इस मामले में महाराष्ट्र सरकार से बिहार और दूसरे राज्य सीख ले सकते हैं

बिहार के चिकित्सकों की शिकायत थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली नहीं रहती। पर अब तो स्थिति बदली है। ऐसे में महाराष्ट्र जैसा प्रयोग यहां भी किया जा सकता है।

New Delhi, Aug 11 : महाराष्ट्र सरकार ने निजी डाक्टरों से मोल-तोल करके ऊंचे वेतन पर सरकारी अस्पतालों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध कराए हैं।ये ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किए जा रहे हैं। ध्यान रहे कि सुदूर स्थानों में जाने के लिए आम तौर से विशेषज्ञ चिकित्सक तैयार नहीं होते ।
यह समस्या बिहार सहित पूरे देश की है। सामान्य सरकारी डाक्टरों में से भी अधिकतर अपने कार्य स्थलों से अनुपस्थित ही पाए जाते हैं।

कुछ साल पहले बिहार के विधायक के यहां एक महिला डाक्टर आईं। उन्होंने कहा कि मैं आपके क्षेत्र में ज्वाइन करने को तैयार हूं। पर आप मुझे अनुपस्थित रहने की ‘छूट’ दिलवा दीजिए। विधायक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। यह हाल सामान्य चिकित्सकों का है ।

यानी ब्लाॅक स्तर पर तैनात कुछ ही सरकारी डाक्टर ईमानदारी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
इस पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र सरकार ने हाल में जो कुछ किया है, उसे बिहार सहित अन्य राज्य भी अपना सकते हैं। गरीब देश के आम लोग शिक्षा,स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सरकार पर ही तो निर्भर रहते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने निजी विशेषज्ञ डाक्टरों से मोल-तोल करके और उन्हें भारी वेतन देकर ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के लिए राजी कर लिया है।

इस तरीके से कुल 356 डाक्टरों की नियुक्ति हुई है। इनमें 12 विशेषज्ञ चिकित्सक तीन लाख रुपए मासिक से अधिक वेतन पर राजी हुए। अन्य 12 चिकित्सकों का वेतन दो और तीन लाख रुपए के बीच तय हुआ। 51 विशेषज्ञ डाक्टरों का वेतन एक से दो लाख रुपए के बीच है। बाकी डाक्टरों के वेतन 50 हजार से एक लाख रुपए के बीच है। बिहार के चिकित्सकों की शिकायत थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली नहीं रहती। पर अब तो स्थिति बदली है। ऐसे में महाराष्ट्र जैसा प्रयोग यहां भी किया जा सकता है।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)