अडल्‍टरी पर आया सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, लगे हाथ ओवैसी ने पीएम मोदी से कर दी बड़ी अपील

अडल्टरी कानून पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय के फैसले के बाद आवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी को तीन तलाक पर घेरा है । आवैसी ने मोदी से अपील की है कि सरकार तीन तलाक पर लाए कानून को वापस ले ।

New Delhi, Sep 27 : अडल्‍टरी यानी व्‍याभिचार पर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। ओवैसी ने ट्वीट कर ट्रिपल तलाक पर लाए गए अध्यादेश को सरकार से वापस लेने की मांग की है । आवैसी का ये बयान तब आया हे जब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला करते हुए कहा कि विवाहेतर संबंध अपराध के दायरे से बाहर हैं, साथ ही व्यभिचार मामले में चले आ रहे 153 साल पुराने कानून IPC की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया।

ओवैसी का ट्वीट
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, केन्‍द्र सरकार पर हमला बोलते हुए ओवैसी ने लिखा –  ‘सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक नहीं कहा है जबकि शीर्ष कोर्ट ने 377 और 497 को असंवैधानिक करार दिया ‘क्या मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सबक लेते हुए तीन तलाक पर अपने असंवैधानिक अध्यादेश को वापस लेगी?’  ‘अध्यादेश के पहले पेज में सरकार कहती है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है जबकि SC ने ऐसा कुछ नहीं कहा है।’

अध्यादेश है फ्रॉड
ANI के अनुसार ओवैसी ने कहा कि उनकी राय में 3 तलाक अध्यादेश को कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए, यह केन्‍द्र सरकार का एक फ्रॉड है। ओवैसी का ये बयान धारा 377 और 497 को असंवैधानिक करार देने के बाद आया है । ओवैसी ने इन कानूनों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर ही तीन तलाक पर सरकार की ओर से लाए गए अध्‍यादेश को वापस लेने की मांग की है ।

3 तलाक पर कानून
आपको बता दें कि हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट की ओर से एक बार में 3 तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी । इस अध्‍यादेश को राष्ट्रपति की ओर से भी मुहर लगा दी गई है । अब सरकार 6 महीने में इस बिल को संसद के दोनों सदनों में पास कराने की कोशिश करेगी । मोदी सरकार के इस कदम से जहां मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर है वहीं कानून आने से कई नाराज भी हैं । ओवैसी ने भी इस कानून को एक फ्रॉड बताया है ।

अडल्‍टरी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
आपको बता दें गुरुवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने स्त्री और पुरुष के बीच विवाहेतर संबंध से जुड़ी IPC की धारा 497 को गैरसंवैधानिक करार दिया है । सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एकमत से कहा कि महिला के साथ असम्मान व्यवहार नहीं किया जा सकता है । हमारे लोकतंत्र की खूबी ही मैं, तुम और हम की है ।