यूपी में बीजेपी के लिये बड़े समीकरण बनाएंगे शिवपाल और भीम आर्मी, महागठबंधन के भीतर तक पड़ेगी मार

शिवपाल यादव बार-बार ये बताते और जताते हैं कि अखिलेश यादव ने अपने पिता-चाचा का अपमान किया है, इन दिनों शिवपाल यादव का बस एक सूत्री एजेंडा है अखिलेश से अपमान और तिरस्कार का बदला लेना।

New Delhi, Oct 01 : लोकसभा चुनाव में अभी करीब 6-7 महीने का समय है, लेकिन विसात बिछनी शुरु हो गई है, हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या 2014 लोकसभा जैसा करिश्मा बीजेपी दुहरा पाएगी, ये सवाल इसलिये उठ रहे हैं, क्योंकि हाल के उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली है। प्रदेश में बुआ-भतीजे के गठबंधन को लेकर तरह-तरह के दावे किये जा रहे हैं। लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी या अस्थायी नहीं होता है। जोड़-तोड़ के इस खेल में यूपी में मुख्य किरदार में मायावती हैं, लेकिन इन दिनों वो कुछ बौखलाहट में दिख रही है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।

राजनीतिक झल्लाहट
यूपी की सियासत के असली बुआ-भतीजे यानी मायावती-अखिलेश इन दिनों राजनीतिक झल्लाहट में है, दरअसल इसके पीछे वजह इनकी सियासी जमीन है। शिवपाल यादव के खुलकर सामने आ जाने से अखिलेश को यादव-मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी का डर सताने लगा है। उसी तरह यूपी में दलितों के स्वाभिमान और उत्पीड़न के खिलाफ चंद्रशेखर एक नई और बुलंद आवाज बनकर उभर रहे हैं, बस यही बात मायावती को खटक रहा है। बसपा प्रमुख नहीं चाहती है, दलितों के घर से उनके अलावा दूसरा कोई नेता पैदा हो।

नुकसान का डर
शिवपाल यादव और चंद्रशेखर की राजनीति की वजह से सपा-बसपा को बड़े नुकसान का डर अभी से सता रहा है। कहा जा रहा है कि शिवपाल यादव की बगावत अखिलेश यादव को भारी पड़ सकती है। शिवपाल लगातार पार्टी के दूसरे बुजुर्ग, हाशिये पर पड़े, अपमानित और नजरअंदाज किये गये वरिष्ठ नेताओं को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। तो चंद्रशेखर ने भी अपनी सक्रियता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढा दी है। यही टूट-फूट बीजेपी के लिये वरदान साबित हो सकती है।

नुकसान बसपा को करेंगे
जब चंद्रशेखर जेल से 16 महीने बाद बाहर निकले, तो उनका स्वागत किसी नायक की तरह किया गया। भले जेल से बाहर निकलते ही उन्होने बीजेपी को यूपी से मिटाने की कसम खाई हो, लेकिन अगर वो चुनावी मैदान में ताल ठोंकते हैं, तो बीजेपी को फायदा ही होगा। क्योंकि जिस वोट बैंक पर वो दावा कर रहे हैं, वो मायावती का वोट बैंक माना जाता है। बसपा प्रमुख भी इस बात को भली भांति जानती है, इसी वजह से चंद्रशेखर द्वारा उन्हें बुआ कहे जाने पर उन्होने कोई जवाब नहीं दिया।

अपमान का बदला
शिवपाल यादव बार-बार ये बताते और जताते हैं कि अखिलेश यादव ने अपने पिता-चाचा का अपमान किया है, इन दिनों शिवपाल यादव का बस एक सूत्री एजेंडा है अखिलेश से अपमान और तिरस्कार का बदला लेना। पार्टी बनाने के साथ ही उन्होने कहा था कि उन्होने अनदेखी और अपमानित होने की वजह से नई पार्टी का गठन किया। शिवपाल की रणनीति समाजवादी पार्टी को कमजोर करने की है, यानी वो बीजेपी का काम आसान कर रहे हैं।