मोदी सरकार के इन 5 फैसलों से घुटनों पर आ गया पाकिस्तान, बातचीत इमरान खान की मजबूरी

मोदी सरकार ने पाक को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब शांति के नाम पर कबूतर उड़ाने की नीति नहीं अपनाई जाएगी।

New Delhi, Sep 20 : भारत में मोदी सरकार के आने के बाद से पड़ोसी मुल्क पाक को लेकर विदेश नीति में कई बदलाव देखने को मिले, अब मामला तैसे को तैसा वाला है, यानी अगर पाक आतंक का रास्ता नहीं छोड़ेगा, तो हम उससे किसी भी तरह की बात नहीं करेंगे, अगर सीमा पर फायरिंग करेगा, तो जवाब में भी गोली खाएगा। भारत सरकार ने पाक को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब शांति के नाम पर कबूतर उड़ाने की नीति नहीं अपनाई जाएगी। आइये आपको मोदी सरकार के पांच नीतियों के बारे में बताते हैं, जिससे पाक सरकार घुटनों पर आ गई है और इमरान खान ने मोदी को पत्र लिखकर बातचीत करने की बात कही है।

पाक के खिलाफ ट्रंप प्रशासन
अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर नकेल कसने की कोशिश की है, साथ ही भारत के आतंक विरोधी कदमों की तारीफ की है। बुधवार को अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी वार्षित रिपोर्ट कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय लीडरशिप ने घरेलू स्तर पर आतंकी हमले को रोकने के लिये संकल्प लिया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत लगातार हमले झेलते रहा, रिपोर्ट के बाद पाक को मिलने वाली अमेरिकी मदद पर असर पड़ेगा, साथ ही पाकिस्तान आतंकवाद के वित्त पोषण वाली नीति पर गंभीरता से विचार करेगा। जिम्मेदार ठहराया.’

हिज्बुल पर अमेरिकी प्रतिबंध
भारत सरकार की कोशिशों के बाद अमेरिका ने हिज्बुल मुजाहिद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित किया, साथ ही हिजबुल की अमेरिका में सारी संपत्ति सीज कर ली, साथ ही इस संगठन के साथ किसी भी तरह के लेन-देन पर भी रोक लगा दी, भारत सरकार के लिये ये बड़ी जीत थी, क्योंकि कश्मीर में दहशतगर्दी के लिये ये संगठन सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है।

यूएन में टेररिस्तान
मोदी सरकार ने पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है, पिछले साल 22 सितंबर को ऐसा पहली बार हुआ, जब यूएन में पाक के लिये सरेआम टेररिस्तान शब्द का इस्तेमाल किया गया, इतने तल्ख शब्दों में कभी भी पाकिस्तान को लताड़ नहीं लगी थी। पिछले साल ही सितंबर में पाक के पीएम शाबिद खाकान अब्बासी के झूठ पर भारत ने पलटवार करते हुए कहा था कि पाकिस्तान आतंकियों का गढ है, दुनिया को मानवाधिकार पर पाक के ज्ञान का आवश्यकता नहीं है।

सार्क में अलग-थलग पड़ा पाक
याद कीजिए, दो साल पहले सितंबर में सार्क सम्मेलन था, जो पाकिस्तान में आयोजित होना था, इस्लामाबाद में होने जा रहे इस सम्मेलन का भारत ने बहिष्कार किया था, जो देश आतंक को पनाह देता हो, वहां सम्मालन का कोई औचित्य नहीं, पीएम मोदी ने इस सम्मेलन में शिरकत नहीं करने का फैसला लिया था, इसके बाद नरेन्द्र मोदी ने जिन-जिन देशों का दौरा किया, वहां पाकिस्तान की सच्चाई बताई, कई देश मोदी के समर्थन में आगे आये और इस्लामाबाद के सम्मेलन में शरीक नहीं हुए।

करतारपुर कॉरिडोर और भारत
अभी हाल ही में कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू पाक गये थे, मौका था इमरान खान के शपथ ग्रहन समारोह का, सिद्धू पाक से संदेश लेकर आये कि पाक प्रसिद्ध गुरुद्वार करतारपुर साहिब का रास्ता खोलना चाहता है, ताकि भारत के सिख श्रद्धालु दर्शन कर सकें, चूंकि ये मामला विदेश मंत्रालय का था, इसलिये सिद्धू को इसमें पड़ने की आवश्यकता नहीं थी, हालांकि पाक के इस कथित पहल की बात उठी, लेकिन ऐन मौके पर विदेश राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह के खुलासे से पाक की असलियत सामने आ गई, उन्होने बताया कि पाक से इस तरह की कोई प्रस्ताव नहीं आया है, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी वीके सिंह की बात को दोहराया। भारत के दो टूक बातों से स्पष्ट हो गया, कि विदेश मामले विदेश मंत्रालय ही सुलझाएगी, ना कि किसी नेता के निजी दौरे से।