अमिताभ और राजीव गांधी की दोस्ती में इस चिंगारी ने लगाई थी आग, पूरे देश में आया था बवंडर

साल 1984 में अमिताभ और राजीव गांधी की दोस्ती नई ऊंचाई पर थी, राजीव के कहने पर अमिताभ ने इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा।

New Delhi, Aug 20 : गांधी और बच्चन परिवार की दोस्ती सालों पुरानी है, अमिताभ और राजीव गांधी का बचपन एक साथ खेलते-कूदते बीता, हालांकि दोनों परिवारों के रिश्ते में काफी उतार चढाव भी आये, फिर एक ऐसा दौर आया, जब दोनों परिवार के संबंधों की गाड़ी पटरी से उतर गई। दोनों परिवारों के बीच का रिश्ता किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन विदेश मंत्रालय में हिंदी अधिकारी के रुप में काम करते थे, पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरु उनके काम और सिद्धांत की बहुत इज्जत करते थे।

इंदिरा की दोस्त थी तेजी बच्चन
कहा जाता है कि इलाहाबाद में रहते हुए दोनों परिवार एक-दूसरे के करीब आये, अमिताभ की मां तेजी बच्चन इंदिरा गांधी की काफी अच्छी दोस्त थी, इंदिरा गांधी जब तक जिंदा थी, तब तक दोनों परिवारों के बीच घनिष्ठ संबंध रहे, कहा जाता है कि विदेशी महिला को बहू के रुप में स्वीकारने के लिये इंदिरा तैयार नहीं थी, जिसके बाद तेजी बच्चन ने ही उन्हें मनाया था, जिसके बाद राजीव और सोनिया गांधी की शादी हुई थी।

सोनिया को रिसीव करने पहुंचे थे अमिताभ
अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है। 13 जनवरी 1968 की सुबह कड़ाके की ठंड में पहली बार सोनिया गांधी भारत आई थी, तब उन्हें रिसीव करने के लिये अमिताभ बच्चन पहुंचे थे। तब राजीव गांधी की शादी नहीं हुई थी, इसलिये बिना शादी उन्हें अपने घर में ठहराने का मतलब था कि विरोधियों को आलोचना का मौका देना, तो सोनिया को अमिताभ के घर ठहराया गया था। तेजी बच्चन ने सास की तरह सोनिया गांधी को भारतीय संस्कृति और तौर-तरीकों के बारे में समझाया था।

अमिताभ बच्चन ने चुनाव लड़ा
साल 1984 में अमिताभ और राजीव गांधी की दोस्ती नई ऊंचाई पर थी, राजीव के कहने पर अमिताभ ने इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, Jaya Amitabhऔर बड़े अंतर से हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया था। दोनों परिवार इससे काफी खुश थे, फिर तीन साल बाद बोफोर्स में जब अमिताभ का नाम आया, तो उन्होने ना सिर्फ पद से इस्तीफा दे दिया, बल्कि राजनीति से छोड़ने का भी ऐलान कर दिया। कहा जाता है कि बोफोर्स ने दो बचपन के दोस्त के बीच मतभेद के बीज बो दिये थे। हालांकि बुरे हालात में भी दोनों परिवारों ने रिश्ते का दिखावा बनाये रखा, और प्रियंका का शादी में अमिताभ शामिल हुए।

अमिताभ ने अकेला छोड़ दिया
राजनीति से सन्यास लेने बाद अमिताभ बॉलीवुड वापस लौट गये, तो साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई, जिसके बाद गांधी परिवार को लगा, कि उनके बुरे वक्त में अमिताभ ने उन्हें अकेला छोड़ दिया। दूसरी ओर अमिताभ का मानना था कि गांधी परिवार उसे राजनीति में लेकर आई और परेशानी में अकेला छोड़ दिया। इसके साथ ही जब बच्चन की कंपनी एबीसीएल का दिवाला हो गया, अमिताभ आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। लेकिन गांधी परिवार ने उनकी मदद नहीं की, इसी संकट ने हमेशा के लिये दोनों परिवारों के रिश्ते को डूबो दिया।