926 करोड़ की डकैती को नाकाम करने वाले सीताराम को गेलैंट्री प्रमोशन देने की सिफारिश की गई है।
New Delhi, Feb 11 : जयपुर में 28 जनवरी को सीताराम एक्सिस बैंक में तैनात थे, उस दिन डीओ सुरेंद्र सिंह ने इंस्पेक्शन के दौरान उनसे रायफल दिखाने को कहा था, तो सीताराम ठीक से रायफल को एक्शन में नहीं ले सके। जिसके बाद डीओ ने जोरदार फटकार लगाया था। इस पर सीताराम दुखी हो गये थे, तभी उन्होने ठान लिया था कि वो अभी से अलर्ट रहेंगे, सीताराम के मुताबिक वो फटकार का ही असर था कि 10 दिन बाद उन्होने डकैतों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। 926 करोड़ की डकैती को नाकाम करने वाले सीताराम को गेलैंट्री प्रमोशन देने की सिफारिश की गई है।
डकैती की साजिश
वारदात वाली रात सी स्कीम बैंक के बाहर निजी गार्ड प्रमोद कुमार तैनात थे, रात करीब ढाई बजे की बात है, एक इनोवा कार बैंक के बाहर आकर खड़ी हुई, दो बदमाश गाड़ी में ही बैठे रहे, जबकि 5-6 दीवार फांदकर बैंक परिसर में दाखिल हुए। दो डकैत जिनके हाथ में पिस्तौल थी, उन दोनों ने गार्ड प्रमोद पर हमला किया, उन दोनों ने गार्ड के हाथ-पैर बांध दिये, फिर बाकी बदमाश बैंक का चैनल गेट खोलने लगे।
सीताराम ने की फायरिंग
बाहर शोर-शराबा सुन बैंक की तिजोरी की सुरक्षा में तैनात सीताराम ने बिना देर किये फायर कर दिया, दूसरे फायर के लिये निशाना साधा ही था, कि बदमाश घबरा कर भागने लगे, बदमाश डकैती की पूरी योजना बनाकर बैंक में पहुंचे थे, लेकिन सीताराम की सतर्कता की वजह से वो अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए।
डरावना पल था
सीताराम ने एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए बताया कि सचमुच वो डराने वाला पल थे, लेकिन सतर्कता की वजह से मुझे आगे के लिये हिम्मत मिल गई। मेरे लिये इस नौकरी तक पहुंचना भी आसान नहीं रहा है, मां-बाप ज्यादा पढे-लिखे नहीं हैं, सो मेहनत-मजदूरी करते हैं, मैं अपने मां-बाप का इकलौती संतान हूं, सो किसी तरह पढ-लिख कर नौकरी हासिल करना चाहता था, ताकि अपने बुजुर्ग मां-बाप का बुढापा संवार सकूं।
टीचर बनना चाहते थे
कांस्टेबल सीताराम ने बताया कि बीएड कर वो टीचर बनना चाहते थे, लेकिन कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में चुन लिये गये, जिसकी वजह से वो अलग ही राह पर आ गये। प्रोबेशन पीरियड खत्म होने के बाद बैंक में उनकी पहली पोस्टिंग है। डकैतों की साजिश नाकाम करने से उनके हौसले बुलंद हैं।
पहली पोस्टिंग
सीताराम ने आगे बोलते हुए कहा कि गांव में आज भी टीचरों का बड़ा सम्मान होता है, मेरे मां-बाप की भी यही ख्वाहिश थी कि बेटा टीचर बन जाए, बीएड करने के साथ ही मैंने तैयारी भी शुरु कर दी थी, फिर साल 2015 में कॉन्सटेबल भर्ती परीक्षा में मेरा चयन हो गया, जिसके बाद इसी नौकरी में मन लगाकर काम कर रहा हूं।
मां-बाप हैं खुश
राजस्थान पुलिस के कॉन्सटेबल ने बताया कि उनकी डेढ साल पहले ही शादी हुई है, घटना के बारे में जब परिवार वालों को पता चला, तो उनके पिता ने पहले तो उन्हें शाबाशी दी, फिर उनसे कहा कि बेटा तुमने क्या कर दिया है, हर किसी की जुबां पर तुम्हारे ही चर्चे हो रहे हैं, उनकी मां को भी उन पर गर्व हैं, उन्होने भी फोन कर बधाई और आशीर्वाद दिया।
सीकर के हैं सीताराम
मूल रुप से कॉन्सटेबल सीताराम राजस्थान के सीकर जिले के पूनियाणा गांव के रहने वाले हैं, उन्होने सीनियर सेकंडरी की पढाई दांतारामगढ से की है, तो कॉलेज की पढाई रेनवाल से। वो पढाई में काफी होशियार थे, 12वीं क्लास में उन्होने अपने स्कूल में टॉप किया था।
मां-बाप को लगता है डर
इस घटना के बाद सीताराम ने बताया कि जहां उनके मां-बाप खुश हैं, वहीं वो डरे हुए भी हैं, कि कहीं डकैत उनसे बदला लेने की कोशिश ना करें, इसलिये वो लोग उन्हें घर पर भी संभल कर रहने की सलाह दे रहे हैं। मां-बाप ने सीताराम को महकमे के साथ इसी मुस्तैदी से काम करने को कहा है।