गरीब ही तय करेंगे दिशा, मोदी सरकार योजनाओं को जमीन पर उतार रही

देश में गरीबी हटाओ का नारा बार-बार बुलंद हुआ है। इंदिरा गांधी से लेकर कई दूसरी सरकारों ने भी इसका सहारा लेकर जमकर वोट बटोरे परंतु गरीबी कम होने या खत्म होने के बजाय निरंतर बढ़ती गई।

New Delhi, Sep 26 : 2019 का आम चुनाव अब बहुत दूर नहीं रह गया है। यह कहें तो गलत नहीं होगा कि लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दल धीरे-धीरे चुनावी मोड़ में आते दिख रहे हैं। अब से छह महीने बाद यानी मार्च 2019 में किसी समय आम चुनाव का विधिवत ऐलान हो जाएगा और अप्रैल-मई में देश की जनता अपने वोट से तय कर देगी कि नरेन्द्र मोदी ही प्रधानमंत्री के तौर पर आगे काम करेंगे या नहीं।
लेकिन आम चुनाव से पहले इसी साल दिसंबर तक चार महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि इनके नतीजे 2019 के आम चुनाव की दशा और दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। और इनमें से तीन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं। इनमें भी दो राज्यों मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो पिछले पंद्रह साल से लगातार भाजपा का शासन चला आ रहा है। यानी मौजूदा सरकारों को तीव्र एंटी इन्कंबैंसी का सामना करना पड़ सकता है। राजस्थान के बारे में कई महीने से खबर आ रही है कि यह राज्य भाजपा के हाथों से फिसल सकता है। जिसमें चुनाव होना है, वो चौथा राज्य तेलंगाना है, जहां मुख्यमंत्री ने निर्धारित समय से छह महीने पहले विधानसभा भंग कर नया जनादेश लेने का फैसला किया है।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों के विरोधियों पर हमले और बोल तीखे होते जा रहे हैं। राफेल से लेकर तमाम दूसरे मुद्दों को उछालकर केन्द्र की मोदी सरकार को घेरने की कोशिशें की जा रही हैं। राफेल डील और इससे जुड़े निर्माण और वितरण संबंधी समझौतों और सौदों को लेकर फ्रांस से अंतरविरोधी खबरें आ रही हैं, जिनसे एक धुंध का आवरण पैदा करने की कोशिश विरोधी दल, खासकर कांग्रेस करने के प्रयास में है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अलग-अलग मौकों पर राफेल की कीमतों को लेकर अलग-अलग बयान दिये हैं। कुछ गलतबयानी भी की है। यूपीए सरकार के समय सौदा सिरे ही नहीं चढ़ पाया था लेकिन वो ऐसा दावा कई बार कर चुके हैं कि मनमोहन सिंह सरकार सस्ते में राफेल खरीद रही थी जबकि मोदी सरकार उसके तीन गुना मूल्य पर खरीद रही है। वित्तमंत्री अरुण जेटली से लेकर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और दूसरे भाजपा नेताओं ने बहुत कड़े शब्दों में राहुल गांधी को जवाब देते हुए दावा किया है कि राफेल डील यूपीए सरकार के मुकाबले कहीं साफ सुथरी है और सस्ती भी है। इसके विपरीत मनमोहन सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार रही है, जिसके दौर में टूजी, कामनवेल्थ, कोलगेट जैसे बड़े घोटाले हुए हैं।
चुनावी बेला है, लिहाजा ये हमले और प्रति हमले अभी और तीखे होंगे। जुबान और जहरीली होगी। पिछले दिनों राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को चोर तक कह डाला है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब किसी नेता ने प्रधानमंत्री के बारे में इस तरह की जुबान का इस्तेमाल किया हो। उनकी कथनी-करनी में कितना भारी अंतर है, यह देश महसूस कर रहा है। संसद में चालीस मिनट तक आक्रामक भाषण देने के बाद नाटकीय तरीके से प्रधानमंत्री मोदी के जबरदस्ती गले मिलने वाले दृश्य को कोई नहीं भूला है। ऐसा करके वह देश को संदेश देना चाहते थे कि वो प्रधानमंत्री का सम्मान करते हैं परंतु प्रधानमंत्री को चोर कहकर उन्होंने साबित कर दिया कि वह सम्मान सिर्फ दिखावा था। असलियत क्या है, वह सामने है।

यह आरोप-प्रत्यारोप चलते रहेंगे। हमलों की क्रिया-प्रतिक्रिया भी चलती रहेगी परंतु प्रधानमंत्री मोदी यह भली भांति जानते हैं कि चुनाव कैसे जीते जाते हैं। 2014 का चुनाव भारी बहुमत से जीतकर उन्होंने यह सिद्ध भी किया था। भाजपा की जीत का अभियान उसके बाद भी रुका नहीं। पंजाब, कर्नाटक और दिल्ली को छोड़ दें तो अधिकांश राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मोदी और अमित शाह की अगुआई में भाजपा ने ज्यादातर चुनावों में जीत हासिल करते हुए राज्य-दर-राज्य सरकारें गठित की हैं और कांग्रेस की जमीन पर कब्जा कर लिया है। आज भाजपा और उसके सहयोगी दलों की बाईस राज्यों में सरकारें काम कर रही हैं जबकि कांग्रेस पंजाब, कर्नाटक और पांडुचेरी जैसे तीन-चार छोटे राज्यों में सिमटकर रह गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने विरोधी दलों और मीडिया के एक अंग के जबरदस्त विरोध के बावजूद जहां एक ओर विमुद्रीकरण और जीएसटी को लागू करने के अहम फैसले लेकर आर्थिक सुधारों की तरफ मजबूती से कदम बढ़ाने का साहस दिखाया है, वहीं उन्होंने भाजपा के साथ गरीबों को जोड़ने की कई सुविचारित योजनाओं को जमीन पर उतारने में कामयाबी भी हासिल की है। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लेकर तमाम क्षेत्रीय दल जिस वर्ग को अपना पुख्ता वोट बैंक मानकर केन्द्र में बनने वाली सरकारों की नाक में दम किए रहते थे, उस गरीब वर्ग को भाजपा के साथ जोड़ने का महाभियान मोदी चलाते आ रहे हैं।

पहले उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मनरेगा जैसी योजना जारी रहे ताकि गरीबों, खेतिहर मजदूरों को काम मिलता रहे। दूसरा फैसला उन्होंने गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन और सिलेंडर देने का किया। पहले पांच करोड़ परिवारों तक योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा। फिर इसे आठ करोड़ परिवारों तक लेकर गए। यही नहीं, उनकी सरकार ने चार करोड़ ऐसे परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का भी फैसला लिया, जिनके घरों में आजादी के सात दशक बाद भी बल्ब की रोशनी नहीं हुई थी। ऐसा करके मोदी सरकार ने एक ही झटके में करीब साठ करोड़ आबादी के दिलों में भाजपा के प्रति ज्योति जलाने में कामयाबी हासिल कर ली।
आयुष्मान भारत योजना को आम चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार का बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। ऐसे परिवारों को इस योजना का लाभ मिलने जा रहा है, जो गरीब हैं और अब से पहले पैसों के अभाव में अपने प्रियजनों को इलाज के अभाव में दम तोड़ते हुए देखने के लिए अभिशप्त थे। प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत देश के दस करोड़ गरीब परिवारों की पहचान कर ली गई है, जिन्हें इसके दायरे में लाया गया है। उन्हें ई-हेल्थ कार्ड दिए जा रहे हैं। पूरे देश में दस हजार सरकारी गैरसरकारी अस्पतालों को उनके मुफ्त इलाज के लिए रजिस्टर्ड कर लिया गया है। पांच हजार और अस्पतालों को इसमें शामिल करने की प्रक्रिया जारी है।

गरीब परिवारों को हर साल पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराने की सुविधा इन अस्पतालों में होगी। उन्हें अब कैंसर सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, हार्ट बाइपास सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, रीढ़ की सर्जरी, दांतों की सर्जरी, आंखों की सर्जरी, सीटी स्कैन, और एमआरआई सहित 1354 तरह की बीमारियों और उनके इलाज में कुछ नहीं देना होगा। यानी गरीबों का पूरी तरह वहां कैशलेस इलाज होगा। इलाज का साठ प्रतिशत खर्च केन्द्र की मोदी सरकार स्वयं उठाएगी और चालीस प्रतिशत राज्य सरकारें वहन करेंगी। दस करोड़ परिवारों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने का सीधा सा मतलब है कि इसका लाभ देश की पचास करोड़ से अधिक आबादी उठाने की पात्र होगी। आप अंदाजा लगाइए कि जिन घरों में मोदी सरकार मुफ्त में रसोई गैस-सिलेंडर, मुफ्त में बिजली का कनेक्शन और मुफ्त में इलाज की सुविधा दे रही है, उनके दिलों में उनके प्रति कैसे भाव उत्पन्न होंगे। यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने यह ऐलान भी किया है कि आजादी के इतने सालों बाद तक भी जो बेघर हैं, उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उन्हें 2022 तक अपनी छत मिल जाए। वह किसानों की आमदनी भी दोगुनी करने का ऐलान कर चुके हैं। यानी जिस वर्ग को अब तक भाजपा का वोटर नहीं माना जाता था, वह 2019 में अगर डटकर भाजपा को वोट डाले तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार ओमकार चौधरी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)