नोट गिनते-गिनते थक गये अधिकारी, फिर मंगाई मशीन, VC के घर छापेमारी

gaya

विजिलेंस टीम ने जब घर की एक आलमारी खोली, तो उसमें नोटों की गड्डियां देख वो हैरान रह गई, पहले खुद ही गिनने की कोशिश की, बाद में गिनने के लिये मशीन मंगानी पड़ी।

New Delhi, Nov 19 : मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर तीस करोड़ रुपये से अधिक के दुरुपयोग के मामले में विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) का शिकंजा कसा है, छानबीन में करीब 1 करोड़ की नकदी, गहने तथा कई प्लॉट के कागजात मिलने के बाद एसवीयू ने छापेमारी की कार्रवाई से प्रदेश सरकार समेत अन्य संबंधित एजेंसियों को जानकारी भेज दी है।

नोटों की गड्डियां
सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस टीम ने जब घर की एक आलमारी खोली, तो उसमें नोटों की गड्डियां देख वो हैरान रह गई, पहले खुद ही गिनने की कोशिश की, बाद में गिनने के लिये मशीन मंगानी पड़ी, वहीं घर से बरामद जेवरात का आकलन करने के लिये पास के सर्राफा कारोबारी को बुलाया गया, जेवरात की कीमत करीब 15 लाख रुपये के आसपास है,  इसके अलावा जमीन के कई प्लॉट के कागजात मिले हैं, आवास में मिले गहने तथा दस्तावेज और उपहार का मूल्यांकन करने के बाद अधिकारियों ने बेटा तथा बहू को वापस कर दिया, नकदी तथा दस्तावेज की कॉपी छापेमारी टीम अपने साथ ले गई।

3 महीने पहले गाड़ी की चेकिंग
बिहार पुलिस की स्पेशल विजिलेंस यूनिट की नजर राजेन्द्र प्रसाद पर पिछले कई महीनों से थी, 3 महीने पहले वो गया से सरकारी गाड़ी से गोरखपुर आये थे, father carry daughter dead body (2) उनके पास भारी मात्रा में नकदी होने की सूचना मिलने के बाद गोरखपुर पुलिस ने विश्वविद्यालय चौराहा पर गाड़ी रोककर तलाशी ली, लेकिन पता नहीं चला, अचानक हुई चेकिंग से गाड़ी में सवार कुलपति हैरान रह गये थे, उन्होने पुलिस अधिकारी से गाड़ी चेक करने की वजह भी पूछी थी, तब उन्हें कहा गया कि गलतफहमी में गाड़ी रोक ली थी।

30 करोड़ का आरोप
30 करोड़ रुपये की बंदरबांट के आरोप में एसवीयू की जद में आये कुलपति राजेन्द्र प्रसाद के साथ कई दूसरे विश्वविद्यालयों के पदाधिकारी भी रडार पर हैं, एसवीयू को जांच के क्रम में कई अहम जानकारियां मिली है, जिनके आधार पर अन्य विश्वविद्यालयों से पत्राचार किया गया है, Indian currency डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने निविदा प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए मेसर्स एक्सएलआईसीटी साफ्टवेयर प्रा. लि. तथा पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट लखनऊ की जिस कंपनी को मगध विवि में सप्लाई का जिम्मा दिया था, उस कंपनी पर भी मुकदमा किया है।