पैरों से लाचार इस लड़के का निशाना है अचूक, पिता गोद में लेकर पहुंचाते हैं स्कूल

Chetan Rana

18 साल के चेतन राणा का निशाना अचूक है, अब तक उन्होने निशानेबाजी में 7 गोल्ड मेडल और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं।

New Delhi, Jan 26 : हौसले बुलंद और इरादे मजबूत हो, तो फिर किसी भी मंजिल को हासिल करना नामुमकिन नहीं, इस कहावत को सच कर दिखाया है मेरठ के चेतन राणा ने, चेतन पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद केरल में आयोजित 21वीं कुमार सुरेन्द्र नेशनल शूटिंग चैपियनशिप में 2 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल लेकर लौटे हैं। उनका निशाना अचूक है, 18 साल के चेतन राणा अब तक 7 गोल्ड मेडल और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं, आपको बता दें कि चेतन अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो सकते हैं।

पापा गोद में ले जाते हैं स्कूल
चेतन राणा ने बताया कि उनका जन्म 29 जून साल 2000 को मेरठ के रोहटा इलाके में हुआ था, पिता कांट्रेक्टर तो मां हाउस वाइफ हैं। Chetan Rana2घर में उनका एक बड़ा भाई भी है, वो भी शूटिंग में करियर बनाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं, चेतन के अनुसार वो जिस भी मुकाम पर हैं, उसमें उनके परिवार के लोगों ने खूब सपोर्ट किया है। स्कूल के दिनों की बातें बताते हुए उन्होने बताया कि पापा उन्हें गोद में उठाकर स्कूल के तीसरी मंजिल पर क्लास में पहुंचाते थे, पापा की तबीयत भी बिगड़ जाती थी, इसके बावजूद वो रोज उन्हें गोद में लेकर क्लासरुम तक पहुंचाते थे।

पैर की हड्डियां मुड़ी हुई है
युवा निशानेबाज ने बताया कि जन्म से ही उनके पैरों की हड्डियां मुड़ी हुई है, जब वो तीन दिन के थे, तब पहली बार उनके पैरों का ऑपरेशन हुआ, Chetan Rana4फिर तीन साल बाद दोबारा पैरों का ऑपरेशन हुआ, लेकिन उसका कुछ खास असर नहीं पड़ा, उनका पैर ठीक नहीं हो सका, तब से ही वो व्हील चेयर पर हैं, घर के लोग उन्हें मदद करते हैं, जिसकी वजह से वो अपने काम-काज कर पाते हैं।

हर महीने जाना पड़ता है अस्पताल
चेतन राणा ने बताया कि कुछ साल पहले उनके सीने में दर्द की शिकायत हुई थी, चेकअप के बाद पता चला कि फेफड़ों में पानी आ गया है, Chetan Rana1जिसके बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर पानी निकाल दिया, हालांकि अब भी उन्हें हर महीने चेकअप के लिये अस्पताल जाना पड़ता है।

मेरी वजह से भाई को नहीं मिल पाया गोल्ड
युवा निशानेबाज ने बताया कि उनके बड़े भाई अंकुर राणा भी स्टेट लेबल के शूटर हैं, वो पिस्टल से निशाना लगाते हैं, shooting3स्टेट लेबल शूटिंग चैंपियनशिप के दौरान वो 1 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं, चेतन के अनुसार भाई ने ही उनका एडमिशन अगस्त 2016 में शूटिंग एकेडमी में कराया था, उनका पूरा दिन मेरी हेल्प करने में ही बीत जाता था, जिसकी वजह से वो अपनी प्रैक्टिस ठीक से नहीं कर पाये, इसी वजह से वो गोल्ड मेडल जीतने से चूक गये।

भाई ने की मदद
चेतन ने बताया कि उनके बड़े भाई अंकुर ने उनकी बहुत मदद की है, वो रायफल से 10 मीटर रेंज में निशाना लगाते हैं, दोनों एक ही ट्रेनिंग एकेडमी में हिस्सा लेते हैं, shooting1लेकिन अंकुर का ज्यादा समय अपने भाई को निशानेबाजी सिखाते हुए ही जाता है। इस बात को चेतन भी मानते हैं।

घर खर्च की चिंता
अंकुर राणा ने बताया कि वो मिडिल क्लास फैमिली से बिलांग करते हैं, उनके पिता कांट्रेक्टर हैं, उनकी कोई फिक्स जॉब नहीं है, shootingइस वजह से कई बार उन्हें घर खर्च के लिये भी चिंता होती है, अंकुर ने आगे बताते हुए कहा कि पापा ने किसी तरह पैसों की इंतजाम कर चेतन को रायफल दिलाई, ताकि वो अपनी प्रैक्टिस जारी रख सके, आपको बता दें कि चेतन राणा दस मीटर रायफल शूटिंग में हिस्सा लेते हैं।

सरकार नहीं करती मदद
अंकुर राणा ने अपनी परेशानियां बताते हुए कहा हरियाणा सरकार खेलने वालों को प्रोत्साहित करती है, Shooting2निशानेबाजी में गोल्ड मेडल जीत कर लाने वाले को सरकार तीन लाख रुपये देती है, लेकिन यूपी में कुछ भी नहीं मिलता, यहां तो उल्टा घर से ही पैसे खर्च कर चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जाते हैं।

सरकार से मदद की आस
दोनों भाई चाहते हैं कि यूपी की योगी सरकार उनकी मदद करे, ताकि हरियाणा की तरह ही यूपी में भी खेल का माहौल बने। Chetan Rana3इतना ही नहीं दोनों भाइयों का कहना है कि अगर मदद नहीं मिलेगी, तो शायद उन्हें अपना प्रैक्टिस बंद भी करना पड़े, क्योंकि कब तक वो दूसरे जरुरतों के पैसे इसमें लगाते रहेंगे।