बिहार के बाहुबली को नहीं मिलता तिहाड़ जेल में भरपेट भोजन, इस वजह से कम हो गया 15 किलो वजन

Tihar Jail

बिहार के बाहुबली ने अपनी याचिका में लिखा है, कि मैं एकांत कारावास में बंद हूं, जब से मुझे तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है, तब से मेरा वजन 15 किलो घट चुका है।

New Delhi, Mar 23 : बिहार के बाहुबली और डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन अर्थात साहब का जलवा ऐसा था कि आज भी लोग उन्हें नाम से नहीं पुकारते, जेल में बंद होने के बावजूद पिछले 27 सालों से उनका खौफ सीवान और आस-पास के इलाकों में बना हुआ है, तभी तो लोग आज भी उन्हें साहब कहकर ही पुकारते हैं। शहाबुद्दीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया है, कि तिहाड़ जेल में उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिलता है, बीते 13 महीने में उनका 15 किलो वजन कम हो गया है।

नहीं मिलता भरपेट भोजन
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस पीएस तेजी की बेंच ने इस मामले में तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट को नोटिस जारी कर जबाव तलब किया है, Mohammad Shahabuddinमामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। शहाबुद्दीन ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें पिछले 13 महीने से तिहाड़ जेल के ऐसे हिस्से में रखा गया है, जहां पर्याप्त रोशनी और हवा भी नहीं आती, साथ ही उन्हें भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता।

बीमारियों से हो सकता हूं ग्रस्त
बिहार के बाहुबली ने अपनी याचिका में लिखा है, कि मैं एकांत कारावास में बंद हूं, जब से मुझे तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है, तब से मेरा वजन 15 किलो घट चुका है। Mohammad Shahabuddin3अगर ऐसे ही हालात रहे, तो फिर मुझे गंभीर बीमारियां हो जाएगी, क्योंकि ना तो मुझे भरपेट भोजन मिलता है, और ना ही दूसरी सुविधाएं।

21 साल की उम्र में पहला मामला दर्ज
आपको बता दें कि पूर्व राजद सांसद का जन्म बिहार के सीवान जिले के प्रतापपुर में 10 मई 1967 को हुआ था। कॉलेज के दिनों से ही उनकी दबंगई के चर्चे आम हो गये थे। Mohammad Shahabuddin1सिर्फ 21 साल की उम्र में शहाबुद्दीन के खिलाफ सीवान के एक थाने में पहला मामला दर्ज किया गया था। देखते ही देखते अगले कुछ सालों में शहाबुद्दीन सीवान के मोस्ट वांटेड अपराधी बन गये।

आजीवन कारावास की सजा
मालूम हो कि शहाबुद्दीन की जितनी उम्र है, उससे कहीं ज्यादा उन पर मामले दर्ज है। अब तक उनके खिलाफ 56 मुकदमे दर्ज किये जा चुके हैं। Shahabuddin3इनमें से 6 में उन्हें सजा भी हो चुकी है। हालांकि मामला अभी विचाराधीन है, क्योंकि उन्होने उसके ऊपरी कोर्ट में याचिका दाखिल किया है। भाकपा माले के कार्यकर्ता छोटे लाल गुप्ता के अपहरण और हत्या के मामले में उन्हें कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उसी मामले में वो जेल में बंद हैं।

निशानेबाज थे शहाबुद्दीन
सियासी सफर शुरु करने से पहले सीवान में शहाबुद्दीन की दबंगई काफी बढ गई थी। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार उन पर पहली प्राथमिकी 1986 में सीवान के हुसैनगंज थाने में दर्ज किया गया था। Mohammad Shahabuddin2सीवान में उनकी ऐसी छवि थी कि लोग सरेराह उनका नाम लेना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। जब शहाबुद्दीन चुनावी मैदान में होते थे, तो उनका झंडा छोड़ किसी दूसरे प्रत्याशी का झंडा तक लगाने कगी हिम्मत किसी की नहीं होती थी।

जनता दल के टिकट पर विधानसभा पहुंचे
सीवान जिले के जिरादेई विधानसभा सीट से पहली बार शहाबुद्दीन ने चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा भी पहुंचे। वो जनता दल के सिम्बल पर चुनाव लड़े थे। shahabuddin4उस समय तक वो जिरादेई विधानसभा से सबसे कम उम्र के प्रतिनिधि चुने गये थे। फिर 1995 में जिरादेई से उन्होने दुबारा जीत हासिल की।

1996 में बनें सांसद
1995 में जिरादेई सीट से विधानसभा चुनाव जीतने वाले शहाबुद्दीन अगले साल 1996 में लोकसभा चुनाव में उतर गये। Shahabuddin1उन्होने 1996 में सीवान लोकसभा सीट से जीत हासिल की। एच डी देवगौड़ा की सरकार में उन्हें गृह राज्यमंत्री बनाये जाने की बात भी चर्चा में आई थी। हालांकि उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।

लालू यादव के करीबी
शहाबुद्दीन को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का करीबी कहा जाता है। बिहार में लालू और नीतीश के बीच खटास की एक ब़ड़ी वजह शहाबुद्दीन भी रहे हैं। Lalu Shahabuddinबाहुबली जब जेल से निकले थे, तो उन्होने लालू को अपना नेता कहा था, और सीएम नीतीश कुमार पर हमला किया था। जिसके बाद नीतीश ने उन्हें पटना से दिल्ली शिफ्ट करवा दिया, ताकि वो लालू के नेटवर्क से बाहर हो जाएं।