अटल जी की पवित्र चिता पर “मोदी विरोध” की रोटियां सेंकने में लगा ‘रुदाली गैंग’

“रुदाली गैंग” से कुछ सवाल, क्या चुनावी साल में इंदिरा जी के अस्थिकलश जब पूरे देश में घुमाए और दिखाए जा रहे थे तब क्या वो इवेंट नहीं थी ?

New Delhi, Aug 23 : अटल जी की पवित्र चिता पर “मोदी विरोध” की रोटियां सेंकने वाला “रुदाली गैंग” (तथाकथित बुद्धिजीवियों का गिरोह) अपनी ओछी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। अब इस “रुदाली गैंग” ने अटल जी के अस्थि कलशों पर अपनी गिद्ध दृष्टि डाली है। इनका कहना है कि अलग-अलग राज्यों में, अलग-अलग शहरों में, अलग-अलग नदियों में अटल जी के अस्थि कलश ले जाकर मोदी सरकार इसे इवेंट बना रही है। क्या देश में ऐसी तथाकथित “इवेंट” पहली बार हुई है ???… नहीं… बिल्कुल नहीं… अब तथ्यों की बात…

“रुदाली गैंग” की जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि 1984 में इंदिरा गांधी के अस्थिकलश देश के 22 राज्यों (उस समय इतने ही राज्य थे) और 9 केंद्र शाषित प्रदेशों में स्पेशल ट्रेन और विमानों द्वारा भेजे गए थे। देश के सभी बड़े शहरों में इन अस्थिकलश का जुलूस निकाला गया था, जबकि वो चुनावी साल था। सबूत के तौर पर कमेंट बॉक्स में इसका लिंक भी शेयर कर रहा हूं, “रुदाली गैंग” इस पढ़ कर अपने “अति सामान्य” ज्ञान में थोड़ी सी वृद्धि कर सकता है। ठीक उसी दिन के आस-पास दूरदर्शन पर देखा था। विमान में राजीव गांधी थे, सोनिया भी थीं, और उनके हाथ में इंदिरा जी का अस्थि कलश था जिसे विमान से हिमालय में बिखेरा गया था। अपने पिता जवाहर लाल नेहरू की तरह ये इंदिरा गांधी की अंतिम इच्छा थी कि उनकी राख हिमालय पर बिखेर दी जाए।

अब बात 1991 की, वो भी चुनावी साल था और बीच चुनाव में राजीव गांधी की हत्या हो गई। बाकी दो दौर के चुनाव टाल दिए गए। इसी दौरान राजीव की अस्थियों से 35 कलश भरे गए, जिनमें से दो कलश एक स्पेशल ट्रेन से इलाहाबाद भेजे गए, जिसमें तमाम कांग्रेस के नेता थे, जो हर स्टेशन पर लोगों का अभिवादन कर रहे थे। “रुदाली गैंग” के लिए बतौर सबूत इंडिया टुडे का लिंक कमेंट बॉक्स में शेयर कर रहा हूं। बाकी के 33 अस्थिकलश देश के अलग-अलग शहरों में ले जाए गए और जनता के दर्शन के लिए इन्हे रखा गया। “रुदाली गैंग” के लिए इसका सबूत भी कमेंट बॉक्स में शेयर कर रहा हूं।
एक और बात, संजय गांधी तक के अस्थिकलश एक स्पेशल ट्रेन में इलाहाबाद तक ले जाए गए थे। और हर स्टेशन पर एक-एक घंटा ट्रेन रोक कर लोगों को दर्शन करवाए गए।

अब इस मुद्दे पर “रुदाली गैंग” से कुछ सवाल, क्या चुनावी साल में इंदिरा जी के अस्थिकलश जब पूरे देश में घुमाए और दिखाए जा रहे थे तब क्या वो इवेंट नहीं थी ? क्या आज “रुदाली गैंग” ये मानेगा कि चुनाव जीतने के लिए राजीव गांधी ने ये सब किया था ? क्या 1984 के चुनावों में राजीव गांधी को मिला ऐतिहासिक प्रचंड बहुमत इंदिरा के अस्थिकलश ने ही दिलवाया था ? क्या 1991 के चुनावी साल में कांग्रेस को बहुमत राजीव के अस्थिकलशों ने दिलवाया था ? क्या राजीव के अस्थिकलशों को कांग्रेस ने इवेंट नहीं बनाया ? इंदिरा और राजीव की तरह नेहरू और गांधी जी के अस्थिकलश को भी पूरे देश में घुमाया गया था… क्या वो भी इवेंट थी ?
अब सवाल उठता है कि क्या किसी पार्टी या संगठन को अपने सबसे काबिल और लोकप्रिय नेता के अस्थिकलश का जनता के बीच ले जाने का हक नहीं है ??? वो नेता जिसकी 10 साल से किसी ने तस्वीर भी नहीं देखी थी फिर भी उसकी मृत्यु पर स्वस्फूर्त लाखों लोगों की भीड़ दिल्ली में उमड़ पड़ी… क्या देश के बाकी शहरों में बसे अटल जी के लाखों प्रशसंको को ये हक नहीं है कि वो अपने प्रिय नेता के पवित्र अवशेषों के दर्शन कर सकें ???

अंत में बताना चाहता हूं कि इंदिरा जी के अस्थिकलश इंदौर में मेरे घर के सामने से भी गुज़रे थे… तब मैं 6 साल का था… मुझे याद है कि मैं और मेरी बहन ने घर के बगीचे से फूल तोड़े और इंतज़ार करने लगे… दोपहर में एक खुली जीप और सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ इंदिरा जी के अस्थिकलश की यात्रा निकली… मुझे अच्छे से याद है अस्थिकलश वाली खुली जीप में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह खड़े थे और लोगों का अभिवादन कर रहे थे… हमने भी उस दिन देश की इस महान नेता के लिए फूल चढ़ाए थे…
मुझे इस तरह के तर्क देना, बहस करना अच्छा नहीं लगता है… लेकिन जब कुछ बुद्धिजीवी इस तरह की तुच्छ और ओछी हरकतें करने लगते हैं तो जवाब देने से खुद को नहीं रोक पाता हूं… फिर भी किसी का दिल दुखा है तो माफी चाहता हूं।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)