घर की लड़ाई बनाएगी मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री, बीजेपी को जबरदस्त फायदा

महाराष्ट्र में पवार परिवार में झगड़ा अखबारों की सुर्खियां बटोर रहा है, खबरों की मानें तो शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच मतभेद है।

New Delhi, Mar 20 : देश की राजनीति में तेजी से परिवारवाद बढ रहा है, उससे भी ज्यादा तेजी से इन परिवारों में झगड़ा भी बढता जा रहा है, दक्षिण में करुणानिधि के परिवार से लेकर महाराष्ट्र में ठाकरे और पवार परिवार इसके जीवंत उदाहरण है, यूपी-बिहार में ही यादव परिवार में खुलकर झगड़ा सामने आ गया है, इन सबसे बीजेपी को फायदा होता दिख रहा है, बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के घर की लड़ाई को इस बार बड़ी आसानी से सुलझा लिया है।

घर में रार
तमिलनाडु में करुणानिधि परिवार में झगड़ा अभी भी कायम है, उनके दोनों बेटों अलागिरी और स्टालिन के बीच झगड़ा पिता के रहते हुए ही शुरु हो गया था, स्टालिन के हाथों में पार्टी की बागडोर मिलने के बाद अलागिरी अलग-थलग पड़ गये हैं, अलागिरी लोकसभा चुनाव में किसके साथ जाएंगे, इस बारे में फिलहाल तो उन्होने फैसला नहीं लिया है, लेकिन बीजेपी से उनके नजदीकियों की खबरें आती रहती है।

यूपी में बीजेपी के लिये फायदे का सौदा
यूपी में सबसे ताकतवर यादव परिवार में भी कलह सतह पर आ चुका है, सालों तक पार्टी की पहचान समझे जाने वाले शिवपाल यादव ने भले सपा से अलग होकर नई पार्टी बना ली हो, लेकिन यादव परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है, अखिलेश यादव के लिये एक सीट तक तय नहीं हो पाई है, सूत्रों का दावा है कि जिस आजमगढ सीट से अखिलेश चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, वहां मुलायम सिंह यादव ने तेज प्रताप के लिये दावा ठोंक दिया है।

बिहार में भी झगड़ा
बिहार में ही लालू परिवार का झगड़ा कई बार सड़क पर आ चुका है, लालू के दोनों बेटे अलग दिशा में जाने की कोशिश करते हैं, तेज प्रताप कई बार पार्टी लाइन से हटकर बयान दे चुके हैं, हालांकि लालू प्रसाद ने हर बार मामले को समेटने की कोशिश की है, लेकिन अभी भी तेज प्रताप अपने परिवार के साथ रहने के बजाय अकेले रह रहे हैं।

महाराष्ट्र में भी एनडीए फायदे में
महाराष्ट्र में पवार परिवार में झगड़ा अखबारों की सुर्खियां बटोर रहा है, खबरों की मानें तो शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच मतभेद है, अजित अपने बेटे पार्थ को लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते थे, जबकि शरद पवार इसके पक्ष में नहीं थे, अजित पवार के दबाव के बाद एनसीपी सुप्रीमो ने खुद ही चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया, दूसरी ओर सालों से चला आ रहा ठाकरे परिवार का झगड़ा इस चुनाव में सुलझता दिख रहा है। उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान दिये जाने के बाद नाराज राज ठाकरे ने अलग पार्टी बना ली थी, लगभग हर चुनाव में मनसे ने शिवसेना को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन इसा बार मनसे के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से शिवसेना ने राहत की सांस ली है, ठाकरे परिवार के एक होने से बीजेपी को फायदा मिलेगा।