नये तरह से हो रही एटीएम कार्ड की चोरी, कार्ड से पेमेंट करते समय भूलकर भी ना करें ये गलतियां

एटीएम कार्ड क्लोनिंग की घटनाएं लगातार तेजी से बढ रही है, अब तो एक देश के के कस्टमर के डेबिट कार्ड का क्लोन कर दूसरे देश में ट्रांजेक्शन करने के मामले भी सामने आ रहे हैं।

New Delhi, Jul 08 : ऑनलाइन शॉपिंग तेजी से बढ रही है, साथ ही सरकार डिजिटल पेमेंट को भी बढावा दे रही है, लेकिन डिजिटल लेन-देन के बढने के साथ ही नये तरीके से फ्रॉड होने की संभावना भी बढ गई है। यदि आप भी डिजिटल ट्रांजेक्शन ज्यादा करते हैं, तो आपको कुछ बातों का विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिये, नहीं तो आपके साथ ही धोखाधड़ी हो सकता है। आपको बता दें कि पूरा मामला एटीएम कार्ड क्लोनिंग का है, जिसके जरिये लोगों को धोखा देने की खबरें लगातार आ रही है, जालसाज किसी डेबिट कार्ड का क्लोन बना लेते हैं, यानी वैसा ही डुप्लीकेट कार्ड तैयार कर उसका इस्तेमाल करते हैं।

कार्ड क्लोनिंग
कार्ड क्लोनिंग की घटनाएं लगातार तेजी से बढ रही है, अब तो एक देश के के कस्टमर के डेबिट कार्ड का क्लोन कर दूसरे देश में ट्रांजेक्शन करने के मामले भी सामने आ रहे हैं, atm1लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैसे कार्ड की क्लोनिंग होती है, इसके लिये जालसाज तरह-तरह के तरीके अपनाता है।

जालसाजी
जालसाज एटीएम और क्रेडिट कार्ड का डाटा चुराने के लिये कई तरह के तरीके अपनाते हैं, आपके कार्ड का डाटा चुराकर आपके कार्ड से कैसे खरीददारी की जाती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार होटल, पेट्रोल पंप, मेडिकल जैसे कई स्थानों पर आपके साथ धोखा हो सकता है, स्किमिंग, क्लोनिंग, फिशिंग से आपके डाटा की चोरी हो सकती है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स ?
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कई तरह की कार्ड स्किमर डिवाइस होती है, जिसके भीतर क्रेडिट, डेबिट कार्ड स्वाइप करने पर उस कार्ड की सारी जानकारी आपके कंप्यूटर और लैपटॉप में आ जाती है, इसके बाद एक खाली कार्ड लिया जाता है, जिसे एजवांस्ड तरह के प्रिंटर के जरिये क्लोन किये गये कार्ड की सारी जानकारी उस कार्ड के ऊपर प्रिंट कर दी जाती है। कई बार तो हूबहू ओरिजनल कार्ड के जैसी ही डुप्लीकेट कार्ड तैयार कर लिया जाता है।

ई-मेल से मंगाते हैं सीक्रेट डेटा
फिशिंग में साइबर क्रिमिनल कार्ड धारक के बैंक की ईमेल आईसी से मिलती जुलती ही एक फर्जी ई-मेल आईडी तैयार करते हैं, फिर उस फर्जी ई-मेल आईडी को कस्टमर को भेजकर उस पर सीक्रेट डेटा मंगवाते हैं। डेटा मिल जाने के बाद वो उससे धोखाधड़ी करते हैं।

ऐसे पहुंचता है नंबर
बैंक की तरह ही मिलती जुलती वेबसाइट की मदद से कार्ड की डिटेल लेकर भी कस्टमर को जालसाज अपना शिकार बनाते हैं, जैसे ही आप बैंक की साइट खोलते हैं, उसी लिंक से फर्जी साइट भी खुल जाती है, इस वेबसाइट में आप जैसे ही अपने कार्ड का नंबर और पासवर्ड डालेंगे, आपकी सारी जानकारी जालसाजों के पास पहुंच जाएगी।

सावधानी बरतें
एटीएम से पैसे निकालने से पहले एक बार जांच लें, कि कहीं कोर्ई स्कीमर तो नहीं है, स्वैपिंग प्वाइंट के अगल-बगल हाथ लगाकर देखें, अगर कोई वस्तु नजर आए, तो सावधान हो जाएं, स्कीमर की डिजाइन ऐसी होती है कि वो मशीन का पार्ट लगे। कीपैड का कोना दबाएं, अगर पैड स्कीमर होगा, तो एक सिरा उठ जाएगा, मौजूदा समय में जरुरी है कि डेबिट कार्ड का पिन बदल लें, इससे जालसाजों के जाल में फंसने से बच सकते हैं। अपना कार्ड दुकान में या कहीं भी दूर ना ले जाने दें, सामने खड़े होकर ही पेमेंट करें।