‘बैंक कर्ज’ पर जारी थी सियासत, रघुराम राजन के बयान के बाद हो गई कांग्रेस की बोलती बंद

रघुराम राजन के बयान से कांग्रेस के लिये मुश्किल बढ सकती है, क्योंकि विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर थी।

New Delhi, Sep 11 : बैंकिंग क्षेत्र में डूबे कर्ज यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बयानबाजी जारी है। अब आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का इस मामले में बयान आया है, दसअसल पूर्व गवर्नर ने संसदीय समिति को अपना जबाव भेजा है, जिसमें उन्होने बताया है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुए कोयला घोटाला राजकाज से जुड़े विभिन्न समस्याओं की बड़ी वजह है, साथ ही उन्होने ये भी कहा है कि एनडीए सरकार में फैसला लेने में देरी भी एक कारण है।

बांटे गये बैड लोन
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपने जबाव में कहा कि सबसे अधिक बैड लोन साल 2006-08 के बीच बांटा गया, जब आर्थिक विकास मजबूत था, तो पावर प्लांट्स जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स समय बजट के भीतर पूरे हो गये थे। साथ ही राजन ने एनपीए के लिये पॉलिसी पैरालैसिस को भी जिम्मेदार बताया है।

कांग्रेस की बढेगी मुश्किल
रघुराम राजन के बयान से कांग्रेस के लिये मुश्किल बढ सकती है, क्योंकि विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर थी, जब भी बैंकों के एनपीए बढने की बात आती थी, तो कांग्रेस बीजेपी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताती थी। संसदीय आकलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को सौंपे नोट में पूर्व गवर्नर ने कहा कि कोयला खादानों के संदिग्ध आबंटन के साथ जांच की आशंका जैसे राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के कारण यूपीए सरकार तथा उसके बाद एनडीए सरकार दोनों में सरकारी निर्णय लेने में देरी हुई। रघुराम राजन के अनुसार इससे परियोजना की लागत बढी, साथ ही पैसे अटकने लगे, जिससे कर्ज चुकाने में समस्या हुई।

फोन पर कर्ज
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने बैकिंग क्षेत्र में डूबे कर्ज (एनपीए) को लेकर पहले की सरकार यूपीए पर निशाना साधा था, उन्होने कहा था कि यूपीए सरकार के समय फोन पर कर्ज दिया जाता था, पीएम ने चिर परिचित अंदाज में कहा कि नामदारों के इशारे पर बांटे गये कर्ज की एक-एक पाई वसूली जाएगी। पीएम के बयान के बाद कांग्रेस ने उन पर पलटवार किया था।

बैंक का कर्ज सिर्फ धनी लोगों के लिये
पीएम मोदी ने कहा था कि चार पांच साल पहले तक बैंकों की अधिकांश पूंजी सिर्फ एक ही परिवार के करीबी धनी लोगों के लिये आरक्षित रखा जाता था, आजादी के बाद से साल 2008 तक कुल 18 लाख करोड़ रुपये कर्ज बांटे गये थे, लेकिन उसके बाद के 6 सालों में ये आंकड़ा 52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

चिदंबरम ने किया था पलटवार
पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पीएम के बयान के बाद पलटवार करते हुए पूछा था कि एनडीए सरकार को ये भी बताना चाहिये, कि उनके कार्यकाल में दिये कितने लोन डूब गये, कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर लिखा कि मई 2014 के बाद कितना कर्ज दिया गया, उसमें कितनी राशि एनपीए में गई, पूर्व वित्त मंत्री ने कहा ये सवाल संसद में पूछा गया, लेकिन अब तक इसका कोई जबाव नहीं दिया गया है।