रुस ने 14 नवंबर की रात या 15 नवंबर की सुबह एंटी सैटेलाइट मिसाइल दागकर अपने सैटेलाइट कॉसमॉस-1408 को उड़ा दिया, इस सैटेलाइट का वजन 2 हजार किलो था।
New Delhi, Nov 17 : रुस ने एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल दागकर अपने एक पुराने सैटेलाइट को धरती की निचली कक्षा में उड़ा दिया है, जिससे करीब 1500 से ज्यादा टुकड़े तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की तरफ बढे, अंतरिक्ष में जानबूझकर फैलाये गये कचरे की वजह से स्पेस स्टेशन पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स को सोयुज और ड्रैगन कैप्सूल में छिपना पड़ा, ताकि अगर कचरा स्पेस स्टेशन को नुकसान पहुंचाये, तो ये लोग दोनों कैप्सूल के जरिये धरती की ओर लौट सकें, इस घटना के बाद से रुस की इस हरकत की कई देश आलोचना कर रहे हैं।
मिसाइल दागा
रुस ने 14 नवंबर की रात या 15 नवंबर की सुबह एंटी सैटेलाइट मिसाइल दागकर अपने सैटेलाइट कॉसमॉस-1408 को उड़ा दिया, इस सैटेलाइट का वजन 2 हजार किलो था, इसे साल 1982 में लांच किया गया था, ये पिछले कुछ सालों से निष्क्रिय था, जब मिसाइल से इसे उड़ाया गया, तो ये धरती से 485 किमी की ऊंचाई पर था, इससे थोड़ा ही नीचे की कक्षा में स्पेस स्टेशन धरती के चक्कर लगाता है।
घटना की निंदा
अमेरिका ने रुस की इस हरकत की पुष्टि करते हुए घटना की निंदा की है, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि रुसी फेडरेशन ने लापरवाही से भरी हरकत की है, जिसकी वजह से स्पेस स्टेशन पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स की जिंदगी खतरे में पड़ गई थी, रुस के इस परीक्षण की वजह से करीब 1500 से ज्यादा कचरा पैदा हुआ है, जो आसानी से दिखाई दे सकता है, लेकिन हजारों बारीक तथा छोटे टुकड़े भी निकले जिन्हें करीब से देखना पड़ेगा, रुस ने दुनियाभर के देशों के सैटेलाइट्स तथा स्पेस स्टेशन के लिये खतरा पैदा किया है।
खतरनाक साबित हो सकता है
नेड प्राइस ने कहा कि इससे रुस के अंतरिक्षयात्रियों का जीवन भी खतरे में पड़ा है, क्योंकि वो भी स्पेस स्टेश पर मौजूद थे, इसके अलावा अन्य इंसानी अंतरिक्ष उड़ानों के लिये खतरा पैदा हो गया है, क्योंकि कॉसमॉस-1408 तथा मिसाइल का कचरा अब धरती की निचली कक्षा में तैरता रहेगा, ये किसी भी सैटेलाइट या लोअर अर्थ ऑर्बिट मिशन के लिये खतरनाक साबित हो सकता है।
Russia shot down an old Soviet-era military spacecraft Monday in a test of an anti-satellite weapon, scattering hundreds of thousands of debris fragments that will remain in orbit for years or decades, US government officials said.
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— Spaceflight Now (@SpaceflightNow) November 15, 2021