‘मेरी तस्वीर और नाम इस्तेमाल ना करें’, राजनीतिक दलों को राकेश टिकैत की नसीहत

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राकेश टिकैत आंदोलन को लेकर काफी मुखर थे, मीडिया में छाये रहे, इसके चलते ये भी कयास लगने लगे थे कि राकेश टिकैत की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है।

New Delhi, Dec 16 : 1 साल से ज्यादा समय से गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ डटे रहे राकेश टिकैत अब मुजफ्फरनगर स्थित अपने घर लौट चुके हैं, गाजीपुर बॉर्डर से आंदोलनकारी किसानों के आखिरी जत्थे के साथ रवाना हुए राकेश टिकैत मेरठ पहुंचे, तो उनका जोरदार स्वागत हुआ, इस दौरान जब उनके राजनीतिक दल के पोस्टर में छपी उनकी तस्वीर को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होने साफ कहा कि वो राजनीति में नहीं उतरेंगे, राकेश टिकैत ने कहा, मैं कोई चुनाव लड़ने नहीं जा रहा हूं, किसी पार्टी को मेरे नाम और तस्वीर का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, आपको बता दें कि राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं, ये संगठन किसान आंदोलन में प्रमुख भागीदार था।

1 साल डटे रहे
28 नवंबर 2020 से ही गाजीपुर बॉर्डर पर डटे रहे राकेश टिकैत इस साल 26 जनवरी को आंदोलन का चेहरा बन गये थे, यूपी पुलिस के बड़ी संख्या में गाजीपुर पर डटने के बाद ये चर्चा शुरु हो गई थी कि अब आंदोलन खत्म कराया जा सकता है, rakesh tikait इस बीच राकेश टिकैत का ये वीडियो सामने आया, जिसमें वो भावुक हो गये और रोते दिखे, इसके बाद आंदोलन की पूरी तस्वीर ही बदल गई, रातों-रात पश्चिमी यूपी, हरियाणा और पंजाब के किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली के सीमाओं की ओर रवाना हुए, इससे आंदोलन एक बार फिर से मजबूत हो गया, तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब जाकर खत्म हुआ है।

छोड़ दी थी दिल्ली पुलिस की नौकरी
राकेश टिकैत आंदोलन को लेकर काफी मुखर थे, मीडिया में छाये रहे, इसके चलते ये भी कयास लगने लगे थे कि राकेश टिकैत की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है, वो चुनावी मैदान में भी उतर सकते हैं, इसे लेकर अब राकेश ने अपने इरादे साफ कर दिया हैं, rakesh-tikait कि वो राजनीति से दूर ही रहेंगे, राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल रहे हैं, लेकिन 1992-93 में उन्होने नौकरी छोड़ दी थी, राकेश टिकैत भले ही आज चुनाव में उतरने से इंकार कर रहे हैं, लेकिन वो दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं, 2007 यूपी विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से निर्दलीय उम्मीदवार पर्चा भरा था, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

नहीं जीत पाये चुनाव
इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में अमरोहा सीट से रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार फिर से हार ही हाथ लगी, Rakesh Tikait- किसान संगठनों ने 15 जनवरी को अब एक समीक्षा बैठर बुलाने का फैसला लिया है, जिसमें सरकार की ओर से किये गये वादों पर कितना काम हुआ है, उस पर चर्चा करेंगे, संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करते हुए ये भी कहा था कि यदि सरकार अपने वादों को पूरा नहीं करती है, तो हम एक बार फिर आंदोलन शुरु कर सकते हैं।