प्रशांत किशोर ने बताया राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी के बीच क्या अंतर है ?

मोदी और राहुल गांधी में क्या अंतर पर है, इस सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि इस पर तो एक किताब लिखी जा सकती है।

New Delhi, Oct 21 : चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने पीएम नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच का फर्क बताया है। आपको बता दें कि पीके दोनों ही दिग्गज राजनेता के साथ काम कर चुके हैं, हाल ही में एक इंटरव्यू में उनसे सवाल किया गया कि पीएम मोदी और राहुल गांधी के वर्किग स्टाइल में क्या अंतर है, तो इस पर मुस्कुराते हुए पीके ने कहा कि इस पर एक किताब लिखी जा सकती है।

पीके ने क्या कहा ?
मोदी और राहुल गांधी में क्या अंतर पर है, इस सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि इस पर तो एक किताब लिखी जा सकती है। पीके ने मुस्कुराते हुए कहा कि पीएम मोदी जांबाज और जोखिम उठाने वालों में से एक हैं, जबकि राहुल गांधी स्टेट्स क्वॉइस़्ट ( यथास्थिति बनाये रखने में यकीन रखने वाले) हैं। आपको बता दें कि राजनीति में आने के बाद पीके ने पहली बार मीडिया को इंटरव्यू दिया है।

एमजे अकबर को लेकर भी सवाल पूछा गया
आईआईटी में हुए एक कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर से वरिष्ठ टीवी पत्रकार बरखा दत्त सवाल कर रही थी, उन्होने केन्द्रीय मंत्री एमजे अकबर पर लगे यौन शोषण का आरोपों पर भी पीके से सवाल किया, तो इस पर उन्होने दो टूक शब्दों में कहा कि मैं सरकार की ओर से इस पर कुछ भी नहीं कहूंगा। मालूम हो कि पीके हाल ही में बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू का हिस्सा बने हैं।

नीतीश ने बनाया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी कहा जा कहा है। साल 2015 में जब से पीके ने नीतीश कुमार के साथ काम किया, तब से ही सुशासन बाबू पीके की कार्यशैली से प्रभावित हैं, वो उन्हें लगातार पार्टी में शामिल होने के न्योता दे रहे थे, हालांकि अबतक पीके इसे टालते रहे थे, लेकिन नीतीश के बार-बार अनुरोध को वो ठुकरा नहीं पाये। प्रशांत किशोर को जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है, पार्टी और सरकार में उनकी हैसियत नीतीश के बाद नंबर दो की है।

10 साल बिहार के लिये काम करना चाहते हैं
पिछले कुछ दिनों से ये बात कही जा रही थी कि पीके बक्सर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, या राज्यसभा में जाएंगे, इसे लेकर भी पीके ने स्थिति साफ करने की कोशिश की है। उन्होने खुलकर कहा कि वो दिल्ली की नहीं बल्कि पटना की सियासत करना चाहते हैं, फिलहाल दस साल वो बिहार के गांव-गांव में जाकर मेहनत करना चाहते हैं, इसके लिये टीम पीके ने काम भी शुरु कर दिया है।