‘अटल जी, एक पत्रकार के नाते आपका मुरीद रहूंगा, लेकिन उत्तराखंडी होने के नाते ऋणी रहूंगा’

भारत में गठबंधन सरकार कैसे चलाई जाती है, ये अटलजी ने देश को सिखाया। तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद वो हमेशा तटस्थ रहे।

New Delhi, Aug 17 : एक पत्रकार के तौर पर उनका मुरीद रहूंगा। एक उत्तराखंडी होने के नाते हमेशा उनका ऋणी रहूंगा। अटल जी सही मायने में जननेता थे। वो केवल बीजेपी के नेता नहीं थे, वो पूरे देश के नेता थे, लोकतांत्रिक व्यवस्था में पक्ष-विपक्ष दोनों के मन में उनके लिए समान आदर था। मस्तमौला मिजाज और दूरदर्शी सोच के ऐसे लोग विरले ही होते हैं।

भारत में गठबंधन सरकार कैसे चलाई जाती है, ये अटलजी ने देश को सिखाया। तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद वो हमेशा तटस्थ रहे। 1999 से 2004 के बीच जब केन्द्र में 24 दलों का नेतृत्व कर सरकार चला रहे थे तो उन्होंने कई ऐतिहासिक काम किए। गांवों के जीवन को बदलने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना उनकी सरकार की देन है। भारत के उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिमी छोर को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज योजना उनके कार्यकाल में शुरू हुई। शिक्षा के क्षेत्र का क्रांतिकारी कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान अटल जी ने देश को दिया। देश की संप्रुभता का बात आई तो दुनिया की परवाह किए बिना पोखरण परमाणु परीक्षण कर भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया। देश की संप्रभुता से समझौता किए बिना तमाम पड़ोसियों से मधुर संबंध स्थापित किए। और अमेरिका जैसे देशों की हेकड़ी तके बावजूद उनके आगे नहीं झुके। ये उनकी कुशल विदेश नीति का परिचायक रहा है।

प्रखर वक्ता को तौर पर संसद से लेकर सार्वजनिक मंचों पर जब भी वो बोलते, हर कोई उनका मुरीद हो जाता। संसद में एक बार उन्होने कहा था, सरकारें आऐंगी, जाऐंगी, राजनीतिक दल आऐंगे जाऐंगे में यह लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए। उनका यह वक्तव्य यह बताने के लिए काफी है वो कितने महान जननेता थे। शायद ही कोई ऐसा राजनेता हुआ हो जिसके बोलने पर संसद में विपक्षी नेता भी मेज थपथपाना नहीं भूलते। मैं स्वयं उनकी कविता का स्वाध्याय करता रहा हूं। सार्वजनिक मंचों में उनको सुनाता आया हूं।

अटल जी राजनीतिक दूरदर्शिता के धनी थे। वे आने वाले परिवर्तनों की आहट भांप लेते थे। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी का पहला अधिवेशन हो रहा था, तब अटल जी ने कहा था,
भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खडे होकर मैं यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हॅू ‘’अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा कमल खिलेगा।’’
अटल जी की यह भविष्यवाणी सच हुई और 1996 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांक वाजपेयी विश्वासमत हासिल नहीं कर पाए, लेकिन 1998 के आम चुनाव में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही।

इसी तरह का एक और वाकया 1997 का है। विपक्ष भाजपा सरकार को गिराने की साजिश कर रहा था, तब अटल जी ने संसद में कहा था,
“मेरी बात को गांठ बांध लें, आज हमारे कम सदस्य होने पर कांग्रेस हंस रही हैं लेकिन वो दिन आएगा जब पूरे भारत में हमारी सरकार होगी। उस दिन देश आप पर हंसेगा और आपका मजाक उड़ायेगा
अटल जी की यह भविष्यवाणी भी सच हुई है, आज उत्तर से दक्षिण अधिकतर राज्यों में भाजपा सरकार है और मुख्य विपक्षी कांग्रेस सिमटती जा रही है।
एक उत्तराखंडी होने के नाते मैं कैसे उन्हें भूल सकता हूं। उत्तराखंड राज्य का गठन उनके कार्यकाल में हुआ। राज्य की प्रगति के लिए उन्होंने बिना भेदभाव किए मदद की। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय हिमालयी राज्यों की प्रगति के लिए वे सदैव तत्पर रहते थे। मुझे याद ही की पंडित नारायण दत्त तिवारी के बुलाने पर न सिर्फ वो नैनीताल आए बल्कि राज्य को स्पेशल पैकेज दिया। यही वजह है कि यह राज्य आज अपने पैरों पर खड़ा है। भला ऐसे महापुरूष को कौन भूल सकता है।

उनकी कविताऐं मौजूदा हालात में कितनी प्रासंगिक है, ये सोशल मीडिया पर पता लग रहा है। सोचिए जिसके लिए पूरा देश दुआ कर रहा हो वह सामान्य नहीं हो सकता। अटल जी आप अटल हैं मेरे मौन में, मेरे स्वप्न में, मेरी सोच में, हर जगह आप अटल हैं। आप अटल थे, आप अटल रहेंगे। देश की राजनीति में आपके जाने के बाद जो शून्य बना है उसकी भरपाई कभी नहीं होगी। आपकी यह कविता हमेश मेरे हृदय पटल में हिलोरे मारती रहेंगी।

भरी दोपहरी में अंधियारा

सूरज परछाई से हारा

अंतरतम का नेह निचोड़

बुझी हुई बाती सुलगाऐं

आओ फिर से दिया जलाऐं

आओ फिर से दिया जलाऐं

हम पड़ाव को समझे ना मंजिल

लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल

वर्तमान के मोहजाल में

आने वाला कल ना भुलाऐं

आओ फिर से दिया जलाऐं

आओ फिर से दिया जलाऐं

।।अटल जननायक को विनम्र श्रदधांजलि।।

(रमेश भट्ट के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)