हार के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य को क्यों बनाया गया डिप्टी सीएम? बीजेपी नेतृत्व का बड़ा दांव

Keshav Prasad Maurya

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौर्य पर बीजेपी हाईकमान को भरोसा है, 2017 के विधानसभा चुनाव के समय मौर्य यूपी बीजेपी प्रमुख थे, इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

New Delhi, Mar 27 : शुक्रवार को योगी सरकार 2.0 के 52 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली, इस बार कई नये चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहीं कई बड़े नेताओं को योगी सरकार में जगह नहीं दी गई है, इस दौरान केशव प्रसाद मौर्य का नाम खूब चर्चा में है, मौर्य इस चुनाव में सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हार गये हैं, लेकिन इसके बाद भी बीजेपी नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर से डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन इसकी क्या वजह है कि योगी सरकार से केशव प्रसाद मौर्य को नहीं हटा या गया, आइये इसे समझते हैं।

नेतृत्व का भरोसा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौर्य पर बीजेपी हाईकमान को भरोसा है, 2017 के विधानसभा चुनाव के समय मौर्य यूपी बीजेपी प्रमुख थे, इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, उनकी अगुवाई में पार्टी ने 300 से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की, तब वो सीएम की दौड़ में थे, लेकिन डिप्टी सीएम पद मिला था, इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होने पार्टी के लिये काफी काम किया था।

ओबीसी के बड़े नेता
मौर्य पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता बन चुके हैं, ऐसा माना जाता है कि 2017 विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक के साथ मौर्य की ओबीसी छवि काफी काम आई थी, keshav brijesh मौर्य के नेतृत्व में कई पिछड़े समाज के नेता बीजेपी में शामिल हुए, इस चुनाव में कई पिछड़े समाज के नेता जहां बीजेपी छोड़ रहे थे, वहां मौर्य मजबूती से ओबीसी को जोड़ने में लगे रहे, उन्होने अपनी सीट के बजाय पूरे प्रदेश में प्रचार किया, इस दौरान मौर्य ने 100 से ज्यादा रैलियां और सभाएं की।

संघ के करीबी
केशव प्रसाद मौर्य को संघ का करीबी माना जाता है, बीजेपी संगठन में भी उनकी अच्छी पकड़ है, मौर्य विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता के रुप में 18 साल तक गंगापार और यमुनापार में प्रचारक रहे, keshav1 2012 विधानसभा चुनाव में सपा की लहर के बीच वो सिराथू से विधायक बने, ये पहला मौका था, जब यहां से बीजेपी जीती, इन वजहों के चलते बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया है।

2024 लोकसभा चुनाव के लिये अहम
आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य की जाति पूरे यूप  में है, इस जाति की पहचान अलग-अलग नामों से है, जैसे मौर्य, मोराओ, कुशवाहा, शाक्य, कोइरी, काछी और सैनी, ये सभी मिलाकर यूपी की कुल आबादी में 8.5 फीसदी है, इस जाति का यूपी की कई सीटों पर प्रभाव है, जानकारों का मानना है कि ऐसे में 2014 लोकसभा चुनाव में मौर्य ओबीसी के बड़े वोट बैंक को बीजेपी की झोली में डाल सकते हैं, वो फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं।