जैन समाज के लिए बुरी खबर, तेज तर्रार मुनि तरुण सागर जी महाराज का आज सुबह निधन हो गया । तरण सागर 51 वर्ष के थे पिछले कुछ दिनों से पीलिया जैसी बीमारी के शिकार हो गए थे ।
New Delhi, Sep 01 : कड़वे प्रवचन के लिए जाने जाने वाले जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का आज निधन हो गया । तीन हफ्ते पहले ही उन्हें पीलिया की बीमारी हुई थी । बीमारी बिगड़ने पर उनका इलाज मुश्किल होता जा रहा था । सेहत में सुधार ना होने के चलते जैन मुनि ने अपना इलाज करवाना बंद कर दिया था, दवाईयां खानी भी बंद कर दी थीं । गुरुवार सुबह उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होने शनिवार सुबह अपने प्राण त्याग दिए ।
संलेखना का प्रण किया
शुक्रवार को अस्पताल ले जाने से पहले उन्होने अपने गुरु पुष्पदंत सागर महाराज की स्वीकृति के बाद संलेखना जिसमें व्यक्ति आहार-जल आदि का त्या कर देता है, उसका प्रण ले लिया । जैन मुनि के गुरु पुष्पदंत सागर महाराज ने इससे पहले उनकी तबीयत को लेकर एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होने तरुण सार जी की गंभीर हालत के बारे में बताया था । साथ ही उन्होने इस बारे में एक पत्र भी लिखा था । पत्र में मुनि सौरभ सागर और अरुण सागर से दिल्ली जाकर उनकी समाधि में सहयोग करने के लिए कहा गया था।
बीमार चल रहे थे तरुण सागर
तरुण सागर जी लंबे समय से बीमार थे । उन्होने खाना पीना भी छोड़ दिया था । उन्होने संलेखना का प्रण ले लिया था वो ओर इलाज नहीं करवाना चाहते थे । जेन मुनि ने डॉक्टरों से दिल्ली के कृष्णा नगर स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल पर जाने को कहा था, जिसके बाद वे अपने अनुयायियों के साथ गुरुवार शाम चातुर्मास स्थल आ गए थे। यहीं उन्होने आज सुबह आखिरी सांसे ली । उनके अंतिम समय की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वारल हो रही है ।
1981 में छोड़ा घर
जैन समाज में मुनि तरुण सागर के निधन के बाद से शोक की लहर है । अपने कड़वे प्रवचनों की वजह से देश-विदेश में जाने जाने वाले तरुण सागर जअपने तेज तर्रार प्रवचनों के लिए मशहूर थे । उनका असली नाम पवन कुमार जैन है । तरुण सागर जी का जन्म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था। 1981 में उन्होंने घर छोड कर जेन मुनि की दीक्षा दीक्षा ली थी।
प्रधानमंत्री ने किया ट्वीट
पीएम नरेंद्र मोदी ने तरुण सागर जी महाराज के निधन पर ट्वीट कर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा, ‘मुनि तरुण सागर जी महाराज के असमय निधन से गहरा दुख हुआ है। उनके ऊंचे आदर्शों और समाज के प्रति योगदान के लिए हम उन्हें हमेशा याद रखेंगे। उनके विचार लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे। जैन समुदाय और उनके असंख्य अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदना है।’