कैसा लग रहा है ये ‘ऑनर किलिंग’ सुन कर ? कहां गया कथित ‘भाईचारा’

कुछ तो खुले आम कह रहे हैं कि दूर की रिश्तेदारी में भी कोई लड़की ऐसा करेगी तो काट डालेंगे. इन ताली बजाने वालों को पिता की हत्या पर तो अहिंसा के उपदेश दिमाग़ में आ रहे होंगे.

New Delhi, Aug 12 : कुछ साल पहले रोहतक में एक लड़के ने अपने पिता और चाची की दिन-दहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी थी और लोग देखते रहे. वजह थी पिता और चाची में प्रेम-संबंध.
कैसा लग रहा है ये ‘ऑनर किलिंग’ सुन कर?
दो दिन पहले रोहतक में एक जाट लड़की की दिन-दहाड़े ऐसे ही हत्या कर दी गयी क्योंकि एक साल पहले वो एक अनुसूचित जाति के लड़के के साथ घर छोड़ कर चली गयी थी. इस क़त्ल को लोग जस्टिफ़ाई नहीं कर रहे बल्कि तालियाँ बजा रहे हैं. कुछ तो खुले आम कह रहे हैं कि दूर की रिश्तेदारी में भी कोई लड़की ऐसा करेगी तो काट डालेंगे. इन ताली बजाने वालों को पिता की हत्या पर तो अहिंसा के उपदेश दिमाग़ में आ रहे होंगे.

लड़की एक साल पहले 17 साल की थी. लड़के को सज़ा होनी थी क्योंकि किड्नैपिंग का मामला दर्ज हुआ. लड़के ने शादी के लिए फ़र्ज़ी दस्तावेज़ भी बनवा लिए. आज की तारीख़ में वो और उसके पिता इन्हीं आरोपों की वजह से जेल में हैं. लड़की नारी निकेतन में रह रही थी.
लड़की का शव लेने भी कोई नहीं आया. लड़के का भाई डर रहा है कि उनकी जाति के लोग भी गाँव में लड़की की अंतिम क्रिया नहीं करने देंगे.

ख़ैर, ये तो हुआ हरियाणा के लोगों का कथित ‘भाईचारा’. लोगों ने मुझे कई बार नसीहत दी कि जाटों और दलितों में तो भाईचारा है.
बाक़ी, जिन अज्ञात लोगों ने लड़की को मारा वो सम्भवत उसके परिवार के लड़के ही थे. उन्होंने क्यों मारा होगा लड़की को? नाराज़ थे तो रिश्ता ख़त्म कर अपनी अपनी ज़िंदगी जीते रह सकते थे. या समझा कर पहले लड़की को अपना करियर बनाने को कहते लेकिन नहीं, उन्होंने उसे मारना ही ठीक समझा क्योंकि जब जायदाद समझी जाने वाली लड़की घर से चली गयी होगी तो ग़ुस्सा आया होगा. किसी अनुसूचित जाति वाले के साथ चली गयी तो पहाड़ टूटा होगा.

लेकिन सबसे ज़्यादा दिक़्क़त थी उन बातों से जो आस-पास के लोग उनसे कर रहे होंगे…ताने दे रहे होंगे. काश कि ये मुँह हमारे युवाओं ने पहले पकड़े होते..जब किसी ने पूछा कि तू कर देगा अपनी बहन या बेटी की शादी दलित से तो वो सीधा कह देता कि हाँ कर दूँगा.
आज सोशल मीडिया पर ये ताली बजाने वाले यही पूछ-पूछ कर एक हत्या को जस्टिफ़ाई कर रहे हैं और जवाब देने वाले आज भी नहीं हैं.
और हाँ, लड़कियाँ पैदा नहीं करना चाहते मत करो..लड़को को पैदा करके भी कौनसा फन्ने खां बना रहे हो..हत्यारे ही बने ना आख़िर!

(चर्चित पत्रकार सर्वप्रिया सांगवान के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)