कोई अधिकारी के परिवार से सवाल करे कि जब बेटा आईपीएस बना तो कितने में बेच कर शादी की?

अगर धारणा के आधार पर बात करें तो आईएएस-आईपीएस जैसी नौकरी में जाने के बाद दो ही तरह की शादी होती है- एक खुद से अपनी पसंद से करते हैं तो दूसरा खुद को अपने परिवार के माध्यम से बोली लगवाते हैं।

New Delhi, Sep 18 : अभी पिछले हफ्ते कानपुर के एक युवा आईपीएस से सुसाइड करने की खबर आयी। इसपर तरह-तरह की बात हुई। सुसाइड का कारण था पारिवारिक विवाद। जो खबर सामने आयी उसके मुताबिक उसकी बीबी मार्डन थी। अलग लाइफस्टाइल की थी। तो आईपीएस थोड़ा ग्रामीण परिवेश का था। मेल नहीं हो पाया। वह अपने पूरे परिवार के साथ रहना चाहता था तो बीबी अलग रहना चाहती थी।

यह बात पब्लिक डोमेन में आयी। इसके बाद जैसा कि होता है-एकतरफा तरीके से उसकी बीबी को ही सबसे बड़ी खलनायिका के रूप में सामने पेश कर दिया गया। तरह-तरह की बातें लिखी गयी। सोशल मीडिया पर खूब लिखा-पढ़ा गया। कई महिलाओं ने भी उसकी बीबी को ही मौत का दोषी माना।
लेकिन मेरी राय अलग है।

जिस तरह पब्लिक डोमेन में आयी बात और धारणा के आधार आईपीएस की पत्नी को मौत का दोषी कह दिया गया उसी धारणा के आधार पर क्या किसी ने सवाल उस अधिकारी के परिवार से पूछा कि जब बेटा आईपीएस बना तो कितने में बेच कर शादी की? अरेंज शादी थी। आईपीएस बनने के बाद हुई थी। अगर धारणा के आधार पर बात करें तो आईएएस-आईपीएस जैसी नौकरी में जाने के बाद दो ही तरह की शादी होती है- एक खुद से अपनी पसंद से करते हैं तो दूसरा खुद को अपने परिवार के माध्यम से बोली लगवाते हैं और जो सबसे अधिक बोली लगाता है वह उसे खरीद जाता है।

जाहिर है जिसे लाखों रुपये में खरीदा जाता है तो फिर पत्नी का कहना पूरी तरह वाजिब है कि उसके पिता ने 50-60 लाख रूपये घर का काम करने या उसके परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए नहीं दिया है। वह अपने हिसाब से चीजें तय करेगी और बिकने वालों को मानना होगा। और अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें खुद को बिक्री के लिए खड़ा नहीं करना चाहिए।
क्या ऐसा नहीं होता है? क्या आईपीएस की मौत के बाद यह सवाल उसके परिवार से भी नहीं पूछे जाने चाहिए? क्या सिर्फ उएसकी बीबी ही उसकी मौत की जिम्मेदार है?

(वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)