अब शरद पवार ने पढे सावरकर के शान में कसीदे, योगदान नहीं कर सकते नजरअंदाज

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शरद पवार ने कहा सावरकर ने मानव उपभोग के लिये गाय के मांस तथा दूध की उपयोगिता की वकालत की थी, वो तर्कवादी थे, उन्होने वैज्ञानिक रुप से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी।

New Delhi, Dec 06 : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा कि विनायक दामोदर सावरकर हिंदू धर्म के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे, पवार ने कहा कि सावरकर दलितों के लिये मंदिर प्रवेश सुधारों को बढावा देने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे, शरद पवार ने ये बातें नासिक में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन दिवस पर अपने संबोधन में कही है।

क्या कहा
शरद पवार ने कहा सावरकर ने मानव उपभोग के लिये गाय के मांस तथा दूध की उपयोगिता की वकालत की थी, वो तर्कवादी थे, उन्होने वैज्ञानिक रुप से इस मुद्दे पर अपनी बात रखी, जिसे कम करके नहीं आंका जा सकता, उनकी ये टिप्पणी नेता प्रतिपक्ष देवेन्द्र फडण्वीस के ये कहने के एक दिन बाद आई है कि बीजेपी का सम्मेलन से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि कार्यक्रम में सावरकर का कोई जिक्र नहीं हुआ।

फडण्वीस ने क्या कहा
देवेन्द्र फडण्वीस ने कहा था कि सावरकर ने मराठी साहित्य सम्मेलन और मराठी रंगमंच सम्मेलन दोनों की अध्यक्षता की थी, वो मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी रहे थे, बीजेपी नेता ने कहा कि वो शायद एकमात्र व्यक्ति होंगे, जिन्होने ये उपलब्धि हासिल की, फिर भी पूरे आयोजन से उनका नाम गायब है, पूर्व सीएम ने कहा वो हमारे लिये एक आदर्श हैं, अगर हमारे आदर्श व्यक्तियों का सम्मान नहीं किया जाता, तो हम वहां क्यों जाएं।

बीजेपी ने अनाश्यक विवाद पैदा किया- पवार
हालांकि शरद पवार ने कहा कि बीजेपी ने अनावश्यक विवाद पैदा किया, उन्होने बताया कि कैसे सावरकर ने रत्नागिरी में एक छोटा मंदिर बनाया और अनुष्ठान करने के लिये एक दलित को आमंत्रित किया, पवार ने कहा, ये सामाजिक समानता का संदेश देने के लिये किया गया था, उन दिनों दलितों को मंदिरों में जाने की इजाजत नहीं थी, मंदिर का प्रभार सौंपना अकल्पनीय था, ये कुछ पहलू हैं, जो दिखाते हैं कि सावरकर का स्वाभाव वैज्ञानिक था। पवार ने ये भी कह कि स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, महाराष्ट्र और मराठी मानुष में हर कोई उनका सम्मान करता है।