छोटे दलों को एकजुट करने में जुटी मायावती, मोदी के मिशन में सेंधमारी के लिये तैयार है प्लान

मायावती को पीएम उम्मीदवार के रुप में प्रोजेक्ट किया गया, तो दलित वोट बैंक महागठबंधन की ओर आ सकता है।

New Delhi, Sep 10 : आम चुनाव 2019 में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। बीएसपी आगे बढकर सभी छोटे दलों से बात कर रही हैं, गठबंधन को महागठबंधन का रुप देने के लिये बहुजन समाज पार्टी आगे बढकर कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि एनसीआर की गाजियाबाद या नोएडा सीट आम आदमी पार्टी को दिया जा सकता है, साथ ही अपना गुट (कृष्णा गुट) और वामपंथी दलों को भी एकाध सीट दी जा सकती है। संभव है कि छोटे दलों के एक दो नेता बड़ी पार्टियों के सिंबल पर चुनाव लड़ें।

महागठबंधन की तैयारी
गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर विधानसभा सीट पर विपक्षी दल महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़े थे, गोरखपुर, फूलपुर में कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं थी, लेकिन तमाम छोटे दलों ने सपा उम्मीदवार को समर्थन दिया था। कैराना और नूरपुरमें कांग्रेस ने रालोद और सपा प्रत्याशी का समर्थन किया था, कहा जा रहा है कि कमोबेश कुछ ऐसा ही गठबंधन लोकसभा चुनाव 2019 में बनाने की योजना है।

मायावती करेगी अगुवाई
महागठबंधन के मुख्य घटक दल सपा और बसपा ही रहेंगे, रालोद के लिये कुछ सीटें छोड़ी जाएगी, पश्चिमी यूपी के जाट बहुल इलाकों में इस पार्टी की जनाधार है, हालांकि 2014 में मोदी की आंधी में सब सिमट कर रह गये थे, लेकिन कहा जा रहा है कि महागठबंधन बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना और मथुरा जैसी सीट रालोद के लिये छोड़ सकती है।

गोरखपुर जैसा प्रयोग
गोरखपुर में जैसे निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था, कुछ वैसा ही प्रयोग दूसरी सीटों पर भी किया जाएगा, पीस पार्टी, अपना दल, वामपंथी समेत छोटे-छोटे दलों के नेताओं को लोकसभा में पहुंचाने के लिये दूसरे दलों के सिंबल पर चुनाव लड़ाया जा सकता है, समाजवादी पार्टी सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस को भी महागठबंधन में रखने के लिये कोशिश की जा रही है, लेकिन ये इस बात पर निर्भर करेगा, कि एमपी, छत्तीसगढ और राजस्थान में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहता है। इसके बाद ही सपा-बसपा उन्हें गठबंधन में रखने पर फैसला करेंगे।

सीटों पर जल्द बातचीत
सूत्रों का दावा है कि गठबंधन के घटक दलों के बीच जल्द ही सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत होगी, संभव है कि मायावती सबसे ज्यादा सीटों पर लड़े, बसपा मायावती को पीएम के रुप में प्रोजेक्ट करेगी, ताकि उसका फायदा गठबंधन को हो। माना जा रहा है कि अगर मायावती को पीएम उम्मीदवार के रुप में प्रोजेक्ट किया गया, तो दलित वोट बैंक महागठबंधन की ओर आ सकता है। पिछले लोकसभा चुनान में दलितों ने बढ-चढ कर मोदी का साथ दिया था।