आईटी सेल में सेट हो रहे नेताजी के बच्चे, भक्त मुंह ताक रहे हैं

मयंक कहते हैं कि ऐसा सिर्फ कटिहार में नहीं पूरे बिहार में हो रहा है. हर जिले की आईटी सेल में सिर्फ नेताओं के बच्चों को जगह दी गयी है।

New Delhi, Jul 12 : आज अमित शाह पटना में हैं और फिलहाल ज्ञान भवन में उन भक्तों को ज्ञान बांट रहे हैं, जो पिछले चार साल से बीजेपी के पक्ष में झंडा उठाये सोशल मीडिया पर हर किसी की ऐसी-तैसी कर देते हैं. मगर ठहरिये, अगर आप सोच रहे हैं कि ज्ञान भवन में शाह से ज्ञान प्राप्त करने वाली भीड़ में सारे बीजेपी के सोशल मीडिया वालेंटियर हैं तो आप गलत हैं. जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक उस हॉल में सोशल मीडिया पर एक्टिव लोगों की संख्या बमुश्किल 20-30 फीसदी है, शेष भाजपा नेताओं के बच्चे हैं, नजदीकी रिश्तेदार हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए सबों ने अपने बच्चों को वहां सेट कर दिया है.

ऐसे में जो लोग चार साल से फेसबुक-ट्विटर पर भाजपा और मोदी का झंडा बुलंद कर रहे थे, गालियां दे और खा रहे थे, अपने परिचित लोगों से दुश्मनी मोल ले रहे थे, मुकदमा झेल रहे थे और जेल जा रहे थे, आज ऐसे सैकड़ों सोशल मीडिया एक्टिविस्ट खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. ऐसे ही मेरे एक मित्र मयंक राय ने इस सोशल मीडिया मीट का आमंत्रण ठुकरा दिया, क्योंकि उनके जिले कटिहार में बनी बीजेपी आईटी का अध्यक्ष एक नेताजी की बेटी को बना दिया गया है, जिसकी फेसबुक वाल पर तितलियां और गुड़ियों की तसवीरों के अलावा कुछ नहीं दिखती. इतना ही नहीं उपाध्यक्ष भी किसी दूसरे नेता के बेटे को बना दिया गया है. मयंक कटिहार में बीजेपी का झंड़ा बुलंद करने के चक्कर में मुकदमे के फेर में फंस चुके हैं और जेल जाने तक की नौबत आ गयी थी.

मयंक कहते हैं कि ऐसा सिर्फ कटिहार में नहीं पूरे बिहार में हो रहा है. हर जिले की आईटी सेल में सिर्फ नेताओं के बच्चों को जगह दी गयी है. Modi Lunchएक अन्य सोशल मीडिया एक्टिविस्ट इसलिए नाराज हैं, कि उन्हें कोई औपचारिक आमंत्रण नहीं मिला.

फेसबुक पर मुझसे जुड़े ज्यादातर मोदी समर्थकों में से एक या दो के ही उस मीट में जाने की सूचना है. बाकी लोग बुलाये ही नहीं गये. bjp-flagहालांकि ज्ञान भवन का हॉल ठीक-ठाक भरा हुआ लग रहा है, तो फिर हॉल में गया कौन? क्योंकि बिहार में अगर कोई सोशल मीडिया में बीजेपी और मोदी का समर्थक हो और वह मुझसे नहीं टकराया हो, ऐसा लगता नहीं. मैं तकरीबन ऐसे 75 फीसदी चेहरे को तो जरूर जानता हूं. तो क्या भाजपा भक्तों से तौबा कर रही है?

(वरिष्ठ पत्रकार पुष्य मित्र  के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)