अंतरवस्त्र ना उतारना आरोप से बचने का आधार नहीं, बलात्कार केस में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

rape

कोर्ट ने कहा कि चूंकि पीड़िता नाबालिग है, आरोपित ने भी इस बात को कबूल किया है कि घटना वाले दिन वो खुद पर नियंत्रण नहीं कर सका, भावना में बहक गया, इसलिये आरोपित को सजा से मुक्त नहीं किया जा सकता।

New Delhi, Mar 17 : मेघालय हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से रेप के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी भी लड़की के ऊपर यौन यमला करने से समय चाहे वो अंडरवियर पहनी हो, या ना पहनी हो, इसे रेप या बलात्कार ही माना जाएगा, ये आईपीसी की धारा 375 बी के तहत अपराध माना जाएगा, हाईकोर्ट ने 10 साल की नाबालिग के साथ रेप के मामले में सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।

दोषी ठहराया
आपको बता दें कि मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश संजीब बनर्जी और जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह की डिवीजन बेंच ने इस मामले में निचली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें आरोपित को दोषी ठहराया गया था। ये घटना 23 सितंबर 2006 की है, जज ने कहा कि एक सप्ताब बाद मेडिकल जांच के दौरान नाबालिग के निजी अंग में दर्द हुई, इसलिये इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि नाबालिग के साथ स्पष्ट और सीधा यौन संबंध बनाये गये थे, जिसमें आरोपित की इस दलील को महत्व नहीं दिया जाएगा, कि उसने नाबालिक के निजी अंग से कपडे नहीं उतारे।

अंतरवस्त्र नहीं निकालना रेप ना करने के सबूत नहीं
31 अक्टूबर 2018 को निचली अदालत ने आरोपित को रेप का दोषी पाया था, उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था, आरोपित ने निचली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, girl कोर्ट में ये दलील थी कि इसे बलात्कार नहीं माना जाए, क्योंकि घटना के समय नाबालिग के अंतरवस्त्र को निकाला नहीं गया था, कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि उस समय उसने दर्द महसूस नहीं किया था, इसके चाहे जो भी कारण हों, लेकिन 1 अक्टूबर 2006 को मेडिकल जांच के दौरान उसे दर्द हुआ, इस आधार पर आरोपित के खिलाफ सिद्ध होने के पर्याप्त सबूत हैं।

निजी अंग पर हमला रेप के समान
कोर्ट ने कहा कि चूंकि पीड़िता नाबालिग है, आरोपित ने भी इस बात को कबूल किया है कि घटना वाले दिन वो खुद पर नियंत्रण नहीं कर सका, भावना में बहक गया, इसलिये आरोपित को सजा से मुक्त नहीं किया जा सकता, girl कोर्ट ने कहा कि महिला के निजी अंग में कुछ भी रगड़ना किसी भी हद तक सम्मिलित करना आईपीसी की धारा 375बी के तहत बलात्कार के समान होगा, ये पेनिट्रेशन के समान माना जाएगा, भले ही उसे इस दौरान पीड़िता को किसी तरह का दर्द महसूस ना हुआ हो।