एकतरफा प्यार ने बदल दी इस ‘नाचने वाली’ की जिंदगी, ऐसे बनी डांसर से डकैत, फिर शुरु हुआ खौफ का खेल

बाबू लुहार ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर पुतली के साथ बलात्कार किया, इसी अपमान का बदला लेने के लिये उसने बाबू लुहार को गोली मार दी और डकैत गिरोह की सरदार बन गई।

New Delhi, Jul 24 : बीहड़ और चंबल में कई खूबसूरत सुंदरियां आई, जिन्होने अपना खौफ पूरे इलाके में फैलाया। आज हम आपको देश की पहली महिला डकैत पुतली बाई के बारे में बता रहे हैं, जो कभी अपनी सुंदर काया और डांस के लिये जानी जाती थी। लेकिन फिर वो डांसर से डकैत बन गई। डकैत बनने के बाद उन्होने अपने खौफ से पूरे इलाके को डराया। खैर आइये आपको बताते हैं कि महफिल में नाचने वाली पुतली बाई के डकैत बनने की कहानी।

महफिल में नाचती थी
एमपी के मुरैना जिले के बरबई गांव में पुतली का जन्म असगरी बाई के घर में हुआ। मां के रास्ते पर चलते हुए पुतली बाई ने महफिलों में नाचना-गाना शुरु कर दिया और जल्दी ही मशहूर हो गई। उनकी खूबसूरती के चर्चे यूपी में आगरा, लखनऊ तक थे। कहा जाता है कि वो कुछ समय आगरा में भी रही, लेकिन ये शहर उन्हें रास नहीं आया, जिसके बाद उन्होने इस शहर को छोड़ दिया।

एकतरफा प्यार में बदल गई जिंदगी
कहा जाता है कि 1950 के दशक में बीहड़ में डाकू सुल्ताना का राज था, उसी साल पुतली बाई एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिये अपनी मां के धौलपुर राजस्थान गई थी। जिस जमींदार के घर पर वो डांस करने पहुंची थी, वहां डाकू सुल्ताना भी आया हुआ था। सुल्ताना ने पहली बार पुतली बाई को वहीं देखा और उसे वो पसंद आ गई, जिसके बाद डाकू उसे किडनैप कर अपने साथ ले गये और जबरदस्ती शादी कर ली। डाकू के एकतरफा प्यार में पुतली बाई की जिंदगी बदल गई।

पुलिस से परेशान हो वापस बीहड़ लौटी
डाकू सुल्ताना के पीछे पुलिस लगी हुई थी, वो उनसे बचकर लगातार इधर-उधर भागता रहता था। पुतली बाई इस बात से परेशान थी, वो बार-बार अपने मां के घर वापस जाने की जिद करती, एक दिन सुल्ताना ने उसे उनकी मां असगरी बाई के घर पहुंचा दिया। पुतली बाई अपने मां के घर लौटी, तो पुलिस वालों ने उन्हें परेशान कर दिया। पूछताछ के नाम पर पुलिस उन्हें मानसिक प्रताड़ना देने लगी। इसी बात से नाराज पुतली बाई वापस बीहड़ डाकू सुल्ताना के पास चली गई।

ऐसे बनी डकैतों की सरदार
बीहड़ में रहते हुए पुतली बाई ने भी जल्द ही बंदूक चलाना सीख लिया, साथ ही वो सुल्ताना के साथ डकैती में भी शामिल होने लगी, बताया जाता है कि सुल्ताना ने उसे बंटवारे का इंचार्ज बना रखा था, वो लूटपाट के दौरान अपने हर शिकार का उंगली काट लेती थी। फिर 26 मई 1955 को मुरैना के एक गांव में पुलिस मुठभेड़ में डाकू सुल्ताना मारा गया, जिसके बाद पुतली बाई कमजोर पड़ गई और बाबू लुहार नाम का डकैत गिरोह का सरदार बन गया। बाबू लुहार ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर पुतली के साथ बलात्कार किया, इसी अपमान का बदला लेने के लिये उसने बाबू लुहार को गोली मार दी और गिरोह की सरदार बन गई।

नया गैंग बनाया
फिर पुतली बाई ने पहाड़ा और कल्ला नाम के डाकू से समझौता कर नई गिरोह बनाई, पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में उसने अपना एक हाथ भी गंवा दिया था। इसके बावजूद उसका बहुत खौफ था। करीब तीन साल तक उसने बीहड़ में हत्यास अपहरण और फिरौती जैसी घटनाओं को अंजाम देकर अपना दबदबा कायम रखा। किस्सों के अनुसार दतिया गांव में डाकू पुतली बाई ने एक ही रात में 11 लोगों की हत्या कर दी थी और 5 लोगों को बुरी तरह घायल कर दिया था।

पुलिस ने किया एनकाउंटर
23 जनवरी 1958 में मुरैना जिले के कोंथर गांव में पुतली बाई के गिरोह को पुलिस ने घेर लिया था। आस-पास के गांवों में भी हथियार बंद पुलिस मौजूद थे। पुलिस की घेराबंदी देख कल्ला ने गिरोह को दो हिस्सों में बंटने को कहा, 5 लोगों को लेकर वो एक तरफ बढा, तो बाकी 10 डकैत पुतली बाई के साथ थे। चंबल में एक पहाड़ी के पीछे छुपी पुतली बाई ने नोट फेंकने शुरु कर दिये, वो मौका पाकर क्वारी नदी में कूद गयी। नदी में वो एक हाथ से ही तेजी से तैर रही थी। लेकिन उस दिन पुलिस ने जबरदस्त जाल बिछाया था और वो उसमें जा फंसी थी, दूसरी तरफ भी पुलिस उसका इंतजार कर रही थी। पुलिस ने दूर से ही उस पर फायरिंग करनी शुरु कर दी जिसमें वो वहीं ढेर हो गई।