रंजीत रामचंद्रन इन दिनों बंगलुरु के क्रिस्ट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, शनिवार को उन्होने केरल के अपने घर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की।
New Delhi, Apr 11 : अगर इंसान ईमानदारी से मेहनत करे, तो कुछ भी हासिल कर सकता है, ऐसे लोग गरीबी और पैसों की किल्लत में भी अपने सपनों को कभी टूटने नहीं देते, कुछ ऐसी ही कहानी है केरल के रहने वाले रंजीत रामचंद्रन की, 28 वर्षीय रामचंद्रन का पिछले दिनों आईआईएम रांची में प्रोफेसर के तौर पर चयन हुआ है, उनकी संघर्ष भरी कहानी आपको भी जीवन में कुछ नया करने का हौसला देगा।
झुग्गी में जन्म
रंजीत रामचंद्रन इन दिनों बंगलुरु के क्रिस्ट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, शनिवार को उन्होने केरल के अपने घर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की, साथ ही लिखा, आईआईएम प्रोफेसर का जन्म इसी घर में हुआ है, प्लास्टिक और ईंट से बना ये छोटा सा घर किसी झुग्गी की तरह दिखता है, इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए उन्होने कहा कि वो चाहते हैं कि उनकी जीवन की संघर्ष भरी कहानी से आज के युवा प्रेरणा लें, रामचंद्रन ने कहा, मेरी सफलता दूसरों के सपनों को प्रेरित करना चाहिये, एक समय मैंने परिवार को सपोर्ट करने के लिये पढाई छोड़ने का फैसला कर लिया था।
गरीबी से संघर्ष
रंजीत के पिता रवींद्रन टेलर का काम करते हैं, मां बेबी मनरेगा मजदूर हैं, वो तीन भाई-बहन हैं, और ये सब 400 स्क्वायर फीट के घर में रहते हैं, वो केरल के कासरगोड जिले में एक अनुसूचित जनजाति श्रेणी के हैं, लेकिन रंजीत ने कहा कि उन्हें अपने करियर में आरक्षण की जरुरत नहीं है।
नाइट गार्ड की नौकरी
कासरगोड में कॉलेज के दिनों को याद करते हुए उन्होने कहा कि उच्च माध्यमिक शिक्षा के बाद मैं अपने माता-पिता को आर्थिक मदद देने के लिये नौकरी की, मुझे अपने छोटे भाई और बहन दोनों को पढाई के लिये पैसे देने थे, मुझे एक स्थानीय बीएसएनएल टेलीफोन एक्सचेंज में रात के चौकीदार की नौकरी मिल गई, इसके लिये मुझे 4 हजार रुपये महीने मिलते थे, मैंने अपने गांव के पास राजपुरम के पियस एक्सथ कॉलेज में डिग्री कोर्स (अर्थशास्त्र) में दाखिल लिया, दिन में कॉलेज जाता था और रात को चौकीदारी करता था, इसके बाद मैंने आईईटी मद्रास से इकॉनमिक्स की पढाई की।