केजरीवाल की पार्टी को लेकर प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी, नाराज हो सकते हैं आप संयोजक!

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प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी के लोकप्रिय होने का ये मतलब नहीं है कि वो चुनाव नहीं हार सकता, जैसा कि बंगाल में हुआ, इसके बाद उन्होने अगला उदाहरण अखिलेश यादव का दिया।

New Delhi, Mar 29 : चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आम आदमी पार्टी को लेकर भविष्यवाणी की है, उन्होने कहा कि आप को राष्ट्रीय दल बनने में 15 से 20 साल लगेगा, किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय दल बनने के लिये 20 करोड़ वोट हासिल करने की जरुरत है, जबकि आप को 2019 में 27 लाख वोट मिले थे, उन्होने कहा कि देश में अब तक कांग्रेस और बीजेपी ही राष्ट्रीय दल के तौर पर उभर पाये हैं, उन्होने कहा कि देश में कई दलों ने इसकी कोशिश की है, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, इसका ये मतलब नहीं है कि कोई दूसरा दल राष्ट्रीय पार्टी नहीं बन सकता, लेकिन रातों-रात नहीं हो सकता, इसके लिये वक्त चाहिये।

क्या कहा
पीके ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि सैद्धांतिक तौर पर कोई भी दल राष्ट्रीय पार्टी बन सकता है, लेकिन इतिहास में जब आप झांकेंगे, तो पता चलता है कि बीजेपी और कांग्रेस ही पूरे भारत तक पहुंच पाये हैं, prashant kishor (1) इसका ये मतलब नहीं है कि कोई दूसरा दल ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन इसके लिये लगातार 15-20 सालों तक संघर्ष करने की जरुरत है, ऐसा कोई बदलाव रातों-रात नहीं हो सकता, पंजाब विधानसभा चुनाव में आप के क्लीन स्वीप को लेकर पूछे गये सवाल पर पीके ने ये बात कही है। पीएम मोदी की पॉपुलैरिटी पर पीके ने कहा कि आज भी उनके समर्थक डटे हुए हैं।

पीएम मोदी पर क्या बोले
इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी के लोकप्रिय होने का ये मतलब नहीं है कि वो चुनाव नहीं हार सकता, जैसा कि बंगाल में हुआ, इसके बाद उन्होने अगला उदाहरण अखिलेश यादव का दिया, उन्होने कहा कि अखिलेश यादव की सभाओं में खूब भीड़ आ रही थी, 30 फीसदी से ज्यादा वोट मिला, इसके बाद भी हार का सामना करना पड़ा।

बेरोजगारी और महंगाई के बाद भी क्यों जीत रही बीजेपी
बीजेपी की चार राज्यों में जीत के बाद क्या बेरोजगारी और महंगाई मुद्दे नहीं रह गये हैं, इस पर पीके ने कहा, नहीं ऐसा नहीं है, बीजेपी को 38 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि 62 फीसदी लोगों ने उनके खिलाफ मतदान किया है, Prashant Kishor इसका अर्थ हुआ कि देश के 100 में से 38 लोग उनके साथ हैं, लेकिन बात ये है कि ये जो 62 लोग हैं, वो वोटिंग पैटर्न के मामले में एकजुट नहीं है, इसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है।