पाकिस्तान पर आर्थिक संकट नहीं, अस्तित्व का संकट है?

बड़ी बड़ी डींगे हांकने वाले इमरान खान ने IMF के सामने अब तक का सबसे बड़ा कर्ज मांगा है. ये बात सही है कि इमरान के पास ऑप्शन्स नहीं है लेकिन ये फैसला भी पाकिस्तान के लिए अस्तित्व के लिए कई सारे खतरे लेकर आने वाला है।

New Delhi, Oct 21 : पाकिस्तान फिर से एक भयानक आर्थिक दलदल में फंस चुका है. वो पूरी तरह से कंगाल हो चुका है. अब इतने भी पैसे नहीं बचे कि वो कर्ज के ब्याज की किश्तें चुका सके. विदेशी मुद्रा का भंडार खाली हो चुका है. 2-3 सप्ताह के बाद कुछ आयात भी नहीं कर पाएगा. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पाकिस्तान कंगाली की कगार पर खड़ा हो. हर बार IMF पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज देकर मुसीबत से बाहर निकालता आया है. पहले पाकिस्तान पर अमेरिका का वरदहस्त होता था. हर बार IMF से पैसे मिल जाते थे. धीरे धीरे पाकिस्तान मुफ्तखोरी का एडिक्ट हो गया. 1980 से अब तक पाकिस्तान को 13 बार भीख मांगनी पड़ी है. गनीमत ये रही कि हर बार उसे IMF से भीख मिल गई. पिछली बार 2013 में पाकिस्तान को IMF की तरफ से 7.6 बिलियन डॉलर्स दिए. जिसकी वजह से पाकिस्तान तबाह होने से बच गया.

लेकिन अब पाशा पलट चुका है. हिंदुस्तान ने पाकिस्तान की दुष्टता को न सिर्फ उजागर किया बल्कि इसे दुनिया भर में अलग थलग करने में सफल रहा है. यही वजह है कि अमेरिका पाकिस्तान की ब्लैकमेलिंग से बाहर आ चुका है. जिन मुल्कों से अब तक पाकिस्तान खैरात लेता रहा उन्होंने भी अब तौबा कर लिया है. हकीकत ये है कि हिंदूस्तान से बराबरी करने के जुनून में पाकिस्तान ने खुद के अस्तित्व को दांव पर लगा दिया है.

कर्ज में डूबे हुए पाकिस्तान ने IMF से 8 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है. सरकार के इस फैसले से पीएम इमरान खान की साख खत्म हो गई है. क्योंकि चुनाव से पहले वो अपने भाषण में हमेशा इस बात को कहते रहे कि वो आत्महत्या कर लेंगे लेकिन IMF के पास नहीं जाएंगे. लेकिन वर्तमान आर्थिक संकट को टालने के लिए अब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा है. दुनिया भर में दो तीन मुल्क ही हैं जो उसकी मदद कर सकते हैं. उन्होंने भी पैसे देने से मना कर दिया. पाकिस्तान ने सबसे पहले साउदी अरब के सामने हाथ फैलाया था. लेकिन साउदी ने ऐसी शर्त रख दी जिसे पाकिस्तान ने मानने से इनकार कर दिया.

साउदी ने साफ लब्जों में कहा कि पैसे चाहिए तो पाकिस्तान की सेना को साउदी सेना के साथ मिल कर यमन के खिलाफ लड़ना होगा. ये युद्ध दो देश से ज्यादा शिया और सुन्नी के बीच की लड़ाई है. अगर शर्त मान ली होती तो ईरान से दुश्मनी हो जाती साथ ही पाकिस्तान के अंदर गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाती. चीन की शर्तें और भी खतरनाक है. पहले से ही CPEC के लिए पाकिस्तान 60 बिलियन डॉलर का कर्ज ले चुका है. कर्ज लौटाना तो दूर पाकिस्तान ब्याज भी नहीं दे पा रहा है. यही वजह है कि इमरान खान की सरकार साउदी और चीन के दलदल से बचने के लिए आईएमएफ जाने का फैसला किया.

बड़ी बड़ी डींगे हांकने वाले इमरान खान ने IMF के सामने अब तक का सबसे बड़ा कर्ज मांगा है. ये बात सही है कि इमरान के पास ऑप्शन्स नहीं है लेकिन ये फैसला भी पाकिस्तान के लिए अस्तित्व के लिए कई सारे खतरे लेकर आने वाला है. इमरान खान का ये फैसला पाकिस्तान की बर्बादी का जरिया बनने वाला है. साउदी और चीन के शर्तों का असर तो फौरन दिखता लेकिन IMF का असर मीठे जहर की तरह होने वाला है. दरअसल, IMF ने कर्ज देने से पहले ही पाकिस्तान के सामने कड़ी शर्तों को रखा है. ये शर्तें ऐसी हैं जिससे पाकिस्तान कुछ ही महीने, नही तो साल में टूट कर बिखड़ जाएगा. वो कैसे.. ये समझना जरूरी है.

2013 में भी पाकिस्तान आर्थिक संकट आया था. उस वक्त IMF ने 6.6 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज दिया था. उससे पांच साल पहले यानि 2008 में भी ऐसा ही बेल आउट पैकेज 7.6 बिलियन डॉलर का पाकिस्तान को दिया गया था. अब पाकिस्तान 2018 में फिर से 8 बिलियन डॉलर की भीख मांगने IMF पहुचा है. मतलब ये कि हर पांच साल में पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज की जरूरत पड़ रही है. IMF के अधिकारियों को दो साल पहले ही इसकी भनक लग गई थी. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर इतने पैसे गए कहां? उन्होंने जब जानने की कोशिश की तो उनके होश उड़ गए. पता चला कि पाकिस्तान में बजट का 30 फीसदी से ज्यादा हिस्सा कर्जों के ब्याज में जाता है. वहीं बजट का बड़ा हिस्सा सेना खा जाती है. वैसे कागज पर तो ये सिर्फ डिफेंस पर 23 फीसदी खर्च होता है. लेकिन इसमें न तो सैनिकों के पेंशन जुड़ा है और न ही खुफिया ISI और दूसरे अघोषित खर्च इसमें सम्मिलित है.

एक्पर्ट्स बताते हैं कि कुल मिला कर ये 50 फीसदी से ज्यादा तक पहुंच जाता है. इस पर कोई सवाल भी नहीं उठा सकता है. ऐसे में पाकिस्तान सरकार के पास बजट का 10 फीसदी पैसा नहीं बचता. यही वजह है कि एक डैम बनाने के लिए भी पाकिस्तान को चंदा जमा करना पड़ रहा है. आर्मी को खुश भी रखना है इसलिए हर साल बजट में शिक्षा और स्वास्थ में कटौती और डिफेस का हिस्सा बढ़ा दिया जाता है. इमरान खान ने मिनी बजट में डिफेंस बजट में 25 फीसदी का इजाफा किया है. पाकिस्तान की गुत्थी सुलझा रहे IMF के अधिकारियों को एक हैरान करने वाली जानकारी मिली. पता चला कि पाकिस्तान के अंदर सौ से ज्यादा ऐसे संगठन सक्रिय हैं जो आतंकवाद और जिहाद का प्रचार प्रसार करते हैं. इन्हें ISI पालता पोशता है. आतंकियों को सरकार से पैसे मिलते हैं. मतलब ये कि IMF का पैसा सीधे आंतकियों के हाथ में चला जाता है.

ये खुलासा होते ही इंटरनेशनल टेरर फिनांसिंग वाचडॉग – फिनाइसियल एक्शन टास्क फोर्स यानि FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया. मतलब ये कि पाकिस्तान की गिनती उन देशों में हो गई जो आतंकी सगठनों पर लगाम लगाना तो दूर उल्टा मदद करता है. इसकी पुष्टि तब हुई जब यूएन सिक्योरिटी कॉसिल ने दुनिया भर में फैले आंतकी सगठनों की लिस्ट जारी की. UNSC की लिस्ट में 339 नाम थे इनमें से 139 नाम ऐसे थे पाकिस्तान से ऑपरेट कर रहे हैं. पाकिस्तान इन जिहादी संगठनों पर लगाम इसलिए नहीं लगा सका क्योंकि आतंकी संगठनों ने समाज में अपनी जगह बना ली. पाकिस्तान दुनिया का अकेला मुल्क है जो इस्लाम के नाम पर बना है. और आंतकी सगठन खुद को इस्लाम के सिपाही बताते हैं. पाकिस्तान में सरकारी एजेंसियों से ज्यादा इन आतकी संगठनों की साख है. इसलिए किसी भी सरकार के लिए इन पर कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है.

इस बैकग्राउंड में पाकिस्तान एक बार फिर IMF के सामने हाथ फैलाए खड़ा है. लेकिन, इस बार IMF चौकस है. इन्होंने पाकिस्तान के सामने कुछ कड़ी शर्तें रखी है. पहला ये कि पाकिस्तान की करेंसी की वैल्यु 145-150 रुपये प्रति डालर किया जाए. फिलहाल ये 133 पर है. ये तो सिर्फ बानगी है. IMF ने पाकिस्तान को करेंसी को डीकंट्रोल करने को कहा है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे पाकिस्तानी रुपया 250 तक पहुंच सकता है. ये खबर आते ही इसका असर पाकिस्तान के शेयर मार्केट पर दिखा. एक ही झटके में 1000 प्वाइंट नीचे चला गया. मतलब साफ है कि पाकिस्तानी रुपये की वैल्यु गिरते ही बिजनेस चौपट हो जाएगा.

IMF की दूसरी बड़ी शर्त है अर्थ व्यवस्था में ट्रांसपिरेंसी. इसका मतलब ये है कि पाकिस्तान की सरकार कहां कहां से कर्ज लिए. किन शर्तों पर लिए. कहां कहां किस हिसाब से चुकाना है. ये सारी संवेदनशील जानकारियां IMF को देनी होगी. IMF को शक ये है कि पाकिस्तान बेलआउट पैकेज के पैसे को अपने कर्ज चुकाने में कर सकता है. इसी कड़ी में IMF ने चीन के साथ हुए CPEC करार का पूरा डिटेल देना होगा. चीन इस बात को लेकर काफी नाराज है. लेकिन ट्रासपिरेंसी की दूसरी शर्त पाकिस्तान को लिए काफी मंहगा साबित होगा. अब पाकिस्तान को ये भी बताना होगा कि बजट का पैसा वो किस तरह से खर्च कर रहा है. इसका सीधा असर आतंकी संगठनों और ISI की गतिविधियों पर पड़ेगा. खुफिया तरीके से अधोषित पैसे को जो अब तक आंतक की इंडस्ट्री में लगा रहा था उस पर लगाम लगाना होगा. पाकिस्तान हथियार तक खरीद नहीं पाएगा. क्योंकि इस बार एक एक पैसे का हिसाब IMF को देना होगा. इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान की आर्थिक संप्रभुता पर ग्रहण लग जाएगा.

IMF की तीसरी शर्त पाकिस्तान की इकोनोमी को उनके हिसाब से रिफार्म करना है. ये एक खतरनाक शर्त है. रिफॉर्म का मतलब है सरकार के खर्च में कटौती. सब्सिडी को बंद. टैक्स कलेक्शन को बढ़ाना. सरकार के खर्च में कटौती का मतलब है कि पाकिस्तान को अपने डिफेंस बजट को छोटा करना होगा. एक तरफ ISI को मिलने वाला अघोषित फंड बंद होगा उपर से सेना के पैसे में कटौती – इससे पाकिस्तान में भूचाल आ जाएगा. सत्ता पलट हो सकता है. इतना ही नहीं, IMF ने बिजली, पानी, पेट्रोल, डीजल और गैस से सब्सिडी हटाने को कहा है. इससे लोगों को काफी परेशानी होने वाली है क्योंकि हर चीज की कीमतें बढ़ेगी. सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन का दौर शुरु हो जाएगा. इतना ही नहीं, रिफार्म के तहत पाकिस्तान की सरकार को ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स नेट में लाना होगा और टैक्स कलेक्शन बढ़ाना होगा. फिलहाल ये बजट की सिर्फ 10 फीसदी है. इसे कम से कम 20 फीसदी करने को IMF ने कहा है.

IMF की शर्तों की लिस्ट काफी लंबी है औऱ पाकिस्तान के पास कोई चारा नहीं है. अगर IMF की शर्तों पर पाकिस्तान कर्ज लेता है तो बिजनेस चौपट होगा. महंगाई बढ़ेगी. लोगों पर कर का बोझ बढ़ेगा. इमरान खान के नए पाकिस्तान में हर तरफ हाहाकार मचेगा. बलुचिस्तान, सिंध और अब तो पंजाब के लोग भी धावा बोलेंगे. इतना ही नहीं, आर्मी नाराज होगी, ISI के पर कट जाएंगे. और तो और, आतंकी संगठन को जब पैसे नहीं मिलेंगे तो ये लोग पाकिस्तान में क्या बवाल मचाएंगे ये सोचा भी नहीं जा सकता है. बलुचिस्तान और सिंध में पाकिस्तान से अलग होने की तहरीक चल रही है. जिस देश की आर्थिक संप्रभुता खत्म हो जाती है वो देश एकजुट नहीं रह पाता है. बड़े ब़ड़े शक्तिशाली साम्राज्य टूट के बिखर चुके हैं. पाकिस्तान सोवियत युनियन की राह पर है, हालात नहीं बदले तो पाकिस्तान के विघटन को कोई रोक नहीं सकता है.

(वरिष्ठ पत्रकार मनीष कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)