ईवीएम से कैसे होती है काउंटिंग? कितना लगता है समय? जानें मतगणना की पूरी प्रक्रिया

वोटिंग अब ईवीएम से हाती है, क्‍या आपके मन में ये सवाल है कि इससे काउंटिंग कैसे होती है । आगे पढ़ें, ईवीएम से जुड़ी सारी जानकारी ।

New Delhi, Mar 09: यूपी चुनाव में बीजेपी और सपा दोनों ही दल अपनी प्रचंड जीत का दावा कर रहे हैं । एग्जिट पोल जहां बीजेपी की सरकार बनाते दिख रहे हैं तो वहीं अखिलेश इसे बीजेपी की साजिश बता रहे हैं । अखिलेश ने तो मतगणना से पहले ही ईवीएम पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं । बहरहाल, 10 मार्च उत्‍तर प्रदेश के लिए बड़ा दिन है । कल मतदान केन्‍द्रों में ईवीएम खुलेंगी और काउंटिंग के बाद जनादेश सबके सामने होगा । फिलहाल आपको बताते हैं ईवीएम से काउंटिंग होती कैसे हैं । जानते हैं पूरी प्रक्रिया ।

वोटो की गिनती से पहले व्‍यवस्‍था
मतगणना केंद्र पर चुनाव अधिकारी, मतगणनाकर्मी, प्रत्याशी और उनके एजेंट, ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी और अन्य अधिकारी मौजूद रहते हैं, इनके रहते ही वोटों की गिनती होती है । काउंटिंग प्रक्रिया में सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है और फिर उसके करीब 30 मिनट बाद स्ट्रॉन्ग रूम से कड़ी सुरक्षा के बीच ईवीएम लाए जाते हैं । ईवीएम को खोले जाने से पहले मतगणनाकर्मी और प्रत्याशी के एजेंट उसकी जांच करते हैं, कि कहीं ये पहले से टेंपर्ड तो नहीं हैं । जब सभी लोग ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हो जाते हैं तो वोटों की गिनती शुरू की जाती । इस पूरी प्रक्रिया की कैमरे से वीडियो रिकॉर्डिंग होती है।

एजेंट को रखा जाता है दूर
ईवीएम से काउंटिंग कर रहे अधिकारियों और चुनावी एजेंट के बीच कंटीली तार लगी रहती है, जिससे एजेंट उन मशीनों से दूर रहें । पूरी काउंटिंग कई राउंड्स यानी चरणों में होती है, जहां हर राउंड में 14 EVM खोली जाती हैं। आपको बता दें हर बूथ के लिए एक ईवीएम होती है, एक ईवीएम को करीब 1200 वोटर के लिए बनाया जाता है। औसतन हर बूथ पर करीब 750 से 850 वोट पड़ते हैं. इस हिसाब से हर राउंड में करीब 10 हजार से लेकर 12 हजार वोट गिने जाते हैं । इसी संख्या के आधार पर चुनाव आयोग ने हर राउंड में 14 EVM के वोट गिनने की नीति बनाई है।

इस तरह होती है काउंटिंग
ऐसे में काउंटिंग हॉल में एक बाड़बंदी के भीतर 14-14 टेबल लगाए जाते हैं, हर टेबल पर एक EVM के वोट गिने जाते हैं । चुनाव अधिकारी इसके बाद मशीन का रुख मोड़ता है और रिजल्ट का बटन दबाता है, ताकि यह जानकारी मिल सके कि किसी उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं । इसके बाद यह जानकारी फॉर्म 17सी में डाली जाती है । इन फॉर्म्स पर उम्मीदवारों के चुनावी एजेंट दस्तखत करते हैं और फिर उसे निर्वाचन अधिकारी को सौंपते हैं । इसके बाद नतीजे एक ब्लैक-वाइट बोर्ड पर लिखे जाते हैं और काउंटिंग एरिया के बाहर भी बताए जाते हैं । मतगणना के दौरान इसी को रुझान कहा जाता है ।

आपत्ति दर्ज करा सकते हैं
एक चरण की गिनती पूरी होने के बाद चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करता है, जिससे कि किसी उम्मीदवार को कोई आपत्ति हो तो वो दर्ज करा सके।  उम्मीदवारों की आपत्ति के बाद यह रिटर्निंग ऑफिसर पर निर्भर करता है कि वो फिर से वोटों की गिनती करवाता है या फिर उस उम्मीदवार को आश्वस्त करता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है । हर चरण के बाद रिजल्ट के बारे में रिटर्निंग ऑफिसर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इसकी सूचना देता है, ये  सिलसिला तब तक जारी रहता है, जब तक कि अंतिम नतीजे नहीं आ जाते । यूं तो ईवीएम के आने के बाद काउंटिंग आसान हो गई है, लेकिन चूंकि इसे लेकर बार-बार सवाल उठते रहते हैं इसलिए प्रक्रिया को बहुत ही ध्‍यान से किया जाता है ।