तेजस्वी पर भारी पड़ेंगे पीके, वंशवाद और जातिवाद के खिलाफ नीतीश ने चला है नया पैंतरा

नीतीश पीके को उनकी जाति की वजह से लेकर आये, ये कहना बिल्कुल बेईमानी होगा, नीतीश और पीके की शरुआती मुलाकात के गवाह रहे लोगों का कहना है कि दोनों के बीच अपनापन है।

New Delhi, Sep 19 : नीतीश कुमार ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी ज्वाइन कराते हुए गले लगाया और पार्टी के नेताओं से उनका परिचय कराते हुए कहा कि ये भविष्य हैं। सुशासन बाबू के इस बयान के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, कोई उन्हें जदयू में नंबर दो की हैसियत वाला बता रहा है, तो कोई इसे नीतीश कुमार का सबसे बड़ा दांव कह रहा है। प्रशांत किशोर की कार्य कुशलता और क्षमता से नीतीश अच्छी तरह वाकिफ हैं।

पीके होंगे नीतीश के उत्तराधिकारी
जदयू के एक नेता ने नाम ना लिखने की शर्त पर कहा कि नीतीश जी के बेटे निशांत की सियासत में तनिक भी दिलचस्पी नहीं है, इसके साथ ही नीतीश अपने परिवार को पार्टी पर थोपना भी नहीं चाहते हैं, इसी वजह से वो पिछले कई सालों से ऐसे नेता की तलाश में थे, जो उनके बाद पार्टी की जिम्मेदारी संभाल सके। इसी कवायद में सुशासन बाबू ने राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह से लेकर आरसीपी सिंह तक को आजमाया, लेकिन नीतीश की कसौटी पर ये खरे नहीं उतर सके। पीके की कार्य कुशलता और रणनीतिक क्षमता से नीतीश बेहद प्रभावित हैं, इसी वजह से उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिये कहा।

जाति का दांव
बिहार के एक पत्रकार ने बताया कि पीके के जदयू ज्वाइन करने पर पार्टी के कार्यकर्ता जो पोस्टर चिपका रहे हैं, उन पर पीके का पूरा नाम प्रशांत किशोर पांडे लिखा हुआ है, आपको बता दें कि पीके मूल रुप से रोहतास जिले के रहने वाले हैं, लेकिन उनका बचपन बक्सर में बीता है, इसलिये वो इसे ही अपना घर मानते हैं, वो ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए हैं, उनके पिता श्रीकांत पांडे बक्सर जिले में सरकारी डॉक्टर थे, मां के बलिया जिले की हैं, पीके की पत्नी असम की रहने वाली हैं। जदयू पीके की जाति को भी प्रचारित कर रही है, ताकि चुनाव में उसका फायदा उठाया जा सके।

परदे के पीछे रहकर काम करना चाहते थे
नीतीश पीके को उनकी जाति की वजह से लेकर आये, ये कहना बिल्कुल बेईमानी होगा, नीतीश और पीके की शरुआती मुलाकात के गवाह रहे लोगों का कहना है कि दोनों के बीच अपनापन है। 2014 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी की इमेज चमकाने वाले पीके नेता नहीं बल्कि नीति निर्धारक बनना चाहते थे, वो परदे के पीछे रहकर काम करना चाहते थे, यही वजह है कि जब तक वो बीजेपी के साथ रहे, सुर्खियों से दूर रहे, 2015 में नीतीश के साथ काम करने के दौरान दोनों एक-दूसरे से बेहद प्रभावित हुए। नीतीश के बार-बार कहने पर उन्होने राजनीति में एंट्री ली है।

नीतीश ने बदल दिया
इन दोनों के करीबी नेता बताते हैं कि पटना आने से पहले गुजरात और दिल्ली में प्रशांत किशोर शर्ट-टीशर्ट और जींस पहना करते थे, लेकिन पटना में नीतीश के आग्रह के बाद उन्होने कुर्ता-पायजामा पहनना शुरु किया। यहां तक कि सबसे पहले नीतीश ने ही उनके लिये 6 जोड़ी कुर्ते-पायजामे बनवाये थे, जब भी पीके या नीतीश से एक-दूसरे को लेकर सवाल पूछा जाता है तो दोनों यही कहते हैं, कि ये रिश्ता बेहद आत्मीयता वाला और परिवार जैसा है।

2020 की तैयारी
अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव का काउंट डाउन शुरु हो जाएगा, कहा जा रहा है कि तेजस्वी अगले विधानसभा चुनाव में बड़ा फैक्टर हो सकते हैं, क्योंकि उनकी सक्रियता तेजी से बढ रही है, नीतीश खेमे की तरफ से जिम्मेदारी पीके संभालेंगे, यानी 2020 में बिहार में युवा बनाम युवा होगा, क्योंकि तेजस्वी बार-बार नीतीश को चच्चा-चच्चा कह ताना मारते हैं और कहते हैं कि अब उनके रिटायरमेंट की उम्र हो गई है।