‘अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और अब पुलिस फोर्स विद्रोह कर रही है’

बिहार पुलिस में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण है। इसके चलते अभी बड़ी संख्या में महिला सिपाहियों की नियुक्ति हुई है।

New Delhi, Nov 05 : दो-तीन दिन पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था-“ऑल इज नॉट वेल इन बिहार।”
उसका एक और नजारा 2 नवंबर को पटना में देखने को मिला। अपनी साथी महिला सिपाही की मौत से नाराज रंगरूटों ने SP, DSP और सार्जेंट मेजर समेत अन्य वरीय अधिकारियों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा। पुलिस की गाड़ियां तोड़ दीं। जिप्सी को उलट दिया। पुलिस लाइन के बाहर मंदिर में लगे CCTV कैमरे को तोड़ दिया। पटना के पुलिस लाइन पर करीब 3 घंटे तक रंगरूटों का कब्जा रहा। SSP मनु महाराज को भी पुलिस लाइन में घुसने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। वह बड़ा भयावह दृश्य था।

जिस तरह अभी पटना की सड़कों पर गैंगवार हो रहा है, कुछ वैसा ही दृश्य आज पटना के पुलिस लाईन के बाहर था। घंटों खदेड़ा-खदेडी चलती रही। पुलिस फोर्स का ऐसा चेहरा शहर के लोगों के लिए सिहरन पैदा करनेवाला था। अबतक उसे आम लोगों को पीटते देखा गया था। अब यह फोर्स अपने अफसरों को भी पीटने से गुरेज नहीं कर रही। कहीं उसके मुंह खून तो नहीं लग चुका ? अब इस फोर्स पर कौन भरोसा करेगा ?
इसे जवानों की गुंडागर्दी कह सकते हैं। लेकिन उनका गुस्सा और आक्रोश जायज था। मरनेवाली सविता पाठक डेंगू से पीड़ित थी। आरोप है कि फिर भी सार्जेंट मेजर ने उसे छुट्टी नहीं दी। उसे ड्यूटी पर लगाये रखा। जब स्थिति बिगड़ी तब अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन तबतक देर हो चुकी थी।

सेना से लेकर पुलिस तक जवान बहुत तनाव में हैं। छुट्टियां न मिलने की वजह से आत्महत्या करने की खबरें रोज आती हैं। लेकिन सरकारें कान में तेल डाले सोई हुई हैं। उनके काम करने की स्थिति नारकीय है। अफसरों के भ्रष्टाचार से भी जवान परेशान हैं। पुलिस लाईन में छुट्टी देने के लिए घूस लेने की शिकायतें आम हैं। होमगार्ड में ड्यूटी देने के लिए भी घूस लेने की चर्चा आम है। थानों में पोस्टिंग के लिए बोली लगती है। जवानों के न रहने का ठिकाना न भोजन का सही इंतजाम।इसके बाद भी अगर वे सर झुकाकर आदेश का पालन करते हैं तो यह फोर्स का अनुशासन ही है।

बिहार पुलिस में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण है। इसके चलते अभी बड़ी संख्या में महिला सिपाहियों की नियुक्ति हुई है। 2 नवंबर के ‘पुलिस विद्रोह’ में महिला सिपाहियों ने बढ़ चढ़ कर भमिका निभाई। कह सकते हैं कि उन्होंने ही अगुवाई की। अभी दो दिन पहले ही BMP में एक महिला जवान से छेड़छाड़ को लेकर हंगामा हुआ था। ये घटनाएं शासन की शाख के ध्वस्त होने का भी परिचायक हैं। अपराध बेतहाशा बढ़ गए हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और अब पुलिस फोर्स विद्रोह कर रही है। यह स्थिति किसी भी शासन के लिए गंभीर चुनौती है। राजधानी पटना में इसके पहले कभी ऐसा पुलिस विद्रोह हुआ हो, यह याद नही आता। सरकार इससे कोई सबक लेगी, इसके लिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)