पुतिन का ‘सीक्रेट वेपन’ आया सामने, ‘यूक्रेन की हार’ पर लंबे वक्त से चल रही थी तैयारी

रूस ने यूं ही यूक्रेन पर चढ़ाई नहीं कर दी है । इस जंग की योजना पर वो बरसों से काम कर रहा था । रूस का वो सीक्रेट अब सबके सामने आ गया है ।

New Delhi, Feb 26: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है । इस बीच यूक्रेन बातचीत के लिए तैयार हो गया है । वॉर एक्‍सपर्ट्स इस जंग को रूस की सोची समझी साजिश बता रहे हैं । उनके मुताबिक रूस ने एक बड़ी प्लानिंग के साथ यूक्रेन को निशाने पर लिया है, जिन इलाकों को रूस ने अलग देश की मान्यता दी वहां के लोगों को वो पहले से ही अपनी नागरिकता दे रहा था । अब जब रूस ने हमला शुरू कर दिया है तो वो अपने नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए अपने हमलों को सही साबित करने का प्रयास कर रहा है ।

रूस का सीक्रेट वेपन
दरअसल यूक्रेन से मौजूदा जंग में रूस के काम उसका ‘सीक्रेट वेपन’ आ रहा है, ये हथियार कुछ और नहीं बल्कि रूसी पासपोर्ट है । रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भले गुरुवार को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया हो लेकिन वो अपने इस मिशन को पूरा करने के लिए लंबे वक्त से काम कर रहा था । रूसी प्रशासन यूक्रेन को दीमक की तरह अंदर से खोखला कर रहा था, और अब जब पुतिन के सैनिक यूक्रेन पर मिसाइल दाग रहे हैं तो पुतिन अपनी उसी रणनीति को आगे करते हुए पूरी दुनिया के सामने सीना ठोक कर इस कदम को सही बता रहे हैं ।

रूस हमलों को बता रहा मिलिट्री एक्शन?
यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को पुतिन अपना ‘मिलिट्री एक्शन’ बता रहा है । आधिकारिक तौर पर मिलिट्री एक्शन किसी इलाके में स्थिति को संभालने के लिए लिया गया एक्शन माना जाता है, इस फैसले putinके खिलाफ कोई देश सवाल नहीं उठा सकता । ऐसे में रूस की ओर से ऐसा करना, ये बताने की कोशिश करना है कि उन्‍होंने किसी देश के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ा है । रूस बार-बार इस कार्रवाई को मिलिट्री एक्शन बता रहा है । पुतिन ने अपने संबोधन में भी कहा- ‘पूर्वी यूक्रेन में नागरिकों की रक्षा के लिए हमले की जरूरत थी, यूक्रेन के सैनिक अपने हथियार डाल दें।’

यूक्रेन में रहने वालों का क्‍या?
जानकारों के मुताबिक राष्‍ट्रपति पुतिन ने इस पूरे खेल को बहुत ही बड़ी योजना के तहत अंजाम दिया है, रूस शुरुआत से ही अपने दोनों पड़ोसी देशों यूक्रेन और बेलारूस को अपने मुताबिक चलाता आ रहा है । दोनों ही मुल्कों में पुतिन समर्थित राष्ट्राध्यक्ष भी रहे हैं । रूस का यहां के लोगों को रूसी पासपोर्ट देना इसी बात का सबूत है कि वो इन्‍हें अपना बताकर इन लोगों के हितों की रक्षा का हवाला देकर जंग को नयायोचित ठहराना चाहता है । यूक्रेन में 2014 में जब क्रांति हुई तो उसके रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को अपना पद त्यागना पड़ा था, ये बात रूस को नागवार गुजरी और उसने क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया । क्रीमिया पर कब्जे के समय भी रूस ने तर्क दिया कि वहां रूसी मूल के लोग बड़ी संख्या में हैं और उनके हितों की रक्षा करना रूस की जिम्मेदारी है । जिम्मेदारी के नाम पर रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया ।