‘तेजप्रताप यादव के बहकावे में आकर अनिकेत ने पत्रकार से की थी गाली-गलौच’

नेपाल मूल का अनिकेत वहां के दिग्गज पोलिटिसियन गजेन्द्र सिंह का खास रिस्तेदार है और कृष्णावतारी यादव का कृष्णा निकेतन स्कूल में पढ़ने के दिनों से मित्र है।

New Delhi, Oct 08 : लालू यादव बैठकी में कतना बेरी ‘अध्यात्मिक’ मूड में आ जाते हैं अउर बहुत ही ‘ज्ञानप्रद‘ बाते बताते हैं. एक वाक्या से अवगत कराता हूं. ‘जानते हो भेलारी, जदुवंशी एण्ड रशुवंशी दोनो एक ही बूट के दो दाल हैं. दूनो का मिजाज सेम सेम है. इसीलिए दूनो में पटरी नहीं धरता है. तीतीर के माफिक आपस में ढाही मारता है’.

रउवो पूरा रिर्सचे कईले बानी? ‘लो खईनी खाओ तब बताते हैं. दूनो जाति का दिमाग ठेहुना में होता है. दूनो में से कवनो जब ई बोलेगा कि कपार खूब दुखा रहा है तो समझ जाना कि ओकरा ठेहुना में दरद है.‘
हा हा हा हा हा रउवो कमाल के बात बताबत बानी. ‘तुमको बाबू साहेब काहे कहल जाला जानते हो’
जी ना, हमरा नईखें मालूम?

‘तुमलोग साहेब यानी अंग्रेज के बाबू यानी टहलुआ का काम करते थे. जईसे आजो गांव में कोई कहता है कि ऐ बबुआ दू रूपया के दुकान से खैनी लेते आव.’ बहरहाल, अमित भेलारी गाली एपीसोड के बाद मेरे को लगा है कि 15 बरस के अपने राज में लालू यादव ने अपने समाज के दिमाग को ठेहूना से निकालकर ओरीजिनल जगह पर ला दिये है.

अगर ऐसा नहीं होता तो अनिकेत सिंह राजपूत तेजप्रताप यादव के बहकावे में आकर अमित भेलारी को माई बहिन नहीं करता. नेपाल मूल का अनिकेत वहां के दिग्गज पोलिटिसियन गजेन्द्र सिंह का खास रिस्तेदार है और कृष्णावतारी यादव का कृष्णा निकेतन स्कूल में पढ़ने के दिनों से मित्र है. मेरी जानकारी के अनुसार पुलिस को उसने बताया है कि ‘गाली देने के लिए कृष्णाअवतारी ने कहा अउर मोबाईल नम्बर भी दिया’.

(वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)