसे गंदे पानी को पी रहे थे, अंकित के अनुसार ये बात सिर्फ नदी में सड़ रहे फूलों की नहीं बल्कि उन पर इस्तेमाल किये गये कीटनाशकों की भी थी, जो जल पर अपना असर डाल सकते हैं। यही से मेरे मन में आइडिया आया।

इससे पीएम का स्वच्छता अभियान पूरा
अंकित के दोस्त ने गंगा की तरफ इशारा करते हुए पूछा, कि तुम लोग इसके लिये कुछ करते क्यों नहीं, Modiवहीं से उनके दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना इसी से कुछ ऐसा काम शुरु किया जाए, जिससे नदियों में प्रदूषण भी ना हो, लोग गंदे पानी से होने वाली बीमारियों से भी बचे रहें, उसी दिन गंगा किनारे उन्होने शपथ लिया, कि इन फूलों को वो बेकार में गंगा में गिरने नहीं देंगे, उनके इस आइडिया से पीएम मोदी का स्वच्छता अभियान भी पूरा हो रहा है।

लोगों ने उड़ाया मजाक
अंकित ने इस आइडिया के बाद अपने एक दोस्त करण रस्तोगी ( 29 साल) से बात की, तब करण विदेश में पढाई कर भारत वापस लौटे थे। inspirationजिसके बाद दोनों ने तय किया कि नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिये कुछ काम शुरु किया जाए, ताकि इन फूलों का भी उपयोग हो और नदी में प्रदूषण भी ना हो। लेकिन जब लोगों को हमारे इस आइडिया के बारे में पता चला कि हम नदी किनारे से फूल चुनते हैं, तो लोगों ने हमें पागल कहकर हमारा मजाक उड़ाया था। लेकिन हम दोनों ने किसी की परवाह नहीं की।

नौकरी छोड़ शुरु किया बिजनेस
अंकित अग्रवाल ने बताया कि साल 2014 तक वो पुणे की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में ऑटोमेशन साइंटिस्ट के रुप में काम कर रहे थे, Ganga Flower1जबकि उनका दोस्त करण रस्तोगी विदेश से मास्टर्स की डिग्री हासिल कर भारत वापस लौट चुका था, वो भारत में ही अपना बिजनेस शुरु करने का सोच रहा था, इस आइडिया के बाद अंकित अग्रवाल ने अपनी नौकरी छोड़ इसी पर काम करना शुरु कर दिया।

72 हजार में शुरु की कंपनी
दोनों दोस्तों ने अपना पुराना काम छोड़ साल 2015 में 72 हजार रुपये की लागत से हेल्प अस ग्रीन नाम की एक कंपनी लांच की, inspiration-2दोनों को तब लोगों ने पागल कहना शुरु किया, फिर करीब दो महीने बाद उन्होने अपना पहला उत्पाद वर्मिंकपोस्ट लेकर आये, जिसे उन्होने मिट्टी का नाम दिया। इस वर्मिंकपोस्ट के बारे में बताते हुए अंकित ने बताया कि इसमें 17 कुदरती चीजों का मेल है, हम इसमें कॉफी चेन की स्थानीय दुकानों की फेंकी हुई कॉफी की तलछट भी डालते हैं।

अगरबत्तियां बनाते हैं
कुछ महीने बाद ही दोनों दोस्तों की कंपनी कानपुर के सरसौल गांव में पर्यावरण अनुकूल अगरबत्तियां बनाने लगी, फिर उन्हें शिकायत मिली कि inspiration-4अगरबत्ती के डिब्बों पर भगवान की तस्वीरें होने की वजह से उन्हें कूड़ेदानों में फेंकने पर श्रद्धालुओं को परेशानी होती है, इसलिये इन्होने अगरबत्तियों को तुलसी के बीज युक्त कागजों में पैंकिग करना शुरु किया ।

2 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर
युवा व्यवसायी ने बताया कि हेल्प अस ग्रीन कंपनी आज फैलती जा रही है, हमारी कंपनी में 70 से ज्यादा महिलाएं काम करती है, ganga-aarti-flower-basketsउन्हें हम कम से कम प्रतिदिन दो सौ रुपये मजदूरी देते हैं। हमारी कंपनी का सलाना टर्नओवर सवा दो करोड़ से ज्यादा हो चुका है, कानपुर के साथ-साथ कन्नौज, उन्नाव में भी हमारा बिजनेस फैल रहा है, हम दूसरे शहरों को भी टारगेट कर रहे हैं।

आईआईटी से मिला ऑर्डर
हेल्प अस ग्रीन रोजाना शहर के 29 मंदिरों से करीब 800 किलो बेकार फूल इक्ट्ठा करते हैं, फिर उसे अगरबत्तियों और जैविक वर्मिंकपोस्ट में बदल देते हैं,Waste Flower पहले उनकी टीम में सिर्फ दो लोग थे, अब उनकी संख्या बढकर 9 हो चुकी है, इतना ही नहीं उनकी कंपनी को हाल ही में आईआईटी से 4 करोड़ से ज्यादा का ऑर्डर मिला है।