क्या हुआ पाकिस्तान को बनाने वाली पार्टी ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का ?

भारत के पाकिस्तान को अलग करने के लिए बनी पार्टी के नाम में ही इंडिया शामिल है. और पाकिस्तान बनने तक यह नाम वैसा का वैसा ही रहा।

New Delhi, Jul 26 : कल पाकिस्तान में वोट डाले गये. काश वहां होने वाले इस चुनाव को हम डेमोक्रेसी की सफलता कह पाते, क्योंकि यह चुनाव पहली दफा एक डेमोक्रेटिक गवर्नमेंटे के टर्म पूरा होने के बाद हो रहा है. मगर वहां से आने वाली खबरें बता रही है कि यह चुनाव बस कहने को डेमोक्रेटिक है. लोकतंत्र वहां फिर से सेना के ब्यूह में फंसता नजर आ रहा है. बहरहाल इस मसले पर काफी कुछ लिखा जा रहा है. हम दूसरी बात करेंगे.

यह बात होगी ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के बारे में. वह राजनीतिक दल जिसकी पाकिस्तान के एक राष्ट्र के रूप में जन्म लेने में इकलौती और सबसे बड़ी भूमिका मानी जाती है. वह दल कहां गुम हो गया. जबकि उसका इंडियन काउंटरपार्ट कांग्रेस आज भी देश का दूसरा सबसे बड़ा राजनीतिक दल है, हाल-हाल तक यह नंबर वन था.
वैसे तो नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल(नवाज) का पूरा नाम पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज है. यह पार्टी खुद को ऑल इंडिया मुस्लिम लीग से ही जोड़ती है. मगर यह वह पार्टी है नहीं. वह ऑल इंडिया मुस्लिम लीग, जिसने मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में भारत से पाकिस्तान को अलग करने की लड़ाई लड़ी थी वह कई वजहों से पाकिस्तान बनने के महज 11 साल बाद ही 1958 में खत्म हो गयी. इस बीच उसका नाम भी बदला और कई टुकड़े भी हुए.

इस प्रसंग में सबसे दिलचस्प बात जो मुझे लगती है वह इसका नाम है. ऑल इंडिया मुस्लिम लीग. भारत के पाकिस्तान को अलग करने के लिए बनी पार्टी के नाम में ही इंडिया शामिल है. और पाकिस्तान बनने तक यह नाम वैसा का वैसा ही रहा. अलग देश बनने के बाद वहां के हुक्मरानों को इस नाम से दिक्कत महसूस होने लगी और दिसंबर 1947 में जाकर इसका नाम बदला.
उस समय इस पार्टी के दो टुकड़े किये गये. मुस्लिम लीग और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग नामक पार्टी भारत में बच गये लीगियों ने संभाली और केरल में यह पार्टी आज भी अस्तित्व में है. पाकिस्तान में बची पार्टी का नाम मुस्लिम लीग रखा गया.

इस नामकरण को लेकर भी विवाद हुआ. सुहारावर्दी जो उस जमाने में लीग के बड़े नेता थे, का कहना था कि पाकिस्तान बनने के बाद पार्टी के नाम में मुस्लिम शब्द का होना गैरजरूरी है. इसका नाम पाकिस्तान लीग होना चाहिए. मगर लीग के नेताओं ने उनकी बात नहीं मानी. लिहाजा उन्होंने एक अलग पार्टी बना ली. आवामी लीग. यह आज भी बांग्लादेश में मजबूती से डटी है.
मुस्लिम लीग के दो बड़े नेता था. मोहम्मद अली जिन्ना और लियाकत अली खान. 1948 में जिन्ना गुजर गये और 1951 में लियाकत अली खान. फिर मुस्लिम लीग के गर्दिश के दिन शुरू हो गये. 1955 में यह पार्टी चुनाव हार गयी. युनाइटेड फ्रंट नामक एक गठजोड़ ने पाकिस्तान को बनाने वाली पार्टी को बुरी तरह हरा दिया. उसके बाद माइनॉरिटी सरकार बनी और 1958 में पाकिस्तान सेना के कमांडर इन चीफ ने डेमोक्रेसी को विदाई दे दी और मार्शल लॉ लगा दिया. उसी साल मुस्लिम लीग भी एक पार्टी के तौर पर खत्म हो गयी.

दिलचस्प है कि इसी अयूब खान ने 1962 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग की स्थापना की, जो 1988 में डिजॉल्व हो गयी. जिया उल हक के निधन के बाद नवाज शरीफ ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग(नवाज) का गठन किया. यह पार्टी उसी मुस्लिम लीग से अपना नाता बताती है. मगर यह नातेदारी जमती नहीं है. आज मुस्लिम लीग के नाम से पाकिस्तान में आधा दर्जन से अधिक पार्टियां हैं. मगर उनमें से किसी का उस मुस्लिम लीग से नाता नहीं है, जिसने पाकिस्तान का निर्माण किया था. इस तरह देखा जाये तो उस मुस्लिम लीग का इकलौता जीवित वंशज इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग है, जो इंडिया के केरल में संचालित हो रहा है.

(वरिष्ठ पत्रकार पुष्य मित्र के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)