किसानों के नाम पीएम मोदी का संबोधन, अब जीरो बजट खेती को लेकर दिया मंत्र

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पीएम मोदी ने कहा मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरुर जुड़ें।

New Delhi, Dec 16 : पीएम मोदी आज कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान किसानों को संबोधित किया, गुजरात के आणंद में कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण पर आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के जरिये मोदी ने किसानों से अपने मन की बात की, पीएमओ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस शिखर सम्मेलन में प्राकृतिक खेती पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके अपनाने के लाभों के बारे में सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

कृषि क्षेत्र में तकनीक का बड़ा रोल
पीएम मोदी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिये आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है, मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि Narendra Modi प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरुर जुड़ें, आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से तकनीक के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं।

किसानों की आय बढाने पर जोर
प्रधानमंत्री ने कहा खेती के साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन और सौर ऊर्जा, बायो फ्यूल जैसे आय के अनेक वैकल्पिक साधनों से किसानों को निरंतर जोड़ा जा रहा है, गांवों में भंडारण, कोल्ड चैन और फूड प्रोसेसिंग को बल देने के लिये लाखों करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, बीज से लेकर बाजार तक, किसान की आय को बढाने के लिये एक के बाद एक अनेक कदम उठाये गये हैं, मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नये बीज तक हमारी सरकार ने काम किया है। पीएम ने ये भी कहा कि किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ गुना एमएसपी करने तक और सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक हमारी सरकार ने किसानों की आमदनी बढाने के लिये कई कदम उठाये हैं।

जीरो बजट खेती का मंत्र
नेचुरल फार्मिंग का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है, लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही काम करते रहना होगा, बीज से लेकर मिट्टी तक सबका इलाज आप प्राकृतिक तरीके से कर सकते हैं, प्राकृतिक खेती में ना तो खाद पर खर्च करना है और ना ही कीटनाशक पर, इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है, बाढ-सूखे से निपटने में ये सक्षम होती है।