गजब है! ये बच्ची कभी स्कूल नहीं गई, फिर भी दे रही है बोर्ड के पेपर

ये बच्ची कभी स्कूल नहीं गई, इसके बाद भी बोर्ड के पेपर दे रही है। हैरानी तो तब होती है, जब ये बेटी हर सवाल के एकदम सटीक जवाब देती है। जानिए इस बारे में

New Delhi, Mar 29: आमिर खान की थ्री इडियट फिल्म तो आपने देखी ही होगी। इस फिल्म में एक डायलॉग है ‘काबिल बनो काबिल…कामयाबी आपके पीछे झक मारकर आएगी’। ये डॉयलॉग मृणाल पर एकदम फिट बैठता है। गांव में रहने वाली इस बच्ची ने कभी स्कूल जाकर पढ़ाई नहीं की, लेकिन अब ये बच्ची बोर्ड के पेपर दे रही है। आइए इस बारे में जानते हैं।

बिना स्कूल गए हासिल किया ज्ञान
मृणाल ने बिना स्कूल में पढ़े ही ज्ञान हासिल किया है। आलम ये है कि इस बच्ची ने बोर्ड के एक्जाम भी दे डाले। मृणाल 10वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा में बैठी हैं। घर में मिले ज्ञान के दम पर अब वो अपनी जिंदगी में आगे का सफर तय कर रही है। हैरानी ये है कि मृणाल पांगती ना तो कभी स्कूल गई और ना ही पढ़ाई के लिए कभी ट्यूशन पढ़ा।

मार्च 2018 में दिए बोर्ड एग्जाम
घर पर मिली शिक्षा के दम पर ही मृणाल पांगती ने मार्च 2018 में पहली बार बोर्ड की परीक्षा दी। मृणाल ने ओपन स्कूल के माध्यम से 10वीं के पेपर दिए हैं। मृणाल के पिता का नाम नवीन पांगती है। नवीन पांगती मूल रूप से मुनस्यारी के मिलम गांव के रहने वाले हैं। फिलहाल वो अपने परिवार के साथ कफड़खान के करीब सल्ला गांव में रहते हैं।

नवीन पांगती की बेटी हैं मृणाल
नवीन पांगती की दो बेटियां हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को स्कूल नहीं भेजा। करीब 6 साल पहले वो हल्द्वानी आए लेकिन उनकी इच्छा वापस पहाड़ में जाने की थी। इसलिए वो पासबाराकोट-देवड़ा रोड के करीब स्थित सल्ला गांव में रहने लगे। नवीन पांगती की बड़ी बेटी हैं मृणाल पांगती, जो कि 15 साल की हैं।

ऐसे पूरा किया जिंदगी का सफर
इसके अलावा उनकी दूसरी बेटी का नाम कृतिका है, जो साढ़े 13 साल की हैं। पिता ने दोनों को ही स्कूल में नहीं पढ़ाया। इस बारे में मृणाल के पिता कुछ खास बात बताते हैं। उनका कहना है कि आज के दौर में स्कूल में टीचर सही ढंग से नहीं पढ़ाते और इस वजह से बच्चों को ट्यूशन जाना पड़ता है। शुरुआत में मृणाल को भी गुड़गांव में दूसरी कक्षा तक पढ़ाया लेकिन उसके बाद वहां से निकाल लिया।  

अब दिया बोर्ड एग्जाम
15 साल की मृणाल पांगती ने अब जिंदगी की पहली परीक्षा दी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग में 10वीं की परीक्षा के लिए उन्होंने ऑन लाइन आवेदन किया था। मृणाल ने सारे पेपर देहरादून में दिए। 27 मार्च को उनका आखिरी पेपर था। मृणाल बताती हैं कि वो वकालत या फिर मनोविज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं।

ये हैं मृणाण के विषय
हिन्दी, गणित, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान मृणाल पांगती के सबजेक्ट हैं। ऐसा नहीं है कि मृणाल के पिता बेटियों को पढ़ाना नहीं चाहते। वो पढ़ाना चाहते हैं लेकिन घर पर ही बेटियों को सारा ज्ञान देना चाहते हैं। उनका कहना है कि स्कूल में बहुत छोटी कक्षा में ही छात्रों पर पढ़ाई का दबाव डाला जाता है। नवीन ने एनआईटी से बीटेक ओर आईआईटी मुम्बई से ग्राफिक डिजाइनिंग की है।

पिता ने बताई खास बात
इसके बाद नवीन पांगती अपने परिवार के साथ गुड़गांव में रहे। उनका मन पहाड़ में ही रहने का था। दो साल पहले सल्ला गांव में आए हैं और ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं। हालांकि नवीन पांगती के पिता अभी भी हल्द्वानी में ही परिवार के साथ रह रहे हैं। उनका कहना है कि व्यावहारिक ज्ञान आज के दौर में स्कूलों में नहीं मिलता। उन्होंने वो ज्ञान अपनी बेटी को दिया और अब उसने बोर्ड के पेपर दिए हैं।