पिता की मौत से भी नहीं घबराई गरीब घर की बेटी, अब एवरेस्ट फतह करने को तैयार

उस लड़की की कहानी हर किसी के दिल में नए हौसले जगाने के लिए काफी है। वो पिता की मौत के बाद भी नहीं घबराई। अब वो एवरेस्ट फतह करने के लिए तैयार है।

New Delhi, Mar 23: कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो दिल में जोश पैदा के लिए काफी होती हैं। खासतौर पर जब बेटियां ऐसी मिसाल पेश करती हैं, तो उन्हें बार बार सलाम करने का मन करता है। एक बेटी ऐसी भी है, जो अपने पिता की मौत से टूट गई थी, लेकिन उसने खुद को संभाला, मुश्किलों का पहाड़ चढ़ा और अब दुनिया का सबसे ऊंची चोटियों में शुमार एवरेस्ट फतह करने जा रही है।

बचपन में माता-पिता की मौत
जी हां उस बेटी का नाम है पूनम राणा, जिनकी उम्र महज 20 साल है। जीवन में इस बेटी में हर उस मुश्किल को पार किया, जो इस बेटी का रास्ते में बाधा बन रही थीं। अब इस बेटी ने दुनिया के सर्वोच्च शिखर की तरफ अपने कदम बढ़ाए हैं। जब पूनम छोटी थीं, तो उनके माता-पिता का निधन हो गया था। मुश्किलों का पहाड़ टूटना यहीं नहीं रुका था।

दो साल पहले हुई दो भाइयों की मौत
दो साल पहले पूनम के दो भाइयों की भी मौत हो गई थी। पूनम पूरी तरह से टूट गईं थी। जाहिर सी बात है कि परिवार पर अगर इस तरह से मुश्किलों का पहाड़ टूटे तो एक बेटी के आंसू नहीं थमते। लेकिन खुद को संभालने के लिए इस बेटी ने आगे कदम बढ़ाए। जिंदगी में कभी हार ना मानने का जज्बा दिल में उफान मारता रहा। इसके बाद कुछ अलग हुआ।

बछेंद्री पाल ने हौसला बढ़ाया
पर्यटन व्यवसायी दिपेंद्र पंवार ने इस दौरान पूनम का परिचय बछेंद्री पाल से करवाया। इसके बाद बछेंद्री पाल ने पूनम का हौसला बढ़ाया। जिंदगी में एक महान शख्सियत का साथ मिलना, भगवान का साथ मिलने से कम नहीं था। इसके बाद पूनम के हौसलों को नई उड़ान मिली। पहाड़ की ये बेटी पहाड़ जैसे बाधाओं को एक एक कर पार करने लगी थी।

जिंदगी में आगे रखा कदम
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनरिंग से पूनम ने बेसिक और एडवांस कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने एव रेस्ट बेस कैंप तक ट्रैकिंग की थी। इसके साथ ही ग्योखोरी, काला पत्थर, स्पीती, रुद्रगैरा, कनामो जैसे शिखरों पर पूनम ने सफल आरोहण किया। पूनम के हौसले को देखते हुए टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन ने उन्हें एव रेस्ट के अभियान के लिए चुना।

अब करना है बड़ा काम
इससे पहले पूनम प्री-एव रेस्ट अभियान में हिस्सा ले चुकी हैं। उन्होंने दक्षिणी अमेरिका के सबसे ऊंचे पर्वत एकांकागुआ पर चढ़ाई की थी। हालांकि इस दौरान एक बर्फीले तूफान की वजह से वो इस पर आरोहण नहीं कर पाई। हालांकि इस दौरान उन्होंने पर्वतारोहण की बारीकियां और चुनौतियों से लड़ना सीखा और ये सब सीखकर वापस लौट आईं।

देश कर रहा है सलाम
अब गुरुवार को विभिन्न संगठनों ने फ्लैग ऑफ कर पूनम को एवरेस्ट आरोहण के लिए रवाना किया। जिंदगी में तमाम परेशानियों से लड़ते हुए उन्होंने अपनी जिंदगी की हर बाधा को पार किया। बछेंद्री पाल के नेतृत्व में ये और भी ज्यादा मजबूत हुईं और अब दुनिया के सर्वोच्च शिखर को पार करने के लिए तैयार हैं। देशभर में पूनम के इस हौसले की तारीफ हो रही है।