‘राय साहब’ बना रहे हैं अखिलेश के लिये चुनावी रणनीति, किसी को नहीं देते नंबर, नाम तक नहीं पता

पहली बार अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के नेताओं से उन्हें इसी साल अप्रैल में इंट्रोड्यूस कराया था, तब से वो मीटिंग में मौजूद रहते हैं।

New Delhi, Aug 09 : ‘राय साहब’ समाजवादी पार्टी का हर बड़ा नेता इन दिनों इस नाम की खूब चर्चा कर रहा है, सपा की हर बैठक में इन दिनों राय साहब मौजूद रहते हैं, वो सलाह देते है, समझाते हैं, जरुरत पड़ने पर फोन की घंटी की बजा देते हैं, इतना सबकुछ के बावजूद सपा का कोई भी नेता उनका पूरा नाम तक नहीं जानता, बस इतना पता है कि जो शख्स उन्हें समझा रहा है, उनका पूरा नाम ‘राय साहब’ है, करीब 70 वर्षीय इस शख्स से कुछ पूछने की हिम्मत किसी में नहीं है, क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सबसे भरोसेमंद विश्वासपात्र कहा जा रहा है। ये रहस्यमयी ‘राय साहब’ कब और कैसे अखिलेश यादव के इतने करीबी हो गये, ये भी किसी को नहीं मालूम।

बीजेपी से लड़ने के तरीके बताते हैं
एक सपा नेता ने नाम नहीं लिखने के शर्त पर बताया कि ‘राय साहब’ अप्रैल 2018 के बाद सपा की होने वाली हर मीटिंग में मौजूद रहे, उन्होने पार्टी के पदाधिकारियों को समझाया, कि बर्ताव कैसे करना है, क्या करें, बीजेपी-आरएसएस से कैसे लड़ें, पूर्व सीएम अखिलेश यादव पार्टी की मीटिंग में उनका परिचय इस तरह कराते हैं, ये राय साहब हैं, ये हमारी मदद करने आये हैं, ये आपको पार्टी और चुनावी तैयारियों के बारे में बताएंगे, इनकी बातों पर ध्यान दीजिए।

किसी को नहीं पता कौन हैं ?
जब अखिलेश यादव उन्हें इंट्रोड्यूस कर देते हैं, तो फिर कमान वो संभालते हैं, वो कहते हैं कि सपा प्रवक्ताओं को मीडिया में ऐसी बातें करने से बचनी चाहिये, जिससे लोग उनकी पार्टी को हिंदू विरोध समझे। सपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि ‘राय साहब’ ने उन्हें कॉल किया था, पार्टी की रणनीति पर चर्चा करने के लिये, उस रणनीति को जमीन पर कैसे उतारा जाए, इस बारे में भी विस्तार से समझाया, लेकिन अभी तक मुझे उनका पूरा नाम नहीं पता है, मेरे पास उनका नंबर तो सेव है, लेकिन मैं उनसे तभी बात कर सकता हूं, जब वो मुझे कॉल करेंगे।

जापान की देते हैं उदाहरण
‘राय साहब’ के बारे में ज्यादा जानकारी फिलहाल तो नहीं है, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि वो यूपी के मथुरा से हैं और विदेश में भी काफी समय बिताया है, खासकर जापान की वो खूब उदाहरण देते हैं, पार्टी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की उनसे मुलाकात इसी साल जनवरी में हुई। लखनऊ में एक दलित एक्टिविस्ट ने उन्हें पहली बार ‘राय साहब’ से मिलवाया, जिसके बाद उन्होने अखिलेश के सामने अपना ब्लू प्रिंट पेश किया, कि कैसे सपा को आगामी चुनाव लड़ना चाहिये, अखिलेश उनकी तैयारी से इम्प्रेस हुए, तब से वो उनकी सलाह मान रहे हैं।

अप्रैल से बना रहे हैं रणनीति
पहली बार अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के नेताओं से उन्हें इसी साल अप्रैल में इंट्रोड्यूस कराया था, तब राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लखनऊ में कार्यकर्ताओं की 3 दिवसीय बैठक बुलाई थी, इस बैठक के दौरान ‘राय साहब’ मौजूद रहे, उन्होने नेताओं को समझाया, कि लोगों से बात कैसे करनी है, कैम्पेन की शुरुआत कैसे करनी है, पिछले महीने हुए सपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी ‘राय साहब’ अखिलेश के ईद-गिर्द ही नजर आये थे।

किसी को नहीं देते नंबर
‘राय साहब’ की एक और खास बात ये है कि वो अपना मोबाइल नंबर किसी को नहीं देते हैं, पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे मोबाइल नंबर मांगा, लेकिन वो हर किसी को एक ही जबाव देते हैं, अखिलेश यादव से ले लीजिए। ‘राय साहब’ जब चाहें, जिससे चाहें, फोन पर बात करते हैं, लेकिन कोई नेता उनसे उनकी मर्जी के बिना बात नहीं कर सकता है। अब इसमें अखिलेश यादव की भी सहमति है, तो फिर कौन इसे टाल सकता है।